1972 से बनारस में चल रहे देश के सबसे बेहतरीन अन्धविद्यालय पर भू-माफिया नजर जमाये बैठें है। इस खेल का मास्टरमाइंड है स्थानीय व्यावसायिक प्रतिष्ठान किशन जालान का घराना। पूर्वांचल के इस मशहूर हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्धविद्यालय दुर्गाकुंड, को नेस्तनाबूद करके जालान के लिए मॉल बनाने की तैयारी है। ऐसा स्थानीय लोगों और विद्यालय के आसपास के लोगों का कहना है। लोगों का ये भी कहना है इस पूरे घटनाक्रम को काशी प्रान्त के संघ के पदाधिकारी और स्थानीय भाजपा नेताओं की मिलीभगत के कारण मजबूती मिली हुई है, क्योंकि जालान मोटा पैसा भाजपा के कार्यक्रम में संघ के प्रचारकों को फण्ड करता है। इसकी बानगी बनारस में जालान के खर्चे पर आने वाले दिल्ली से नेताओं की आवभगत और अन्य खर्चों की लिस्ट है। इसकी पुष्टि संघ के लोगों ने दबी जुबान से की है। इसलिए इस अमानवीय हरकत पर कुछ बोलने को कोई तैयार नहीं। बच्चों की तरफ संवेदना होने के बाद भी अपने पार्टी और संगठन के विपरीत जाने की हिम्मत किसी में नहीं जो सामने आकर इस का प्रतिरोध कर सकें।
तक्षकपोस्ट ने इस मामलें में आधिकारिक बयान के लिए योगी आदित्यनाथ कैबिनेट के पिछड़ा वर्ग, और दिव्यांग जन मंत्रालय के कैबिनेट मिनिस्टर अनिल राजभर को संपर्क किया लेकिन अनिल राजभर की तरफ से बताया गया कि वो बूथ सत्यापन अभियान में व्यस्त है।
सवाल बड़ा हैं?? क्या वाकई विकलांग से दिव्यांग बने इन बच्चों को सिर्फ मार्केटिंग और फायदे के लिए संघ अपने लिए प्रचारित करता रहा है-
क्या अनिल राजभर जैसे लोग केवल अपने वोट बैंक और शहर के अपराधियों को संरक्षण देने के लिए है। बरियासनपुर के एक जमीनी विवाद में अभियुक्त को संरक्षण देने के लिए भी अनिल राजभर का नाम सामने आया है। क्योंकि इस बहाने फंडिंग और मुफ्त का प्रचार मिल रहा है, दिव्यांगों को अपने फायदे के लिये प्रोडक्ट के जैसा बेचा जा रहा है। संवेदना और पैसे के लिए मंत्री ने किशन जालान के कहने पर लिए फण्ड बंद करवाये है क्योंकि मंत्रालय तो उन्हीं का हैं।
क्या इन दिव्यांग बच्चों से ज्यादा इस समय बूथ सत्यापन का मुद्दा जरुरी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ये बच्चें अपना आशियाना और पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं, पर नेताओं को धरने पर बैठे बच्चों के पास जाने की फुरसत नहीं, ना ही प्रशासन के लोगों में इतनी संवेदनशीलता है कि वो इन बच्चों को सुने। उल्टा इन बच्चों को गुंडा साबित करने के लिए स्थानीय मीडिया के भरोसे उत्पाती बनाने की पटकथा लिखी गई है। 2019 से पहले ये बच्चें उत्पाती नहीं थे ??? पढ़ाई तो यहाँ 1972 से हो रही हैं।
गीता प्रेस और इस अन्धविद्यालय कि नींव 1 साल के अंतर पर हनुमान प्रसाद पोद्दार ने रखी थीं। गीता प्रेस को तो पहले ही घाटे में दिखाकर बंद करने की बात हो चुकी है। हिंदुत्व की बात करने वाली सत्तारूढ़ पार्टी अगर चाहती तो बचा सकती थी। ठीक इसी तरह इस मुद्दे को भी संभाला जा सकता था। ट्रस्ट के अंदर बैठे किशन जालान और अखिलेश खेमका को प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा कोरोना काल में काम करने के लिए प्रोत्साहन पत्र दिया गया।
