वाराणसी: धार्मिक नगरी के तौर पर अपनी विश्व में अलग पहचान रखने वाली महादेव की नगरी काशी या बनारस जो आप कहना चाहे। आज विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की गुंडागर्दी देखने को मिली जब गंगा के घाटों पर विवादास्पद पोस्टर चिपका कर गैर हिंदुओं को आने से मना करते बांटने वाली बात की गई। इससे पहले 25 दिसंबर को भी विश्व हिंदू परिषद ने शहर के होटल व्यवसायियों को धमकी दी थीं। लेकिन आज की इस घटना और संगठन की तरफ से जारी चेतावनी के बाद ये साफ हो गया है की ये संगठन एक सोची समझी रणनीति के तहत शहर के माहौल को खराब करके किसी को फायदा पहुंचाना चाहते है।
काशी प्रेम और सौहार्द की धरती, जहाँ 1991 के बाद कोई दंगा नहीं हुआ, शहर अपनी अपन और चैन की विरासत के साथ कला संस्कृति की नगरी के कारण पहचाना जाता है। आज अचानक क्यों इस तरह से करवट ले रहा है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की कमान किसके साथ हैं। ये बताने की जरूरत नहीं। पोस्टर लगाने के बाद ये भी कहा गया है, गंगा घाटों के अलावा मंदिरों में ऐसे पोस्टर लगाने की योजना है।
सुबहे बनारस की खूबसूरती में अपने संगीत की मिठास से चार चांद लगाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई पर कुर्बान देश और गंगा के इन किनारे ने भी कभी हिन्दू और मुसलमान की बात नहीं पूछी फिर ये जुर्रत आखिर क्यों ???
काशी के पंचगंगा घाट, रामघाट, मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध से अस्सी घाट तक विहिप व बजरंग दल द्वारा पोस्टर लगाए गए हैं। जिनमें साफ तौर पर लिखा गया है कि काशी के गंगा घाट पर गैर-हिंदू का प्रवेश वर्जित है। इन पोस्टरों के लगने के बाद अब विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल ने पूरे काशी के मंदिरों में ऐसे पोस्टर लगाने की बात कही है।
सभी धर्मों का पालन करने वाले लोग अपने- अपने धर्म स्थल में ही पूजा करने जाते है, बहुत अपवाद में ही लोग आस्था के कारण कही आते जाते हैं। फिर इस तरह के पोस्टर का मकसद सिर्फ ध्रुवीकरण और वोट बैंक की राजनीति करना हैं।
अभी तक पुलिस ने इस घटना में शामिल बजरंग दल के काशी महानगर संयोजक निखिल त्रिपाठी, विश्व हिंदू परिषद महानगर अध्यक्ष कन्हैया सिंह, राजन गुप्ता के खिलाफ कोई कारवाई नहीं कि हैं।
दबी जुबान से लोगों का कहना है कि बीजेपी इस तरह से उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतना चाहती हैं, इसलिए योगी और बीजपी के आला कमान के इशारे पर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस तरह की घटना हुई है।
साफतौर पुलिस भी इस मामले पर बोलने से बच रही है। हालांकि, पुलिस के द्वारा इन पोस्टरों को हटाने का काम किया जा रहा है। लेकिन माहौल बिगाड़ने और धमकी जैसी घटना के बाद भी कोई FIR अभी तक नहीं हुई हैं।
ये वहीं पुलिस है जो मीडिया रिपोर्ट में प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव जियापुर की बदहाली दिखाने पर तुरंत हरकत में आ जाती हैं। लेकिन वाकई में गुंडागर्दी और बलवा करने पर चुप्पी साध लेती हैं।