गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान से पहले सत्ताधारी बीजेपी सरकार ने मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है। गुजरात सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा कर दी है। शनिवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यूसीसी को लेकर प्रस्ताव पेश किया गया और कैबिनेट ने इसके लिए एक कमेटी का गठन करने का फैसला किया। गुजरात में यूसीसी के लिए बनने वाली समिति का प्रमुख कौन होगा, इसका ऐलान अभी नहीं हुआ है। कैबिनेट ने समिति के गठन की जिम्मेदारी सीएम भूपेंद्र पटेल को दी है। यह समिति विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करते हुए राज्य में समान नागरिक संहिता को किस तरीके से लागू किया जाए, उसकी संभावनाएं तलाशेगी।
कैबिनेट बैठक के बाद राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक समिति बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।
Gujarat | Under the leadership of PM Narendra Modi & Union HM Amit Shah, CM Bhupendra Patel has taken a historic decision in the cabinet meeting today – of forming a committee for implementing the Uniform Civil Code in the state: Gujarat Home Minister Harsh Sanghavi pic.twitter.com/rC5vhRNs5U
— ANI (@ANI) October 29, 2022
उसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ट्वीट कर बताया कि “राज्य में एक समान नागरिक संहिता की जरूरत की जांच करने और इस कोड के लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के लिए राज्य कैबिनेट की बैठक में आज एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है”।
રાજ્યમાં સમાન સીવીલ કોડ (Uniform Civil Code)ની આવશ્યકતા ચકાસવા તથા આ કોડ માટેનો મુસદ્દો તૈયાર કરવા સુપ્રિમ કોર્ટ/હાઇકોર્ટના નિવૃત્ત ન્યાયાધીશશ્રીની અધ્યક્ષતામાં ઉચ્ચકક્ષાની સમિતિની રચના કરવાનો મહત્વપૂર્ણ નિર્ણય આજે રાજ્ય મંત્રીમંડળની બેઠકમાં લેવામાં આવ્યો છે.
— Bhupendra Patel (Modi Ka Parivar) (@Bhupendrapbjp) October 29, 2022
An important decision has been taken today in state cabinet meeting to form a high-level committee under chairmanship of a retired Supreme Court/HC judge to examine the need for a Uniform Civil Code in the state and prepare a draft for this code, tweets Gujarat CM Bhupendra Patel https://t.co/UkdNF1fVYz pic.twitter.com/tGUjOB7y85
— ANI (@ANI) October 29, 2022
केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने गुजरात सरकार के यूनिफॉर्म सिविल कोड की दिशा में पहल का स्वागत किया और कहा कि गुजरात से पहले एक राज्य ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की दिशा में कदम बढ़ाया हुआ है और अब गुजरात ने इसे लागू करने का फैसला किया है, ये स्वागत योग्य है। उन्होंने आगे कहा कि गुजरात ने ऐसा करके देश को यूनिफॉर्म सिविल कोड की तरफ ले जाने की एक शुरुआत की है।
‘यूनिफार्म सिविल कोड’ बीजेपी के एजेंडे में हमेशा से है शामिल-
बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौराम अपने घोषणा पत्र में ‘कॉमन सिविल कोड’ को शामिल था। यह एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से चर्चा में रहा है। भगवा पार्टी का ऐसा मानना है कि लैंगिंग समानता तभी आएगी, जब इसे लागू किया जाएगा। बीजेपी ‘कॉमन सिविल कोड’ के मुद्दे को धीरे-धीरे आगे बढ़ा भी रही है। बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड के बाद अब गुजरात ने इसको लागू करने की पहल की है और अन्य बीजेपी शासित राज्य भी इसे लागू करने की इच्छा जता चुके हैं।
‘यूनिफार्म सिविल कोड’ को लेकर बीजेपी शासित राज्यों का क्या स्टैंड है?
उत्तराखंड: राज्य में चुनाव से पहले यूसीसी लागू करने की घोषणा की गई थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को छह महीने में रिपोर्ट देने को कहा था। कमेटी ने 8 सितंबर,2022 को एक वेबसाइट लॉन्च कर जनता से सुझाव मांगे। अभी तक करीब 3.5 लाख से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं। कमेटी के पास अभी चार महीने और शेष हैं।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इसी साल अप्रैल में कहा था कि राज्य सरकार ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ लाने पर विचार कर रही है। हालांकि अभी तक राज्य सरकार ने इसे लेकर कोई पहल नहीं की है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में ‘यूनिफार्म सिविल कोड’ की घोषणा होने के समय इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि हम भी अपने यहां लागू करेंगे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ‘यूनिफार्म सिविल कोड’ को लेकर कहा था कि इसी तरह की कवायद हम भी अपने राज्य में करेंगे।
‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ को लेकर केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है-
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि “केंद्र सरकार संसद को ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है क्योंकि कानून बनाने की शक्ति विधायिका के पास है”। केंद्र सरकार ने ये हलफनामा अश्विनी उपाध्याय की ओर से दाखिल एक याचिका के जवाब में दायर किया था। अश्विनी उपाध्याय की याचिका में उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, विवाह, तलाक, रखरखाव और गुजारा भत्ता को विनयमित करने वाले व्यक्तिगत कानूनों में एकरूपता की मांग की गई थी।
‘यूनिफार्म सिविल कोड’ को लेकर मुसलमानों की क्या है राय?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने ‘यूनिफार्म सिविल कोड’ लागू करने को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम बताया है। लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से कहा है कि वे इस मुद्दे को बिल्कुल तूल न दें। इस विषय पर किसी तरह के प्रदर्शन की कोई जरूरत नहीं है। पर्सनल लॉ बोर्ड की मार्च 2022 में लखनऊ में हुई बैठक में ये बातें कही गई थी। बोर्ड का कहना था इसके लागू होने से सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिन्दु भी प्रभावित होंगे।
आखिर ये ‘यूनिफार्म सिविल कोड’ होता क्या है?
‘यूनिफार्म सिविल कोड’ यानी ‘समान नागरिक संहिता’- इसका अर्थ है कि ‘सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम’। आसान शब्दों में समझें तो भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। इसके लागू होने पर शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बंटवारे सभी में एक समान ही कानून लागू होगा, जिसका पालन सभी धर्मों के लोगों को करना अनिवार्य होगा।
मालूम हो कि हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ का समर्थन किया था जबकि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसका विरोध किया था।