मणिपुर सरकार ने राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध 15 जून तक बढ़ा दिया है। आयुक्त (गृह) टी रंजीत सिंह द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि ब्रॉडबैंड सहित मोबाइल डेटा सेवाओं के निलंबन को 15 जून दोपहर 3 बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस नए आदेश के साथ, मणिपुर में नागरिक अब एक महीने से अधिक समय से बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के हैं। मणिपुर सरकार ने पहली बार 3 मई को राज्य के विभिन्न जिलों में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने की घोषणा की थी।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार इंटरनेट बंद करने के खिलाफ राज्य के दो निवासियों की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करने के एक दिन बाद आया है। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर 3 मई से प्रतिबंध लगा दिया गया था।
Manipur internet ban extended till June 15. State has no internet since May 3 (over a month ago) #Manipur pic.twitter.com/v9EHXHQAM2
— Debanish Achom (@debanishachom) June 10, 2023
आयुक्त के आदेश में कहा गया है कि “असामाजिक तत्व” जनता को भड़काने के लिए अभद्र भाषा, नफरत भरे वीडियो संदेश फैलाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जिससे राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
मणिपुर सरकार ने दावा किया है कि जातीय हिंसा से विस्थापित हुए 50,000 से अधिक लोग वर्तमान में राज्य भर में 349 राहत शिविरों में रह रहे हैं। मणिपुर के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डॉ. आर के रंजन ने कहा कि सभी जिलों, खासकर संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। मंत्री के एक आधिकारिक बयान के हवाले से कहा गया है कि, “जातीय हिंसा से विस्थापित कुल 50,698 लोग वर्तमान में 349 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।”
#WATCH | Manipur: People displaced from Moreh Commercial town of Tengnoupal District are staying in a relief camp set up at Ideal College, Akampat, Imphal East. pic.twitter.com/LI0LJRzgQ1
— ANI (@ANI) June 12, 2023
राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हिंसा पीड़ितों का साथ देते हुए छात्रों की शिक्षा दीक्षा का आश्वासन दिया है। इसके अलावा सीएम ने कई और महत्वपूर्ण घोषणाएं की। विस्थापितों को घर देना का आश्वासन दिया। उन्होंने लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि राज्य सरकार राज्य के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी और हिंसा में तबाह हुए घरों को फिर से बनाया जाएगा।
इस बीच, जिला और क्लस्टर नोडल अधिकारियों को विशेष रूप से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए खोले गए राहत केंद्रों की देखभाल करने के लिए कहा गया है। मणिपुर में एक महीने पहले भड़की हिंसा में कम से कम 100 लोग मारे गए हैं और 310 अन्य घायल हो गए हैं।
सोमवार को भी राज्य में हिंसा देखने को मिली जिसमें कम से कम एक शख्स की मौत हो गई। कई जिलों में अभी कर्फ्यू लगे हैं और सेना मोहड़ा संभाले हुई है। यह हिंसा चुराचांदपुर जिले के लैलोईफोई इलाके में हुई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। हिंसा में जान गंवाने वाले शख्स की पहचान 22 साल के एन मुअनसांग के रूप में हुई है जो कि ग्राम रक्षा स्वयंसेवक था।
राज्य में हिंसा की जांच के लिए, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक डीआईजी-रैंक अधिकारी के तहत 10 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। छह मामलों में पांच कथित आपराधिक साजिश और एक हिंसा के पीछे सामान्य साजिश से जुड़ा है। सीबीआई की जांच की निगरानी गौहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग द्वारा की जाएगी। आयोग का गठन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हिंसा प्रभावित राज्य के दौरे के बाद किया गया।
केंद्र सरकार ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति का भी गठन किया। समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। समिति मणिपुर के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांतिपूर्ण वार्ता और परस्पर विरोधी दलों/समूहों के बीच बातचीत सहित शांति प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करेगी। हालांकि अधिकांश कुकी प्रतिनिधियों ने कहा कि वे पैनल का बहिष्कार करेंगे क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और उनके समर्थक शामिल हैं। यह इंगित करते हुए कि इन सदस्यों को पैनल में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं ली गई थी, उन्होंने मांग की कि केंद्र बातचीत के लिए अनुकूल स्थिति बनाए।
मणिपुर के कुकी विधायकों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलने की उम्मीद है, जहां उनके द्वारा राज्य में कुकी बहुल क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग करने की उम्मीद है। इससे पहले चिन-कुकी-मिजो-जोमी समूह के 10 आदिवासी विधायकों ने भी यही मांग लेकर शाह को पत्र लिखा था। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मांग को खारिज कर दिया था और कहा था, ‘मणिपुर की अखंडता को कोई खतरा नहीं है।’