दिल्ली/ आम आदमी के कंधों पर चढ़कर दिल्ली की कुर्सी पर काबिज हुई आप की सरकार की कथनी और करनी में फर्क आजकल साफ देखने को मिलता है। आम आदमी की बात सुनने की जगह पुलिस से बलप्रयोग करवाना और तानाशाही आम बात है। इसी कड़ी में आज का मामला सामने आया है। दिल्ली में शिक्षा के नाम पर बड़े दावे करने वाली “आप” शिक्षा माफ़ियाओं के आगे इतनी बेबस है कि इनपर लगाम लगाने में भी असमर्थ है जो सरकारी आदेश की अवहेलना कर रहे है। जिसमें EWS कोटे में दाखिले के सर्कुलर जारी हुआ है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर आज सुबह 7 बजे से अविभावकों की भीड़ इकट्ठा होना शुरू हुई मौका था, गरीब तबके के छात्रों को EWS कटेगरी में लाटरी में नाम निकलने के बाद भी निजी स्कूलों द्वारा दाखिला देने से मना करना। इसी बात से नाराज होकर भारत अभिभावक संघ और राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के साझा नेतृत्व में सैकड़ों आक्रोशित अभिभावकों नें आज शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर धरना दे दिया और दाखिले की गुहार करनें लगे। गौरतलब है कि बड़े शान से सिसौदिया ने ऐलान किया था कि किसी भी गरीब बच्चें को दाखिला और शिक्षा से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। स्कूल मना करते है तो सरकार सख्त कारवाई करेगी। लेकिन क्या हुआ असल में देखिए-
भारत अभिभावक संघ के दिल्ली अध्यक्ष के द्वारा इन अभिभावकों की समस्या का निवारण करने के लिए सभी निजी स्कूलों में दाखिले का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन स्कूलों नें दाखिला नहीं दिया लिहाजा न्याय के लिए आज शिक्षा मंत्री के घर का घेराव किया गया जिसमें सैकड़ों अभिभावक शामिल हुये लेकिन सिसोदिया नें इनकी गुहार सुनना तो दूर उल्टा पुलिस को बुलाकर लोगों को गिरफ्तार करवाया, पुलिस नाराज अभिभावकों को गिरफ्तार करके मंदिर मार्ग थाना ले गई।
अभिभावक संघ के अध्यक्ष मोहिंदर सिंह नें बताया कि 30 जून को शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया नें प्रेस कांफ्रेंस करके कहा था कि “हर बच्चे को दाखिला मिलेगा, अगर स्कूल मना करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी। ” 9 जुलाई और 19 जुलाई को शिक्षा विभाग नें इस विषय में एक सर्कुलर भी जारी किया किन्तु उसके बाद भी गरीब अभिभावकों को निराशा हाथ लग रही है।
राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष लोकेश मास्टरजी नें कहा कि गरीब अभिभावकों के साथ हो रहे अन्याय के लिए तमाम शिकायत शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग से लगातार की जा रही है लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल रहा है, जो न सिर्फ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि निजी स्कूलों की मनमानी ये साबित करती है कि शिक्षा विभाग की मिली भगत है।
समाजसेवी संध्या सिंह नें कहा कि निजी स्कूलों नें यही मनमानी पिछले वर्ष भी हुई थीं। कोविड काल में, इसीलिए इस बार शिक्षा विभाग नें सर्कुलर जारी किया परन्तु शिक्षा माफिया सरकार पर भारी पड़ते हैं जिससे सरकार भी घोषणा करके राजनितिक लाभ तो ले लेती है परन्तु कार्यवाही करा पाने में असमर्थ रहती है।