कुछ भी कहो , दिल्ली देश की राजधानी होने के नाते ही सही भारत के दूसरे राज्यों और महानगरों से थोड़ा अलग तो है ही। राज्यों के सन्दर्भ में बात करें तो दिल्ली न तो उत्तर प्रदेश – बिहार जैसे राज्यों की तरह पूर्ण स्वायत्त राज्य है, और न किसी जमाने के गोवा और हिमाचल प्रदेश जैसे केंद्र शासित राज्य का दर्जा ही इसे प्राप्त है।
दिल्ली, चंडीगढ़और लक्ष्य द्वीप जैसा केंद्र शासित क्षेत्र भी नहीं है। दिल्ली है तो केंद्र शासित क्षेत्र लेकिन वो भी अलग किस्म का दिल्ली विधानसभा युक्त एक ऐसा केंद्र शासित क्षेत्र है जहां अपनी सरकार तो है लेकिन सरकार के पास पुलिस नहीं है। दिल्ली की सरकार भी ऐसी है कि राज्य चलाने के 70 फीसदी मामले केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के पास हैं और दिल्ली का संरक्षक या कस्टोडियन उप राज्य पाल होता है जो केंद्र सरकार के इशारों पर काम करता है। हमारे संविधान में कहा गया है कि देश का राष्ट्रपति और राज्यों के राज्य पाल अपनी – अपनी सरकारों के संवैधानिक मुखिया होते हैं और वो मंत्रीपरिषद् की सलाह और सुझाव पर काम करते हैं लेकिन दिल्ली के मामले में उलटा है।
यहाँ राज्य सरकार यानी मंत्रिपरिषद को उप राज्यपाल की सलाह और मंत्रणा से काम करना पड़ता है। कई मामलों में तो विधानसभा का कामकाज भी दिल्ली के उपराज्य पाल ही तय करते हैं इन विशिष्टताओं के चलते ही दिल्ली का प्रशासनिक नाम भी एकदम अलग है और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कहा जाता है। यह नाम अपने आप में वैशिष्ट्यपूर्ण है इसलिए दिल्ली देश के दूसरे राज्यों और महानगरों से अलग है।
देश के मुंबई, कोलकाता और बंगलूरू जैसे महानगर भी कई मामलों में दिल्ली से अलग हैं और दिल्ली उन सब से अलग।अपनी इन्हीं विशिष्टताओं के चलते दिल्ली ने अपना एक अलग खेल विश्व विद्यालय भी शुरू कर दिया है। दिल्ली सारकार की पहल पर शुरू किये राज्य सरकार के स्वामित्व वाले देश के पहले खेल विश्व विद्यालय की पहली और संस्थापक कुलपति हैं पूर्व भारोत्तोलक और ओलिम्पिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी जो यह खेल विश्वविद्यालय इसी अकादमिक सत्र से काम करना शुरू कर देगा। वैसे मणिपुर में इसी तरह के एक राष्ट्रीय खेल विश्व विद्यालय की शुरुआत भी कुछ समय पहले हुई है लेकिन राज्य के स्वामित्व का यह संभवतः पहला खेल विश्वविद्यालय होगा।
जिसकी प्रथम और संस्थापक कुलपति की जिम्मेदारी एक पूर्व खिलाड़ी के रूप में कर्णम मल्लेश्वरी को दी गई है। यह
विश्वविद्यालय अगले साल अप्रैल 2022 से शुरू होने वाले शिक्षण सत्र में कक्षा 6 से 9 वीं तक के छात्र – छात्राओं को दाखिला देना शुरू करेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले साल 9वीं में इस खेल विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले छात्र और छात्राएं अगले पांच साल में परिपक्व खिलाड़ी बन जायेंगे और इन्हीं में से कई बाद में होने वाले ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर सकते हैं। शुरुआती दौर में यह खेल विश्व विद्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके के लुडलो स्पोर्ट् कैसल में अपनी शिक्षण और खेल गतिविधियों का संचालन करेगा।
विश्वविद्यालय की नव नियुक्त कुलपति कर्मण मल्लेश्वरी के मुताबिक़ विश्वविद्यालय की टीमें खेल क्षेत्रों की प्रतिभाओं की पहचान करने के लिए देश का दौरा करेंगी।इस खेल विश्व विद्यालय का पाठ्यक्रम इस तरीके से तैयार किया गया है की आने वाले समय में यहाँ के छात्र 18 या 19 साल की उम्र तक पहुँचने के साथ ही ओलंपिक के लिए भी तैयार हो जाएंगे। विश्वविद्यालय की कुलपति ने पिछले दिनों संवाददाताओं के साथ चर्चा में यह जानकारी देते हुए यह भी स्पष्ट किया था कि इस विश्वविद्यालय की एक अच्छी बात यह भी है कि इसमें कम उम्र में छात्रों को नामांकित करने और उन्हें ओलंपिक के लिए तैयार करने के लिए अलग से एक स्कूल होगा जिसमें कक्षा 6 से छात्रों को प्रवेश देना शुरू किया जाएगा और यहाँ के छात्र – छात्राएं अपनी जरूरत के मुताबिक़ पीएचडी स्तर तक पढ़ाई जारी रख सकते हैं। शुरू में सिर्फ 250 छात्र – छात्राओं के बैच से इस विश्व विद्यालयी खेल स्कूल में खेल की पढ़ाई शुरू होगी। इस विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के बारे में मोटे तौर पर यह जानकारी मिली है कि खेल विश्वविद्यालय में खेल के विषयों के साथ ही सम्बंधित खेल के इतिहास , उससे जुड़े वैज्ञानिक तत्व और तथ्य तथा राष्ट्रीय और वैश्विक प्रसंगों की भी व्यापक जानकारी छात्र की कक्षा और उसके आयु वर्ग की खेल शिक्षा के अनुरूप दी जाएगी।
इस खेल स्कूल की पढ़ाई का सिलसिला कुछ इस तरह होगा की पूरे दिन के शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम को इस तरह आयोजित किया जाएगा कि छात्र पढ़ते – पढ़ते बोर भी न हों और उनके सीखने की चाहत भी लगातार बनी रहे। इसके लिए पूरे पाठ्यक्रम को कुछ इस तरीके से डिजाइन किया जाएगा की छात्र सुबह की पाली में प्रशिक्षण के लिए जाएंगे, फिर नाश्ता करेंगे और इसके बाद तीन घंटे के लिए कक्षाएं होंगी, उसके बाद दोपहर का भोजन, कुछ आराम और शाम को प्रशिक्षण सत्र होंगे। विश्वविद्यालय दो से तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा। अभी सरकार के पास विश्वविद्यालय के लिए बस जमीन है और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए दो से तीन साल की जरूरत होगी और इसके लिए जिन खेल प्रतिभाओं की पहचान की है-
उनमें – शूटिंग, भारोत्तोलन, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, एथलेटिक्स, तैराकी और तीरंदाजी शामिल हैं हैं। खेल प्रतिभाओं की पहचान के लिए विश्वविद्यालय की टीमें उन क्षेत्रों का दौरा करेंगी, जिन्हें खेल बेल्ट माना जाता है, छात्रों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए परीक्षण और परीक्षण आयोजित करेंगे। प्रतिभाओं की पहचान के लिए विश्वविद्यालय कीविशेषज्ञ टीम जल्दी ही खेल बेल्ट का दौरा करेगी। इस विशेषज्ञ टीम की एक सदस्य में अनीता चानू भी हैं, जिनकी अकादमी से मीराबाई चानू ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। मीराबाई चानू ने 2021 के टोक्यो ओलंपिक में 49 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता था।