Virginity Test:दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक या पुलिस हिरासत में महिला बंदी या किसी भी जांच के तहत आरोपी का कौमार्य परीक्षण करना असंवैधानिक है। अदालत ने कहा कि ऐसा करना संविधान के अर्टिकल 21 के तहत दिए गए गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। वर्ष 1992 के सिस्टर अभया मर्डर केस की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये आदेश जारी किया।
#Breaking Delhi High Court holds that 'virginity test' conducted on a female detainee or accused is Unconstitutional and in violation of Article 21 of the Constitution and right to dignity. #DelhiHighCourt #VirginityTest pic.twitter.com/DH8RDAqwiZ
— Bar & Bench (@barandbench) February 7, 2023
हाई कोर्ट ने कहा कि कि सिस्टर अभया की हत्या की आरोपी सिस्टर सेफी पर सीबीआई द्वारा किया गया वर्जिनिटी टेस्ट असंवैधानिक था। उनके साथ ऐसा किए जाने को लेकर सिस्टर सेफी CBI से मुआवजा प्राप्त करने की हकदार हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सिस्टर सैफी इस वर्जनिटी टेस्ट के खिलाफ क़ानूनी राहत के रास्ते भी चुन सकती है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वर्जिनिटी टेस्ट करना “अमानवीय व्यवहार” का एक स्वरुप है।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि वर्जिनिटी टेस्ट “सेक्सिस्ट” है और एक महिला बंदी के साथ यदि हिरासत में ऐसा टेस्ट किया जाता है तो यह उसके गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।
अदालत ने कहा कि सिस्टर सेफी के खिलाफ हत्या के आरोप की सच्चाई का पता लगाने के लिए वर्जिनिटी टेस्ट का इस्तेमाल किया गया था और यह परीक्षण अपने आप में किसी भी महिला के लिए बहुत दुखदायी है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के टेस्ट का मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है। हालांकि अदालत ने ये माना कि 2008 में जब सिस्टर सेफी का वर्जिनिटी टेस्ट किया गया था, तब ना तो सुप्रीम कोर्ट के कोई दिशानिर्देश थे और ना ही ऐसे परीक्षणों को असंवैधानिक घोषित किया गया था।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्जनिटी टेस्ट को असंवैधानिक घोषित किये जाने की जानकारी गृह मंत्रालय एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से सभी जांच एजेंसियों को दी जानी चाहिए। कोर्ट ने सलाह दी कि दिल्ली ज्यूडिशियल एकेडमी इसे अपने कोर्स में शामिल करें और जांच अधिकारियों, सरकारी वकीलों की वर्कशॉप में उन्हें भी इस विषय में जानकारी दी जाए।
मालूम हो कि याचिकाकर्ता सिस्टर सेफी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि 1992 में नन की मौत से जुड़े मामले में जब उसे हिरासत में लिया गया था तो CBI ने साल 2008 में उसका ‘कौमार्य परीक्षण’ कराया था। सिस्टर ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्जिनिटी टेस्ट के नतीजे भी लीक हो गए थे।
क्या है ये मामला?
27 मार्च 1992 को केरल के कोट्टायम के St.Pious Xth Convent में रहने वाली 20 साल की सिस्टर अभया की लाश एक कुएं में मिली थी। केरल पुलिस ने अपनी जांच में पाया था कि सिस्टर अभया ने सुसाइड किया। बाद में ये मामला जब सीबीआई के पास पहुंचा तो इस केस में कई खुलासे हुए। सीबीआई की जांच के मुताबिक सिस्टर सेफी दोषी साबित हुई और फिर कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सीबीआई के मुताबिक सिस्टर सेफी और मामले के दूसरे आरोपी फादर कुट्टूर के बीच गुप्त संबंध थे और उसे ही छिपाने के लिए अभया की हत्या की गई थी।