असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी सरकार यह अध्ययन करेगी कि क्या राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना संभव है? इस कदम को भाजपा शासित राज्य के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की ओर बढ़ने के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने कानूनी पहलुओं का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञ समिति जांच करेगी कि क्या राज्य सरकार के पास राज्य में बहुविवाह पर रोक लगाने के अपने फैसले को लागू करने का अधिकार है या नहीं?
राज्य सरकार ने विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में बताया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी फूकन की अध्यक्षता वाले पैनल को दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। समिति के अन्य सदस्य असम के महाधिवक्ता देबजीत सैकिया, अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और वरिष्ठ अधिवक्ता नेकिबुर जमान हैं।
We are committed to end the practice of polygamy. pic.twitter.com/oeApv8hVK5
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) May 14, 2023
इससे पहले सीएम सरमा ने कहा था कि, “हम समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से नहीं गुजर रहे हैं, लेकिन हम एक राज्य अधिनियम के तहत बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। असम सरकार ने इस बात की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है कि क्या राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में बहुविवाह पर रोक लगाने का अधिकार है? सरकार राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना चाहती है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह समिति कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक रूप से चर्चा करेगी और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की जांच करेगी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा- “असम सरकार ने यह जांचने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है कि क्या राज्य विधानमंडल को राज्य में बहुविवाह पर रोक लगाने का अधिकार है? यह समिति संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ पढ़े जाने वाले मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम 1937 के प्रावधानों की जांच करेगी, जो कि राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत हैं।” उन्होंने कहा, “समिति एक सुविचारित निर्णय पर पहुंचने के लिए कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगी।”
The Assam Government has decided to form an expert committee to examine whether the state Legislature is empowered to prohibit polygamy in the state. The committee will examine the provisions of The Muslim Personal Law (Shariat) Act, 1937 read with Article 25 of the Constitution…
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) May 9, 2023
समिति एक समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ-साथ “मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की जांच करेगी।
मुख्यमंत्री सरमा ने चुनावी राज्य कर्नाटक में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करना पुरुषों की “चार शादियां” करने और महिलाओं को “बच्चा पैदा करने वाली मशीन” बनाने की व्यवस्था को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
असम के CM का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के बयान के बाद आया है। शीर्ष अदालत ने बीते दिनों कहा था कि वह मुसलमानों में बहुविवाह और ‘निकाह हलाला’ प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने वकील और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दलीलों पर ध्यान दिया था कि एक नई पांच-न्यायाधीशों की पीठ के गठन की आवश्यकता है क्योंकि पिछली संविधान पीठ के दो न्यायाधीश – न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता – सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सीजेआई ने कहा था, “बहुत महत्वपूर्ण मामले हैं जो पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष लंबित हैं। हम एक का गठन करेंगे और इस मामले को ध्यान में रखेंगे।”