गुजरात सरकार ने पिछले हफ्ते शहर के एक गेमिंग जोन में लगी घातक आग के सिलसिले में राजकोट पुलिस आयुक्त सहित छह भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया है। इस घटना में बच्चों सहित 28 लोगों की जान चली गई थी। राजकोट के पुलिस आयुक्त राजू भार्गव की जगह आईपीएस अधिकारी ब्रिजेश कुमार झा को नियुक्त किया गया है।
एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि राजकोट शहर की अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन, यातायात और अपराध) विधि चौधरी और राजकोट के डीसीपी-जोन 2, सुधीरकुमार जे देसाई का भी तबादला कर दिया गया है। इसके अलावा, गुजरात सरकार ने राजकोट नगर आयुक्त आनंद पटेल का भी तबादला कर दिया है, जिनकी जगह डीपी देसाई को नियुक्त किया गया है। डीपी देसाई वर्तमान में अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (AUDA) के सीईओ हैं।
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इस बीच गुजरात पुलिस ने चौथे आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने कहा कि आरोपी धवल ठक्कर, जो त्रासदी के बाद भाग गया था, को राजस्थान के आबू रोड से गिरफ्तार किया गया। छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और गेमिंग जोन के मालिक सहित तीन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि दो अभी भी फरार हैं। पुलिस ने कहा कि उन्होंने उन्हें पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
इससे पहले सोमवार को तीनों आरोपियों को जिला सत्र न्यायालय में पेश किया गया। अदालत में पुलिस ने बताया कि तीनों आरोप जांच में सहयोग नहीं कर रहे। इसके बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों युवराज सिंह सोलनली, नितिन जैन और राहुल राठौड़ को 14 दिन की हिरासत में भेज दिया।
हाई-प्रोफाइल तबादलों की घोषणा तब की गई जब गुजरात उच्च न्यायालय ने राजकोट नगर निगम और राज्य सरकार को फटकार लगाई और उनसे पूछा कि क्या उन्होंने इसके आसपास बनने वाली इतनी बड़ी संरचना के प्रति आंखें मूंद ली हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि 2021 में टीआरपी गेम ज़ोन की स्थापना से लेकर 25 मई की घटना तक राजकोट के सभी नगर निगम आयुक्तों को “घटित त्रासदी के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।” नतीजतन, अदालत ने इनमें से प्रत्येक को व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उसे राज्य मशीनरी पर भरोसा नहीं है “जो निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद ही हरकत में आती है”।
बेंच ने कहा, “इतने कठोर कदम कौन उठाएगा? ईमानदारी से कहूं तो अब हमें राज्य मशीनरी पर भरोसा नहीं है। इस अदालत के आदेशों के चार साल बाद, उन्हें निर्देश देने के बाद, उनके आश्वासन के बाद, यह छठी घटना हुई है। वे केवल यही चाहते हैं कि जान चली जाए और फिर मशीनरी चालू कर दें।”
इस बीच गुजरात कांग्रेस प्रमुख शक्तिसिंह गोहिल ने नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों और भाजपा के पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
गुजरात सरकार ने आग त्रासदी के सिलसिले में सात अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश भी दिया है। राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि विशेष जांच दल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। मंत्री ने कहा कि पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है और इसमें शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए 17 टीमें गठित की गई हैं।
जिन लोगों को निलंबित किया गया है उनमें राजकोट नगर निगम के नगर नियोजन विभाग के सहायक अभियंता जयदीप चौधरी, आरएमसी के सहायक नगर योजनाकार गौतम जोशी, राजकोट सड़क और भवन विभाग के उप कार्यकारी अभियंता एमआर सुमा और पारस कोठिया और पुलिस निरीक्षक वीआर पटेल और एनआई राठौड़ शामिल हैं।
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने अग्निकांड स्थल का निरीक्षण किया और संबंधित विभागों को ऐसी गंभीर घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त और दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
मालूम हो कि बीते शनिवार शाम राजकोट के नाना-मावा इलाके में टीआरपी गेम जोन में आग लगने से बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई थी। राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने प्रत्येक मृत व्यक्ति के परिजनों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की है।