नई दिल्ली: अपनी सजा पुरी करने के बावजूद पिछले लंबे समय से जेलों में बंद बंदी सिखों की रिहाई के लिए पंथदर्दीयों की तरफ से अरदास की गई। बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के बाहर एकत्र हुए विभिन्न संगठनों से संबंधित सिखों ने गुरु हरिगोबिंद साहिब के चरणों में बंदी सिखों की जल्द रिहाई की विनती की। यह माना जाता है कि मुगल बादशाह जहांगीर की कैद से 52 राजाओं को अपने साथ रिहा करवाकर गुरु हरिगोबिंद साहिब जी दीवाली के दिन श्री दरबार साहिब, अमृतसर पहुंचे थे। उसी वजह से दीवाली वाले दिन बंदी छोड़ दिवस मनाने का चलन शुरू हुआ था।
इस मौके अरदास दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व मीडिया सलाहकार परमिंदर पाल सिंह ने की। मीडिया से बातचीत करते हुए दिल्ली कमेटी के निवर्तमान सदस्य चमन सिंह शाहपुरा ने अफसोस जताया कि हमारी लीडरशिप में कमी की वजह से आज सिख बंदी रिहा नहीं हो पा रहें। बेवजह सिख कैदियों के जेलों में बंद होने के पीछे सियासी नेताओं की अपने निजी स्वार्थों के लिए जुबान बंद होना भी बड़ा कारण है।
परमिंदर पाल सिंह ने बताया कि आमतौर पर जेलों में बंद कैदियों को अच्छे आचरण के कारण सजाओं में कमी तथा पैरोल आदि मिल जाती हैं। पर सिख कैदियों को उनका यह हक देने में भी जेल प्रशासन आनाकानी करता हैं। ऊपर से सीबीआई जांच वाले केसों आदि का बहाना बनाकर सिख कैदियों को जेल मेनुअल के तय नियमों के पालन से बाहर किया जाता हैं। इस मौके अरदास में शामिल हुए तमाम सिख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार को सिख कैदियों की तत्काल रिहाई की मांग की।