नई दिल्ली: राज्यसभा सचिवालय के एडिशनल डायरेक्टर भूपेंद्र भास्कर के द्वारा एक सूचना जारी करके बताया गया है वाराणसी की संस्था मानवाधिकार जननिगरानी के द्वारा स्वास्थ्य और फूड रेगुलेशन पर कुछ सुझाव रखें गये थे जिसका जबाव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और FSSAI से लेने के बाद मानवाधिकार जननिगरानी समिति के संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी को अवगत करवाया गया। इस साल के अप्रैल महीने में डॉ लेनिन रघुवंशी ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI ) द्वारा भारत मे सभी पैकेट बंद खाद्य पदार्थो पर वार्निंग लेबल के साथ फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग (FOPL) नियामक को अनिवार्य रूप से तत्काल लागू करने की माँग माननीय प्रधानमंत्री, संसदीय स्थायी समिति – स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी समिति के अध्यक्ष, सदस्यों, राजनैतिक दल, संसद सदस्य से पत्र के माध्यम से हस्तक्षेप करने की अपील की थी। जिसके तहत उपभोक्ताओ से पैकेज्ड फूड के लिए अलग-अलग फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल धारणाओं पर सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन के संचालन के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया।
इसी कड़ी में आईआईएम अहमदाबाद ने साल की शुरुआत में आयोजित हितधारकों की बैठक में सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसने भारतीय उपभोक्ताओं की पहचान और समझ में आसानी और खरीद व्यवहार में बदलाव के सावधानीपूर्वक संयोजन को प्राप्त करने के लिए एक मॉडल के रूप में स्टार रेटिंग की सिफारिश की। इसके अलावा, इसी बैठक में संबंधित वैज्ञानिक पैनल द्वारा इन श्रेणियों के लिए भोजन के वर्गीकरण के साथ-साथ थ्रेसहोल्ड की भी सिफारिश की गई थी।
15 फरवरी को हुई बैठक के कार्यवृत्त FSSAI की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर वैज्ञानिक पैनल के साथ-साथ आईआईएम, अहमदाबाद द्वारा की गई सिफारिशों को मसौदा अधिसूचना के रूप में एफएसएस विनियमों में शामिल किया जाएगा, जिसे एफएसएसएआई की वेबसाइट पर रखा जाएगा।
मई, 2022 को दिल्ली के गाँधी पीस फाउंडेशन मे “बच्चों के पोषण अधिकार और पैकेज फूड लेबलिंग” के मुद्दे पर आयोजित राष्ट्रीय बहु-हितधारक संवाद में भागीदारी करते हुये एम्स ऋषिकेश के डॉ प्रदीप अग्रवाल ने नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के परिणामों को खतरे की घंटी बताते हुए कहा कि “भारत जल्द ही मधुमेह और बच्चों में मोटापे की वैश्विक राजधानी बनने का अंवाछनिय उपलब्धि हासिल करने वाला है। देश में सभी प्रकार के एनसीडी तेजी से बढ़ रहे हैं। एम्स द्वारा भारत के चारों कोनों से किए गए एक अवलोकन अध्ययन में पाया गया है कि लोगों को चेतावनी लेबल से सबसे ज्यादा फायदा होगा।”