हमेशा से गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है लेकिन इस साल ये पावन पर्व दिवाली के दूसरे दिन नहीं, बल्कि तीसरे दिन मनाया जा रहा है। ज्योतिषियों का कहना है कि तकरीबन 27 साल बाद यह परंपरा टूट रही है. इस साल सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाई जा रही है. इस पर्व को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता हैं।
इस साल से पहले दिवाली पर 24 अक्तूबर 1995 को सूर्यग्रहण लगा था और गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट पर्व दिवाली के अगले दिन न होकर उसके अगले दिन मनाया गया था।
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय को पूजने की परंपरा है। गोवर्धन पूजा के दिन विभिन्न तरह के पकवानों से भगवान् श्रीकृष्ण को भोग लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इन पकवानों को ही ‘अन्नकूट’ कहते हैं। अन्नकूट का अर्थ होता है अन्नों का समूह। इसमें तरह तरह के पकवान, पूरी, चावल, सब्जियां, खीर इत्यादि का भोग लगाया जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन घर की महिलाएं गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की मूर्ति आकृति, भगवान श्रीकृष्ण और ग्वाल बाल की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करती हैं।
क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा ?
गोवर्धन पूजा को मनाने के पीछे की कहानी कुछ ऐसी है कि एक बार की बात है जब बृज में बहुत अधिक वर्षा होने के कारण गांव के लोग बहुत परेशानी का सामना कर रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और फिर गोवर्धन पर्वत के नीचे बृज में रहने वाले लोग, पशु-पक्षी सभी अपने को बचने के लिए भगवान् श्रीकृष्ण की शरण में आ गए थे। उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा मनाने शुरूआत हुई।
अन्नकूट पर्व के बारे में क्या है मान्यता?
अन्नकूट पर्व मनाने से लोगों को दीर्घायु होने और आरोग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस पर्व के कोई व्यक्ति दुखी रहता है तो वह पूरे साल भी दुखी ही रहेगा।
गोवर्धन पूजा का प्रात: काल का मुहूर्त-
सुबह 06.36 बजे से 08.02 बजे तक तुला लग्न है। इस समय को सर्वोत्तम मुहूर्त माना गया है। इसकी अवधि 1 घंटे 28 मिनट की है।
गोवर्धन पूजा का सायंकाल का मुहूर्त-
शाम 3.43 बजे से 5.11 बजे तक। यह मीन लग्न है। इस समय को भी बहुत शुभ माना गया है. इसकी अवधि 1.28 मिनट की है।