सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को ‘सनातन धर्म’ पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी पर फटकार लगाई और उनसे कहा कि “आपने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है”। कोर्ट ने कहा कि आपने आर्टिकल 19 के तहत मिले अभिव्यक्ति के आजादी का दुरूपयोग किया। आपने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन किया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धर्म के प्रचार प्रसार की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग किया और अब आप अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट से राहत मांग रहे हैं? कोर्ट ने स्टालिन से कहा कि आप कोई आम नागरिक नहीं है। आप एक मंत्री है। आपको ये पता होना चाहिए कि आपके बयान का क्या असर होगा। अदालत उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी कथित टिप्पणियों पर उनके खिलाफ एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी।
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उदयनिधि स्टालिन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वो दर्ज हुए मुकदमों की मेरिट पर टिप्पणी नहीं कर रहे, लेकिन इसका असर एफआईआर क्लब किए जाने की मांग पर नहीं पड़ना चाहिए। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अपराधिक मामलों में क्षेत्राधिकार तय होना चाहिए।
सिंघवी ने एफआईआर को क्लब करने की दलील देते हुए अर्नब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर और अन्य के मामलों में फैसलों का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने तब सुझाव दिया कि डीएमके नेता इसके बजाय उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
सिंघवी ने कहा, “अगर मुझे कई अदालतों में जाना पड़ा, तो मैं इसमें बंध जाऊंगा। यह अभियोजन पक्ष के समक्ष उत्पीड़न है।”
जवाब में अदालत ने उनसे मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को कहा। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने उदयनिधी स्टालिन के वकील की दलीलों को सुनने के बाद मामले अगले हफ्ते के लिए टाल दिया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन से जुड़ा विवाद सितंबर 2023 में उनकी उस टिप्पणी से उपजा है, जिसमें उन्होंने ‘सनातन धर्म’ के उन्मूलन का आह्वान करते हुए कहा था कि यह जाति व्यवस्था और भेदभाव पर आधारित है। उन्होंने ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस और मलेरिया से की थी।