दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा ढांचे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट ने पिछले छह वर्षों में गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन, लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर किया है। शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में उपकरणों और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी, मोहल्ला क्लीनिकों में खराब बुनियादी ढांचे और आपातकालीन निधियों के कम उपयोग की ओर इशारा किया गया है।
कैग रिपोर्ट की मुख्य बातें ये हैं:
कई अस्पतालों में महत्वपूर्ण सेवाएं नदारद: रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के कई अस्पताल महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। शहर के 27 अस्पतालों में से 14 में आईसीयू की सुविधा नहीं है, जबकि 16 में ब्लड बैंक नहीं हैं। इसके अलावा, आठ अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है और 15 अस्पतालों में शवगृह नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 12 अस्पताल बिना एम्बुलेंस सेवाओं के चल रहे हैं।
मोहल्ला क्लीनिक और आयुष डिस्पेंसरियों में खराब बुनियादी ढांचा: कई मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय, बिजली बैकअप और चेक-अप टेबल जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। आयुष डिस्पेंसरियों में भी ऐसी ही कमियाँ बताई गईं।
स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी: दिल्ली के अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है। नर्सों की 21 प्रतिशत, पैरामेडिक्स की 38 प्रतिशत तथा कुछ अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की 50-96 प्रतिशत कमी है।
बुनियादी ढांचे का गैर-उपयोग: राजीव गांधी और जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू बेड और निजी कमरे अप्रयुक्त रहते हैं, जबकि ट्रॉमा सेंटरों में आपातकालीन देखभाल के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है।
कोविड आपातकालीन निधि का कम उपयोग: कोविड-19 प्रतिक्रिया के लिए आवंटित 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया गया। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए निर्धारित कुल 30.52 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए, जबकि आवश्यक दवाओं और पीपीई किट के लिए आवंटित 83.14 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया गया।
अस्पताल में बिस्तरों की क्षमता बढ़ाने में विफलता: वादा किए गए 32,000 नए अस्पताल बिस्तरों में से केवल 1,357 (4.24 प्रतिशत) जोड़े गए। कुछ अस्पतालों ने 101 प्रतिशत-189 प्रतिशत की अधिभोग दर की सूचना दी, जिससे मरीजों को फर्श पर लेटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अस्पताल परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि: प्रमुख अस्पताल परियोजनाओं में 3-6 साल की देरी हुई, जिससे लागत में 382.52 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। इसके कारण इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल और एमए डेंटल फेज-2 जैसे अस्पतालों पर काफी असर पड़ा।
सर्जरी के लिए लंबा इंतज़ार: लोक नायक अस्पताल में मरीजों को सामान्य सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न और प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने तक इंतज़ार करना पड़ता है। सीएनबीसी अस्पताल में बाल चिकित्सा सर्जरी के लिए 12 महीने की प्रतीक्षा अवधि है।
सूत्रों के अनुसार, यह कैग की दूसरी रिपोर्ट है, जिसे विधानसभा में पेश किया गया। इससे पहले मंगलवार को सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली आबकारी नीति पर कैग की रिपोर्ट सदन में रखी थी।