प्रयागराज: जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने माघ मेले में फैली अव्यवस्था को लेकर शासन और प्रशासन पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि माघ मेले के दो स्नान पर्व बीत चुके हैं। लेकिन अभी भी साधु संत और कल्पवासी मेले में सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं। मेला प्रशासन कार्यालय जाने पर उन्हें बजट की कमी बताई जाती है। जबकि सरकार कह रही है कि बजट की कोई कमी नहीं है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि अगर वास्तव में बजट की कमी है तो प्रशासन इसकी जानकारी संतो को सार्वजनिक करे। संत इसके लिए चंदा कर फंड इकट्ठा करेंगे और मेले की व्यवस्था के लिए प्रशासन को सौंपेंगे।
उन्होंने कहा है कि जब अर्ध कुंभ को कुंभ किया जा सकता है। तो संत समाज ये मानता रहा है कि माघ मेले का स्वरूप भी अर्ध कुंभ से कम नहीं होगा। इसेअर्ध कुंभ की तरह ही आयोजित किया जाएगा। लेकिन जिस तरह की अव्यवस्था मेले में देखने को मिल रही है, उसे शासन और प्रशासन की विफलता ही कहा जाएगा। इसके साथ ही साथ गंगा नदी में पानी का अनिश्चित प्रवाह छोड़े जाने को लेकर भी उन्होंने मेला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि गंगा पर सरकारों ने बांध बनाकर नियंत्रण कर रखा है। माघ मेले के समय अनिश्चित प्रवाह से तमाम कैंपों में पानी भर रहा है। जिससे साधु-संतों और कल्पवासियों को परेशानी हो रही है।
वहीं कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि शासन प्रशासन द्वारा ओमीक्रोन को लेकर स्पष्टता होनी चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर ओमीक्रोन का खतरा है भी या नहीं है। मेला क्षेत्र में कोरोना के खतरे के नाम पर मास्क न पहनने पर हजारों का चालान किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी कोरोना संक्रमण को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। इसलिए मेला प्रशासन को इस मामले में भी लोगों को सही जानकारी देनी चाहिए।