1984 सिख नरसंहार के दौरान दो सिखों को जिंदा जलाने के मामले में सरस्वती विहार थाने में दर्ज प्राथमिकी संख्या 458/91 में सज्जन कुमार को जमानत मिलने पर सियासत गर्मा गई है। जागो पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने इस मुद्दे पर बोलते हुए दिल्ली कमेटी प्रबंधन पर निशाना साधा और कई सवाल पूछे हैं। जीके ने पूछा कि क्या आप सरकार की गोद में सौदे करने के लिए बैठे हों या कौम के हत्यारों को दंडित करवाने के लिए ? आपने मेरे कमेटी से जाने के बाद त्रिलोकपुरी हत्याकांड के 88 हत्यारों को जमानत क्यों दिलवाई ? आपके वकील ने कोर्ट में आकर इस हत्याकांड के बड़े मगरमच्छ सज्जन कुमार की जमानत का विरोध क्यों नहीं किया ? क्या आपने सज्जन कुमार से उसे फरलो दिलवाने का सौदा किया है ? क्योंकि अब उसको फरलो मिलने की बाधा दूर हो गई है। जीके ने अफसोस जताया कि मेरी टीम ने 1984 के इंसाफ प्राप्ति की जिस राह को बड़ी मेहनत से आसान किया था, वो राह आज टूटने के कगार पर है।
जीके ने खुलासा किया कि पिछली पांच तारीखों (22 फरवरी, 9 मार्च, 29 मार्च, 19 अप्रैल और 27 अप्रैल) को शिकायतकर्ता के वकील गुरबख्श सिंह इस मामले में पेश नहीं हुए और न ही वरिष्ठ वकील हरविंदर सिंह फुलका की हाजरी दर्ज है। क्योंकि माननीय न्यायाधीश एम.के. नागपाल की अदालत के 27 अप्रैल 2022 के 29 पन्नों के फैसले में शिकायतकर्ता के वकीलों की पेशी और दलीलों का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि मेरे समय तक दिल्ली कमेटी के वकील पीड़ितों की तरफ से कोर्ट में पेश होते थे। क्या यह ‘जमानत फिक्सिंग’ का मामला है? क्योंकि अदालत के आदेश से पता चला है कि इस मामले में सज्जन कुमार को उनकी संभावित फरलो के लिए जमानत की आवश्यकता थी। सज्जन कुमार जो 2018 से जेल में बंद हैं, अब दिल्ली सरकार के पास किसी भी समय फरलो के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र हैं और कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर भी आ सकता है। यह उसे जेल से बाहर निकलने का रास्ता देने जैसा है।
क्या मामला है?
उल्लेखनीय है कि नवंबर 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार पर नेताजी सुभाष प्लेस इलाके में रहने वाले पिता-पुत्र जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में भीड़ को भड़काने का आरोप लगा था और 1991 में इस मामले की जांच के बाद जांच आयोग के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन कांग्रेस शासन के दौरान सज्जन कुमार के खिलाफ कार्रवाई ठंडी रही। हालांकि दिल्ली कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके द्वारा 2014 में केंद्र सरकार द्वारा गठित एसआईटी के समक्ष दायर मामलों में इस मामले को उठाने के बाद पीड़ित-शिकायतकर्ता के बयान तब एसआईटी के जांच अधिकारी के द्वारा 2016 में दर्ज किए गए थे। लेकिन जीके के द्वारा दिल्ली कमेटी छोड़ने के बाद 19 दिसंबर 2021 को दिल्ली कमेटी के तत्कालीन महासचिव हरमीत सिंह कालका और लीगल सेल के चेयरमैन जगदीप सिंह काहलों ने मीडिया को एक बयान जारी कर दावा किया था कि सज्जन कुमार को इस मामले में सजा मिलनी तय हो गई है लेकिन अब सजा सुनाने के दावों के बीच सज्जन कुमार ने इस मामले में जमानत ले ली है। हालांकि पुराने मामले में जेल में बंद होने के कारण अब उनकी रिहाई फरलो के कारण ही संभव हो पाएंगी।