मैनपुरी में होने जा रहे उपचुनाव से पहले शिवपाल यादव और अखिलेश यादव एक साथ हो गए हैं। प्रसपा (प्रगतिशीत समाजवादी पार्टी) प्रमुख शिवपाल सिंह यादव बहू डिंपल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं। लेकिन अखिलेश यादव के साथ हुई यह सुलह शिवपाल के लिए उनकी मुसीबत बढ़ाती नजर आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते सोमवार को ही शिवपाल की सुरक्षा में कटौती की गई थी तो अब गोमती रिवर फ्रंट मामले में शिवपाल पर एक्शन की तैयारी शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई जल्द अपनी पड़ताल शुरू करेगी।
सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में शिवपाल और कुछ अफसरों के खिलाफ जांच के लिए मंजूरी मांगी है। इस मामले में दो तत्कालीन आला अफसरों की भूमिका की पड़ताल जल्द प्रारंभ हो सकती है। तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव की भूमिका की भी सीबीआई जांच कर सकती है। रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई ने पूछताछ की अनुमति भी मांगी है। सीबीआई इस कथित घोटाले के मामले में सेक्शन 17 A के तहत पहले ही मामला दर्ज कर चुकी है। 17 A में कार्रवाई से पहले मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है। ख़ास बात ये है कि सीबीआई ने जांच की मंजूरी ऐसे समय मांगी है, जब मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है।
सीबीआई की जांच को लेकर शिवपाल ने एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल से कहा, “मैंने सब नियमानुसार के अनुसार और बहुत अच्छा काम किया है। इन्हे पता होना चाहिए किसी भी प्रोजेक्ट में पॉलिसी बनाई जाती है। उसमें कई बड़े सीनियर अधिकारी, जिसमे चीफ सेक्रेटरी से लेकर सारे लोग होते हैं। वहीं अधिकारी उसमे फाइनेंशियल फाइनल रिपोर्ट लगाते हैं। सब चीजे कैबिनेट से पास होती है, उसमें कोई कमी नहीं है और इनसे अपेक्षा क्या कर सकते हैं’।
शिवपाल यादव ने ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के के फुटबॉल वाले बयान पर कहा कि, ‘जो अच्छा खिलाड़ी होता है वो ऐसा फुटबॉल मारता है कि तुरंत गोल हो जाता है। तो अब गोल ही होने वाला है डिंपल का’। दरअसल, सोमवार को मैनपुरी के करहल में एक चुनावी जनसभा में कहा था, मैं एक दिन बयान पढ़ रहा था चाचा शिवपाल का। उनकी स्थिति पेंडुलम जैसी हो गयी है। पिछली बार आपने देखा होगा कितना बेइज्जत करके भेजा, कुर्सी तक नहीं मिली, कुर्सी के हैंडल पर बैठना पड़ा था। जीवन में कभी पेंडुलम नहीं बनना चाहिए, पेंडुलम का कोई मतलब नहीं होता है’।
सोमवार को शिवपाल यादव की सुरक्षा भी कम कर दी गई। पहले इनको Z श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी जिसे अब Y श्रेणी की सुरक्षा में तब्दील कर दिया गया है। इस संबंध में सुरक्षा मुख्यालय से एसएसपी इटावा और पुलिस कमिश्नर लखनऊ को पत्र भेजकर गया है कि राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद शिवपाल यादव की सुरक्षा घटाने को लेकर ये फैसला हुआ है।
शिवपाल ने उनकी सुरक्षा में की गई कटौती को लेकर कहा, “हमें सुरक्षा रहे या नहीं रहे, हमे कोई चिंता नहीं है। यह जनता कार्यकर्ता ही हमारी सुरक्षा करेंगे। केशव प्रसाद मौर्य को जांच का बहुत शौक है। प्रदेश में कितनी बीमारी चल रही है, उन सबकी जांच करते रहते हैं। उनका परिणाम कुछ आता नहीं है। जसवंत नगर में कार्यकर्ताओं पर हो रहे मुकदमों को लेकर कहा कि कार्यकर्ताओं पर हो रहे मुकदमे लोकतंत्र के खिलाफ हैं। हम इसकी अयोग में शिकायत करेंगे’।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले में ट्वीट कर कहा कि, ‘ माननीय शिवपाल सिंह यादव जी की सुरक्षा श्रेणी को कम करना आपत्तिजनक है। साथ ही ये भी कहना है कि पेंडुलम समय के गतिमान होने का प्रतीक है और वो सबके समय को बदलने का संकेत भी देता है और ये भी कहता है कि ऐसा कुछ भी स्थिर नहीं है जिस पर अहंकार किया जाए।’
माननीय शिवपाल सिंह यादव जी की सुरक्षा श्रेणी को कम करना आपत्तिजनक है।
साथ ही ये भी कहना है कि पेंडुलम समय के गतिमान होने का प्रतीक है और वो सबके समय को बदलने का संकेत भी देता है और ये भी कहता है कि ऐसा कुछ भी स्थिर नहीं है जिस पर अहंकार किया जाए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 28, 2022
अखिलेश के ट्वीट का जवाब देते हुए राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया कि, ‘शिवपाल सिंह यादव को भतीजे अखिलेश यादव और सपा के अपराधियों से खतरा था। अब दोनों में मिलाप हो गया है तो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा टल गया है, फिर भी उन्हें वाई श्रेणी सुरक्षा उपलब्ध है, यदि उन्हें सुरक्षा की समस्या है तो अवगत कराएं। जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी’।
श्री शिवपाल सिंह यादव जी को भतीजे श्री अखिलेश यादव और सपा के अपराधियों ख़तरा था अब दोनों में मिलाप हो गया है तो सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा टल गया है,फिर भी उन्हें वाई श्रेणी सुरक्षा उपलब्ध है,यदि उन्हें सुरक्षा की समस्या है तो अवगत करायें,जाँच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी!
— Keshav Prasad Maurya (मोदी का परिवार) (@kpmaurya1) November 28, 2022
बता दें कि शिवपाल और अखिलेश के बीच अनबन की खबरें 2017 में सामने आई थी। इसके बाद शिवपाल ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी और 2018 में प्रसपा का गठन किया था। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव 2022 में शिवपाल यादव और अखिलेश एक साथ चुनाव लड़े थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद दोनों के बीच एक बार फिर अनबन की खबरें सामने आई थीं।