वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में बने पिछले महीनें DRDO द्वारा अस्थाई कोविड19 अस्पताल में आउटसोर्स करके काम पर रखें गये कर्मचारियों ने आधी रात से काम बंद करके धरना देना शुरू किया दिया है। इस हंगामे की वजह बताई जा रही है कि इन कर्मचारियों को 17 से 18 हज़ार महीनें पर तय किया गया था, पर वेतन की बारी आई तो मात्र 9 हज़ार रुपये पकड़ा दिये गए। लेकिन काम पूरा लिया जा रहा है, कम पैसों का विरोध करने पर नौकरी से निकाल दिया जा रहा है।
DRDO के इस अस्पताल को नाम दिया गया पंडित राजन मिश्र का जिन्हें खुद दिल्ली में अंतिम समय में ना उचित इलाज मिल पाया ना ही कोई सरकारी मदद, बड़ी मुश्किल से किसी तरह बेड मिली पर उन्हें बचाया नहीं जा सका। उन्हीं राजन मिश्रा के नाम पर भाजपा ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस अस्पताल का नाम रखा, जिसका पंडित जी के पारिवारिक सदस्यों ने काफी विरोध दर्ज किया था।
इस अस्थायी कोविड अस्पताल में कार्यरत आउटसोर्सिंग पर लगे कर्मचारियों ने आधी रात से कामकाज ठप कर दिया है। सभी काम छोड़ कर कर्मचारी धरने पर बैठ गए हैं। यहां करीब दो सौ कर्मचारी हैं। अस्पताल के मेन गेट पर ही बैरीकेडिंग लगा दिया गया है। साथ ही अंदर जाने और बाहर आने वालो को भी रोका जा रहा हैं।
बीएचयू के एम्फीथिएटर मैदान में बने 750 बेड के DRDO अस्पताल में इस समय 250 बेड पर आईसीयू की सुविधा शुरू हुई है। अस्पताल के संचालन के लिए आर्मी मेडिकल कोर की सेवाएं ली गई थी, पर इलाज की सुविधा छोड़कर यहाँ सारी राजनीति के लायक काम हो रहे हैं। कभी उद्धघाटन के नाम पर तो कभी फोटोशूट करके PR करने के नाम पर। सरकार ने बजट तो 750 का पास किया है , लेकिन शुरू कितने बेड हुये। संसाधनों और अब ये मानदेय के नाम पे लूट मची है।
कही ना कही बड़े घोटाले की आहट भी। जिला प्रशासन का रैवैया भी देखा जाना चाहिए इस विषय पर। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के साथ कयोटो बनाने का दावा भी किया गया था। भारत के इस ख्याली कयोटो में मानवाधिकार का हनन खुलेआम चालू हैं।