प्रयागराज: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद सियासत गरमा गई है। भाजपा जहां इसे बड़ी सफलता मान रही है, वहीं सपाई दो टूक कह रहे हैं, कि अपर्णा यादव के जाने से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि राजनीति में अपर्णा का कोई नाम नहीं है। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष योगेश यादव का कहना है कि अपर्णा यादव के पास तो कोई पद भी नहीं था। कभी वह चुनाव प्रचार में यहां आईं भी नहीं। पार्टी के बड़े कार्यक्रमों में भी वह कभी नहीं दिखीं। पार्टी में उनको कभी कोई पद नहीं दिया गया। एक तौर से राजनीतिक क्षेत्र में उनकी कोई लोकप्रियता नहीं है। वह तो शुरू से ही भाजपा के पक्ष में बोलती रहती थीं। ऐसे में हमेशा यही माना जाता रहा कि वह भाजपा में हैं। इसीलिए तो पार्टी की बैठकों में उनको शामिल नहीं किया जाता था। उनके भाजपा में जाने से कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं, समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग के प्रदेश सचिव नंदलाल निषाद नंदा का कहना है कि अपर्णा यादव अक्सर भाजपा का गुणगान करती थीं। वह तो कभी पार्टी में थीं ही नहीं। पार्टी ने कभी उनको कोई पद तक नहीं दिया था। महत्वपूर्ण बैठकों के साथ ही शीर्ष नेतृत्व की बैठक, चुनावी रैलियों में भी कभी उनको शामिल नहीं किया जाता था। उनका कोई जनाधार भी नहीं है। कभी वह यहां प्रचार के लिए तक नहीं आईं।
ऐसे में भाजपा में जाने से सपा पर तनिक भी असर नहीं पड़ेगा। वहीं सपा महानगर अध्यक्ष इफ्तेखार हुसैन ने कहा कि अपर्णा यादव लखनऊ कैंट से पिछला चुनाव भाजपा नेता रीता बहुगुणा जोशी से ही हारी थी।आम जनता में उनकी कोई स्वीकार्यता भी नहीं है। पार्टी में कोई पद भी नहीं है। सपा महानगर के प्रवक्ता मोहम्मद अस्करी ने कहा कि वह कोई बड़ी नेता नहीं है।सपा की राजनीति में वह सक्रिय भी नहीं थी।इस लिए उनके जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।उधर भाजपा नेताओं ने कहा कि उनके भाजपा में शामिल होने का मतलब है लेकिन सपा अपने कुनबे को ही नहीं सम्भाल पा रही है। भाजपा महानगर अध्यक्ष गणेश केशरवानी ने कहा कि भाजपा में सबका सम्मान है। जो लोग आ रहे हैं, पार्टी उनका स्वागत करती है। रही बात सपा की तो वह अपना कुनबा नहीं बचा पा रही है जबकि इसके मुखिया दूसरे दल के नेताओं को अपना बनाने का दावा कर रहे हैं।