अभी कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया के बहाने देश को यह सन्देश देने की कोशिश की गई थी कि देश के विपक्षी दल जन मुद्दों के अभाव में संघर्ष कर रहे हैं। विपक्ष की राजनीति पर लगा यह आरोप काफी हद तक सही भी है। इसी आरोप के आलोक में अगर विगत 23 अक्टूबर से शुरू की गई कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्रा शुरू करने पर उठाये गए मुद्दों की पड़ताल करें तो कहा जा सकता है कि यह पार्टी देर से ही सही जन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ने की कोशिश तो जरूर कर रही है।
ये सारे ऐसे मुद्दे हैं जो आम आदमी से सीधे जुड़े मुद्दे हैं। अपने संबोधन में प्रियंका गाँधी ने पेत्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों का उल्लेख करते हुए कह भी था कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस बहाने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया था।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के मुताबिक़ ध्यान देने और याद रखने की बात यह है कि सरकार हर रोज जनता को महंगे दाम पर पेट्रोल-डीजल बेच कर अब तक पेट्रोलियम पदार्थों से ही टैक्स के रूप में 23 लाख करोड़ रुपये कमा चुकी है। उधर दूसरी तरफ हर रोज जब महंगा तेल-सब्जी खरीदने की वजह से इस सरकार ने देश के 97 फीसद परिवारों की आय घटा दी है, पर सरकार के मुट्ठी भर खरबपति मित्र हर रोज 1000 करोड़ कमाते हैं। ‘जन मुद्दों को जानता के सामने रखने की गरज से ही कुछ दिन पहले प्रियंका गाँधी ने यह कहते हुए सरकार पर प्रहार किया था कि उसने चुनाव से पहले वादा तो हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई यात्रा कराने का किया था, लेकिन इस सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम ही इतने बढ़ा दिए कि कीमतों में इतनी बढ़ोतरी की है कि हवाई यात्रा करने वालों के लिए सड़क मार्ग से यात्रा करना ही मुसीबत बन गया।
इस चौतरफा महंगाई की मार से मध्यम वर्ग तो कहीं का नहीं रहा। उसके लिए तो सड़क मार्ग से भी यात्रा करना भी एक ऐसी विलासिता बन गया जिसे व्यवहार में लागू करने की बात वो सपने में भी नहीं सोच सकता है। संयोग से जिस दिन प्रियंका ने पेट्रोलियम पदार्थों की ऊंची कीमतों का यह मुद्दा उठाया था उसी दिन सरकारी आदेश के चलते डीजल और पेट्रोल की कीमतों में 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी और हो गई थी। उस दिन देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत बढ़कर 106.89 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत करीब 95.62 रुपये प्रति लीटर हो गई थी।
उस दिन मुंबई में पेट्रोल की कीमत 112.78 रुपये प्रति लीटर हो गई थी और, जबकि डीजल की कीमत 103.63 रुपये प्रति लीटर हो गई थी। दूसरे शहरों का भी कमोवेश यही हाल था।
कॉलेज जाने वाली लड़कियों को स्कूटी और समार्ट फ़ोन देने जैसी लोक लुभावन घोषणाओं को लेकर कुछ लोगों का कहना यह भी है कि उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश सरीखे राजनीतिक दृष्टि से संवदनशील और जागरूक समझे जाने वाले राज्य में जनता के ऊपर इस तरह के उपहार देने वाले वादों का कोई असर नहीं होता। राज्य का मतदाता राजनीतिक जरूरत के हिसाब से चुनाव में अपना वोट देता है। उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध में यह बात कुछ हद तक लागू भी होती है। आज से दो – तीन दशक पहले तक तो इस राज्य के मतदाता के बारी में यह बात दावे के साथ कही भी जाती थी कि उस पर किसी तरह के प्रलोभन का असर नहीं होता है। इधर हाल के वर्षों में इस राज्य के मतदाता की सोचने – समझने की शक्ति में बदलाव आया है।
उसे अब यह भी समझ में आने लगा है कि जिस पार्टी के शासन में उसके हितों का हनन हुआ है ऐसी सरकार बदलने में ही उसका फायदा है। इसी सोच के तहत मतदाता सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ वोट देने का मन बना ले। ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि अब उसे विपक्ष में भी एक विकल्प दिखाई देने लगा है। ऐसा हुआ तो कांग्रेस को भी अपने चुनाव पूर्व दिए वादे पूरे करने ही पड़ेंगे।
ये बात ठीक है कि अभी तक इस राज्य का मतदाता लुभावने वादों के प्रलोभन में नहीं गया है लेकिन दक्षिण भारत के चुनाव में यह आम बात हो गई है। प्रसंगवश यह जानकारी उल्लेखनीय है कि 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में द्रमुक नेता के स्टालिन ने सरकार बनने पर महिलाओं को सरकारी परिवहन बसों में मुफ्त यात्रा का वादा किया था। चुनाव जीतने के बाद द्रमुक सरकार ने इस वादे को पूरा करने की गरज से सब्सिडी के रूप में सरकारी राजस्व से 1200 करोड़ रुपये जारी भी किये थे। इससे पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में अन्ना द्रमुक सुप्रीमो जयललिता द्वारा किये गए वादों के मुताबिक़ सभी राशन कार्ड धारकों को मुफ्त सेलफोन, 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को को इंटरनेट सुविधा के साथ फ्री लैपटॉप, हर घर को 10 यूनिट बिजली मुफ्त, मातृत्व अवकाश में 18 हजार रुपये की मदद, लड़कियों की शादी पर 8 ग्राम सोना देने की योजनाओं को अमल में लाने की कोशिश की गई थी।