सवाल ये है कि ये क्या इस सम्मान के अधिकारी है , एक तरह 2019 से इस विद्यालय को बंद करने की कोशिश शुरू हुई , भाजपा बड़े जोरदार तरीके से शानदार इवेंट के जरिये वाराणसी सीट पर प्रचार करती रही, लोगों को टनों गुलाब की पंखुड़ियों के साथ लिफाफे में नोट के साथ काम पर लगाया गया उसके लिए पैसा किशन जालान ने दिया था, या अखिलेश खेमका ने सौदा इन अंधे बच्चों के बहाने किया पैसा फण्ड करने के लिए। शहर की धड़कन दुर्गाकुंड में फैले इस इमारत के जमीन पर कब्ज़ा दिलवाने के बहाने किया। शहर में जालान का व्यवसाय कैसे फला फूला ये किसी से छुपा नहीं। पहले मानस मंदिर के सामने कब्ज़ा जमाया गया अब वहां जगह छोटी पड़ने के कारण बच्चों के इस मंदिर पर निगाह पड़ी। इस विद्यालय को गोदाम बनाया गया।
लेकिन बड़ा सवाल यहां, इस अन्धविद्यालय में ये है कि इसका संचालन करने वाले कह रहे है हम नहीं चला पाएंगे क्योंकि आर्थिक तंगी से जूझ रहे है, इस समस्या का हल प्रशासन निकाल सकता हैं अगर चाहे तो लेकिन प्रशासन की मंशा तो खुद साफ नहीं है। इसलिए बच्चों को ऐसा कहना कि कही और जाकर पढ़ाई करों सत्ता की मिलीभगत को उजागर करने के लिए काफी है। स्थानीय स्वयंसेवी संस्था या आम नागरिकों की मदद ली जा सकती हैं।
जानबूझ कर पहले इस विद्यालय की सरकारी सहायता बंद की जाती है क्योंकि दुर्गाकुंड में बसे विद्यालय के जमीन की कीमत करोड़ों में है। जिसपर ट्रस्ट के जरिये काबिज जालान और खेमका की नजर गड़ी हुई हैं। क्योंकि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है जाहिर है किसी के इशारे पर तो इस विद्यालय को मिलने वाला अनुदान रोक दिया गया जिसकी राशि 25 के करीब बैठती है। और चालाकी से कक्षा 8 तक ही बच्चों को पढ़ाने की बात की जाती रही। 2020 दिसंबर में बच्चों ने राष्ट्रपति और गवर्नर को अपनी याचिका भेजी इसपर अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई।
जाहिर है ये गरीब बच्चें किसी के लिए रोड़ा बन रहे है,शहर के लोगों का दिल पसीज रहा है पर सरकार और बाढ़ के नाम पर वाराणसी हमेशा घूमने आते रहे मुख्यमंत्री के पास भी समय नहीं इन बच्चों से मिलकर बात सुनने की। ये बच्चें दर-दर की ठोकरें खा रहे है, इन्हें प्रधानमंत्री के वाराणसी कार्यालय से कार्यक्रमों में सजाने के फूल की तरह उठाकर ले जाकर इस्तेमाल किया जा रहा है लंबे समय से, आरएसएस की संस्था सक्षम दिव्यांगों को लेकर कृष्ण गोपाल के अति महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है पर ढाक के तीन पात की तरह।
क्या कोई सरकार इतनी असंवेदनशील हो सकती है ??
विगत 5 अगस्त से 75 छात्र अपने आने वाले भविष्य के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। जिन्हें रविवार की आधी रात जबरदस्ती धरनास्थल से उठा दिया गया। जबकि खुद बच्चों ने कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर से रविवार को वाराणसी के सर्किट हाउस में मिलकर सोमवार को धरनास्थल से उठने की बात की थी। फिर अचानक ये अंग्रेजी हुकूमत की तरफ दमन क्यों ?? किसके इशारे पर बच्चों पर लाठी चली ! और स्वंतंत्र देश में कब से अपनी बात रखने की आज़ादी भी खत्म हो गई है। बच्चों को नजरबंद क्यों किया गया है ??
