भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 6 अगस्त को संसद के दोनों सदनों – राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों की निर्धारित वोटिंग की जरूरत नहीं भी पड़ सकती है अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा और उसकी अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानि एनडीए सरकार इसके लिए विपक्षी दलों के साथ आम सहमति से कोई प्रत्याशी तय कर ले। निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 5 जुलाई को जारी करेगा और छह से 19 जुलाई तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे। नामांकन पत्रों की जांच 20 जुलाई को होगी और 22 जुलाई तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे।
वोटिंग की दरकार हुई तो वह छह अगस्त को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कराई जाएगी। उसी दिन कांटिंग पूरी कर परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। भारतीय संविधान के तहत उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा इस चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित उम्मीदवारों के नामों की कोई खास चर्चा नहीं हुई है। इस चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को ही जटिल आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से वोट डालने का अधिकार प्राप्त है। हर सदस्य केवल एक वोट डाल सकता है। एनडीए को दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत हासिल है इसलिए उसके चुने प्रत्याशी की जीत निश्चित है। इसके मद्देनजर विपक्षी दल शायद ही अपना कोई उम्मीदवार खड़ा करने की सोचे।
कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यानि यूपीए और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस यानि टीमसी समेत अन्य विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति चुनाव निर्विरोध नहीं होने दिया तो इसका कारण यह है कि इसके निर्वाचक मण्डल में एनडीए को बहुमत प्राप्त नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मण्डल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के अलावा देश के सभी 29 राज्यों के विधान मण्डल के सदस्य और मौजूदा 3 केंद्र शासित प्रदेशों के विधायक वोटर है और उसमें विपक्षी दलों को अभी करीब दो फीसद की बढ़त प्राप्त है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए ने ऑडिसा की आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया जो राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बीजू जनता दल यानि बीजेडी और भाजपा की विगत में बनी गठबंधन सरकार में मंत्री रहने के अलावा झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी है। संयुक्त विपक्ष ने भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि आईएएस के पूर्व अधिकारी और केंद्र में तीन माह टिकी चंद्रशेखर सरकार और दो बार बनी अटल बिहारी वाजपेई सरकार में वित्त और फिर विदेश मंत्री रहे थे।बाद में वह भाजपा छोड़ कर टीएमसी में आकर उसके उपाध्यक्ष हो गए। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए टीएमसी से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग 18 जुलाई को होगी और 21 जुलाई को उसके परिणाम घोषित किये जाएंगे।
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद देश के प्रधानमंत्री बने मोदी जी पिछले करीब आठ बरस से अप्रत्याशित फैसले लेते रहे हैं।शायद उन्हें और सबको चौंकाने में आनंद आता है। सियासी हल्कों में चर्चा कि मोदी जी उपराष्ट्रपति चुनाव में भी चौंकाने वाला कोई ऐसा फैसला लेंगे जो पहले के उपराष्ट्रपति चुनाव में कभी नहीं हुआ हो। चर्चा है कि मोदी जी राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार आदिवासी महिला को उम्मीदवार बनाने के बाद किसी महिला को ही उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बना दे। इस सिलसिले में अनुसुइया उइके की चर्चा है जिनका नाम राष्ट्रपति पद संभावित उम्मीदवारों में शामिल था। मध्य प्रदेश में 10 अप्रैल 1957 को पैदा हुईं अनुसुइया उइके भाजपा की नेता , राज्यसभा सदस्य रही हैं और 16 जुलाई 2019 से छत्तीसगढ़ की राज्यपाल हैं। देश में अभी तक कोई महिला उपराष्ट्रपति नहीं चुनी गई हैं। इसके भी कयास लग रहे हैं कि मोदी जी किसी सिख या अल्पसंख्यक को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना पसंद करें। देश में मुस्लिम उपराष्ट्रपति तो हुए हैं लेकिन इस पद पर कभी कोई सिख नहीं रहा है।
राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं। लेकिन वे उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट दे सकते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के जो 790 निर्वाचक वोट डाल सकेंगे उनमें राज्यसभा के चुने हुए 233 सदस्य और 12 मनोनीत सदस्यों के अलावा लोकसभा के चुने हुए 543 सदस्य और दो मनोनीत सदस्य भी हैं।
उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का जन्मना नागरिक होना अनिवार्य है। उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 बरस की होनी चाहिए और वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हो। उसे उस किसी राज्य या केंद्र शासित क्षेत्र का वोटर होना भी अनिवार्य है। जो कोई भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन या अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन लाभ के पद पर हो वह प्रत्याशी नहीं हो सकता है। उम्मीदवार को संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए। अगर वह किसी सदन का सदस्य है तो उसे उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी सदस्यता छोड़नी पड़ेगी।
