छावला रेप एंड मर्डर केस में अब दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका में दोषियों की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है।
Delhi Police moves review petition in Supreme Court challenging its order which acquitted three men who were awarded the death penalty by a Delhi Court in connection with allegedly raping and killing a 19-year-old woman in Delhi's Chhawala area in 2012.
— ANI (@ANI) December 7, 2022
इस याचिका में कहा गया है कि, ‘मेडिकल और साइंटिफिक रिपोर्ट से आरोपियों का दोष सिद्ध होता है। आरोपियों के खिलाफ आए मेडिकल रिपोर्ट पर कोई शक नहीं है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने मेडिकल और साइंटिफिक रिपोर्ट की ठीक ढंग से जांच नहीं की, जो बिना शक आरोपियों का दोष सिद्ध करता है। जैविक परीक्षण और डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि सीलबंद पार्सल केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला को भेजे गए थे और अथॉरिटी की चिट्ठी के मुताबिक नमूने का मिलान किया गया, जिससे आरोपियों पर लगे आरोप सही साबित होते हैं। अभियोजन पक्ष (सरकारी पक्ष) के पास उपलब्ध सबूत ऐसे अपराध को गंभीर अपराधों की उच्चतम श्रेणी में रखते हैं और इस मामले में परिस्थितिजन्य सबूत इतने पुख़्ता हैं कि यह संदेह के लिए भी कोई आधार नहीं छोड़ते हैं’।
इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन CJI की अगुवाई वाली बेंच के 7 नवंबर को दिए गए उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है जिसमें मेडिकल और वैज्ञानिक रिपोर्ट में गड़बड़ी को आधार बनाकर शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीन अभियुक्तों राहुल, रवि और विनोद को रिहा कर दिया था। इन तीनों पर आरोप था कि 9 फरवरी, 2012 को जब पीड़िता काम से घर लौट रही थीं, तो उन्होंने उसे अगवा कर उसके साथ गैंगरेप किया था, फिर हत्या कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को रिहा करते हुए कहा था कि, “अभियोजन पक्ष ने जिस गवाह को पेश किया था, उसके साथ दूसरे पक्ष ने जिरह नहीं किया या फिर जिरह करने का पर्याप्त समय नहीं मिला। ट्रायल कोर्ट भी मूकदर्शक बना रहा. हमने पाया कि अभियुक्तों को फेयर ट्रायल के उनके अधिकार से वंचित रखा गया।”
छावला केस में SC के फैसले पर पुनर्विचार के लिए आज दो और याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। इन दोनों याचिकाओं के साथ अब इस मामले में पुनर्विचार के लिए अब तक चार याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका उत्तराखंड बचाओ मूवमेंट नामक संगठन ने दाखिल की। उसके बाद पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की अर्जी दी और आज सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने भी दोषियों की रिहाई के फैसले पर फिर से विचार करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने इस संबंध में कहा कि, “रेप और मर्डर के इस केस में मैंने रिव्यू पिटीशन फ़ाइल किया है। मुझे सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ़ चाहिए। मैंने इस मामले में ओपन कोर्ट हियरिंग की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीएफ़एसएल की रिपोर्ट, डीएनए प्रोफ़ाइलिंग रिपोर्ट पर संदेह जाहिर किया और ट्रायल कोर्ट के सामने पेश किए सबूतों पर ध्यान नहीं दिया”।