बड़ी सोची समझी रणनीति के तहत हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्धविद्यालय को खत्म करने की पटकथा लिखी गई। क्योंकि शहर के बीचों-बीच स्थित इस महाविधालय को इसकी जमीन दान में मिली आज कीमत करोडों में है। पूरे शहर में पार्टी के एक भू माफिया कैबिनेट मंत्री का बोलबाला है और किसी समय जिलाधिकारी अपने ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट से उनका प्रचार करते नहीं थकते थे। इस मामलें में क्या उनका हाथ नहीं होगा ऐसा कहना है लोगों का जिनसे तक्षकपोस्ट की टीम ने बात की।
ये बच्चें क्यों बैठें धरने पर क्या मांग थी-
तीन बिंदु मांगों को लेकर दिनांक 5 अगस्त 2021 से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। हनुमान प्रसाद पोद्दार सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा अंध विद्यालय का संचालन किया जाता आ रहा है। इस अंधविद्यालय में यू,के,जी ,से लेकर इंटर के छात्र पढ़ाई करते हैं। अंधविद्यालय को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 75% अनुदान ट्रस्ट को दिया जाता है, तथा 25% राशि ट्रस्ट को लगानी होती है। लेकिन कुछ वर्षों से शासन एवं प्रशासन स्तर पर अनुदान राशि को बंद करा दी गई।
एक कुटिल योजना के तहत हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट दुर्गाकुंड कार्य कारिणी समिति की बैठक में दिनांक 17 जून 2020 विद्यालय को बन्द करने का फैसला लिया गया। गलत तरीके से विद्यालय की आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला सामने रखते हुये जानकारी शासन को प्रेषित की गई। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अर्जक अखौरी विशेष सचिव, ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा वाराणसी के माध्यम से 10 दिसंबर 2020 को चिट्ठी भेज कर आदेश जारी किया जिसकी एक कॉपी सेवा ट्रस्ट दुर्गाकुंड को भी भेजी गई।
इस चिट्ठी में कहा गया कि जो विद्यार्थी पढ़ रहे हैं उन्हें दूसरी जगह के विद्यालय में दाखिल करवाया जाये। इस फैसले के विरोध में 4 छात्रों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की अभी विचाराधीन है। धरना पर बैठे छात्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एकमात्र अंध विद्यालय हैं। यहां बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल तक से बच्चें पढ़ने आते है जो बेहद गरीब परिवार से है। अभी 75 छात्र इस संस्था में रहकर पढ़ते हैं, लेकिन ट्रस्ट के मुखिया किशन जालान इस विद्यालय को बंद कर उसमें मॉल खोलने पर तुले हैं। इसलिए उन्होंने शासन प्रशासन पर दबाव बनाकर अनुदान राशि बंद करा दी। छात्रों ने बताया कि हम छात्रों की मांग है कि इस अंधविद्यालय को सरकार पूर्णतया अपने अधिकार क्षेत्र में ले।और हमे शिक्षा का अधिकार भीख या सेवा के बजाय अधिकार बोध के साथ दिया जाये। विद्यालय से निकाले गए छात्रों को वापस दाखिला दिया जाये। किया।
बच्चों की पढ़ाई उनकी कक्षाओं और परीक्षाओं को उचित प्रबंधन के तहत सुचारू किया जाये। तत्काल प्रभाव से विद्यालय को पुनः संचालित किया जाए।
छात्रों ने बताया कि शासन और प्रशासन वार्ता के लिए नहीं आया। छात्रों ने अपने स्तर से 5 अगस्त के पूर्व एक महीनें तक जन जागरण अभियान भी चलाया जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य गेट ,काशी विश्वनाथ मंदिर ,दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट आदि जाकर स्थानीय लोगों से मिलकर किया। छात्र छात्रों ने बताया की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी एवं महामहिम राज्यपाल को भी पत्र लिखा गया। लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया। छात्रों ने बताया की बनारस के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा जी से भी मुलाकात हुई, लेकिन उन्होंने ट्रस्ट के पक्ष में ही बात की और उन्होंने बताया कि व्यापारियों ने लतिया कर जब भगा दिया तब मेरे पास आए हो। इस पूरी घटना का सबूत तक्षकपोस्ट के पास ऑडियो के रूप में मौजूद है।
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