नायुडु
भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति मुप्पवरपु वेंकय्य नायुडु का जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम में एक कम्मू यानि कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका विवाह 1970 में उषा से हुआ। उनकी संतान में एक पुत्री , दीपा वेंकट और एक पुत्र, हर्ष वर्धन नायडू हैं। नायडू को एनडीए ने 17 जुलाई 2017 को पिछले उपराष्ट्रपति पद चुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित किया था। उन्होंने 5 अगस्त 2017 को हुई वोटिंग में यूपीए प्रत्याशी गोपालकृष्ण गाँधी को पराजित किया था। उन्होंने भारत के तेरहवें उपराष्ट्रपति के रूप में 11 अगस्त 2017 को यह पदभार संभाला था।
उन्होंने राजनीति और राजनयिक अध्ययन में स्नातक शिक्षा पूरी कर आन्ध्र विश्वविद्यालय ( विशाखापत्तनम) से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की।वह 1974 में आंध्र विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होने लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानि जेपी से प्रभावित होकर कांग्रेस की इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में 25 जून 1975 को लागू आंतरिक आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए।
वह 2002 से 2004 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे और नरेन्द्र मोदी सरकार में शहरी विकास, आवास और संसदीय कार्य मंत्री रहे।वह दो बार 1978 और 1985 में आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। वह 1980-1985 में आंध्र प्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता , 1988-1993 में आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और 1998 के बाद कर्नाटक से राज्यसभा के तीन बार सदस्य रहे।
नायडू अपनी मातृभाषा तेलुगु के साथ ही हिन्दी और अंग्रेजी में बोलते हैं। अगस्त 2017 में उनकी एक पुस्तक ‘ टायरलेस वॉयस रिलेन्टलेस जर्नी ‘का विमोचन हुआ था। फरवरी 2018 में उनकी पुस्तक ‘मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड, वन ईयर इन ऑफिस ‘प्रकाशित हुई थी। अगस्त 2019 में उनकी पुस्तक ‘लिस्निंग, लर्निग एंड लीडिंग’ छपी।
भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद दूसरा सबसे बड़ा पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेते हैं। वह इस पद पर अन्य लाभ के किसी पद पर नहीं रह सकते हैं। जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 65 के तहत कार्यवाहक राष्ट्रपति रहते हैं उस अवधि के दौरान वे राज्यसभा सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे और अनुच्छेद 97 के तहत राज्यसभा सभापति को देय वेतन-भत्ते का भी हकदार नहीं होंगे।
राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जिस तारीख को ऐसी रिक्ति को भरने के लिए इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करता है।
जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है। उपराष्ट्रपति को उस अवधि के दौरान और उस अवधि के संबंध में जब वह राष्ट्रपति के रूप में इस प्रकार कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी तथा वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का जो संसद, विधि द्वारा अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का जो दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट हैं हकदार होगा।
उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षरित पत्र से इस्तीफा दे सकता उपराष्ट्रपति, महाभियोग के तहत राज्यसभा के ऐसे प्रस्ताव के जरिए इस पद से हटाया जा सकता है जिसे सदन के उस समय के सभी सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोकसभा सहमत हो। महाभियोग का ऐसा कोई प्रस्ताव सदन में पेश करने के कम से कम चौदह दिन की नोटिस देनी अनिवार्य है।
उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तबतक पदासीन रहेंगे जब तक उनका उत्तराधिकारी यह पद ग्रहण नहीं कर लेते है। उपराष्ट्रपति की पदावधि समाप्ति से हुई रिक्ति भरने के लिए चुनाव , पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाएगा और रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा। उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
उपराष्ट्रपतियों की सूची
1 सर्वपल्ली राधाकृष्णन 13 मई 1952 -14 मई 1957
2 जाकिर हुसैन 13 मई 1962-12 मई 1967
3 वीवी गिरी 13 मई 1967- 3 मई 1969
4 गोपाल स्वरूप पाठक 31 अगस्त 1969-30 अगस्त 1974
5 बीडी जत्ती 31 अगस्त1974-30 अगस्त 1979
6 मोहम्मद हिदायतुल्ला 31 अगस्त 1979 -30 अगस्त 1984
7 रामस्वामी वेंकटरमण 31 अगस्त 1984-27 जुलाई 1987
8 शंकर दयाल शर्मा 3 सितम्बर 1987-24 जुलाई 1992
9 केआर नारायणन 21 अगस्त 1992-24 जुलाई 1997
10 कृष्ण कान्त 21 अगस्त 1997-27 जुलाई 2002
11 भैरोंसिंह शेखावत 19 अगस्त 2002-21जुलाई 2007
12 मोहम्मद हामिद अंसारी 11अगस्त 2007-19जुलाई 2017
13 वेंकैया नायडू 11 अगस्त 2017 से 10 अगस्त 2022
* सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाडी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता और पुस्तक लेखन करते हैं.