वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
क्या बनारस में गरीबों के लिए कोई जगह होगी ? क्या रूल ऑफ़ लॉ में एक मतवाला अफसर जो चाहेगा वही लागू होगा ? गुजरात से आये कार्पोरेट्स बनारस के गरीबों की जमीनें हड़प लेंगे ? क्या बनारस एक आध्यात्मिक केंद्र से बदलकर मौजमस्ती का अड्डा बनकर रह जाएगा ? कबीर, रैदास, कीनाराम और तुलसी का बनारस अडानी और शाह का बनकर रह जाएगा ? क्या बनारस और देश-दुनिया के नागरिक गांधी, विनोवा भावे, जेपी, शंकर राव, कृपलानी,डॉ राजेंद्र प्रसाद, केएम मुंशी, लोहिया, शास्त्री की गांधीवादी धरोहर पर यूं ही हमला होते देखते रह जाएंगे ? यह सवाल हवा में दागते हुए उत्तरा प्रदेश के वाराणसी शहर के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के संयोजक अरविंद अंजुम ने बातों को विराम दिया।
‘तक्षक पोस्ट’ से संयोजक अरविंद आगे कहते हैं “बनारस कॉर्पोरेट्स को के हवाले करने का इरादा है। सबसे काशी में विकास की आंधी का पहला शिकार मछुआरेमल्लाहनाविक बने। आम नागरिकों के जीवन में प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ता ही जा रहा है। परंपरागत नाव लगभग बंद ही गई है, चाय, समोसा, रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों को शहर से भगाया जा रहा है। बुनकर-कारीगर सैलून से परेशां और सताये जा रहे हैं। फुटपाथ व्यापर को समेटकर मॉल भेजने की तैयारी हो चुकी है। कमोबेश अब वह असर भी दिखने लगा है। क्या यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का न्यू काशी का विजन है ? जिसमें सिर्फ अमीर और प्रभावशाली लोगों की आवाज सुनी जाएगी। गरीब और अपने हक़ की बात रखने वालों के नागरिक अधिकारों का हनन किया जाएगा। यह सरकार साबरमती आश्रम और जलियावाला बाग को मॉडिफाई कर उसके मूल स्वरूप को ही बदलकर गांधीवादी-शहीदी पहचान से टूरिस्ट प्लेस बना दिया है। अब इनकी गिद्ध की नजर पूर्वांचल में एकमात्र गांधीवादी केंद्र सर्व सेवा संघ को निशाना बनाया है। फर्जी दस्तावेजों और प्रशासनिक जोड़तोड़ से सर्व सेवा संघ की धरोहर को हड़पने का लज्जाजनक प्रयास किया जा रहा है। जिसकी चहुंओर घोर निंदा की जा रही है।”
विरोध में रोजाना धरना-प्रदर्शन
जानकारी के मुताबिक वाराणसी के कमिश्नर कौशलराज शर्मा के निर्देश पर पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने 15 मई 2023 को गांधी विद्या संस्थान के कमरों का ताला तुड़वाकर उसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के हवाले कर दिया था। राष्टीय स्वयं सेवक संघ से ताल्लुक रखने वाले राम बहादुर राय इस केंद्र के अध्यक्ष हैं। गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीज़ पर कब्ज़े को अवैध बताते हुए गांधी के अनुयायी और विचारक गुस्से में हैं। संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर 4-5 जून 2023 को सर्व सेवा संघ में देश भर के गांधीवादी विचारक बनारस पहुंचे और प्रतिरोध सम्मेलन में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बड़ी मुहिम छेड़ने का निर्णय लिया। साथ ही यह ऐलान भी किया कि जब तक सर्व सेवा संघ की ज़मीन और गांधी विद्या संस्थान के भवनों को कब्ज़ा मुक्त नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आज भी रोजाना धरना-प्रदर्शन जारी है।
प्रशासन कर रहा नियमों का उल्लंघन
सम्पूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर देशभर से जुटे गांधीवादी विचारकों में सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, वरिष्ठ नेता अलख, समाजवादी नेता रघु ठाकुर, पूर्व विधायक व किसान नेता डॉ. सुनीलम, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण के संयोजक प्रो. आनंद कुमार, गांधी विद्या संस्थान के प्रो. डीएम दिवाकर, उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि के सचिव लालबहादुर राय ने मोदी सरकार और आरएसएस की नीतियों की जमकर आलोचना की. मनमाने तरीके से कानून को दरकिनार कर हड़पनीति को लेकर सरकार खरी-खोटी सुनाई। वक्ताओं ने कहा कि “महात्मा गांधी, विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण की विरासत और उनके विचारों को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम छेड़ी जाएगी। मतवाले अधिकारी और मनमाने ढंग से सत्ता रुआब में लिए जा रहे फैसलों का कडा विरोध किया जाएगा। सत्ता के दबाव में नौकरशाही, सर्व सेवा संघ की उन ज़मीनों को कब्ज़ाने में जुटा है जो उसने धन का भुगतान करके खुद खरीदी है। कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के वर्कशॉप के लिए 02 दिसंबर 2020 को ज़मीन घेरी और उस पर जबरन कब्ज़ा कर लिया। वह कब्ज़ा आज भी बरकरार है। इसके बाद 15 मई 2023 को गांधी विद्या संस्थान के भवनों पर बलपूर्वक कब्ज़ा करके उसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला के हवाले कर दिया। प्रशासन का यह कदम अनुचित और क्षेत्राधिकार का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है। “गांधी-विनोबा-जेपी की विरासत को हम मिटने नहीं देंगे। मोदी सरकार ने जिस तरह साबरमती को अपने कब्ज़े में लेकर गांधी की विरासत पर कब्ज़ा किया है वही कहानी यहां भी दोहराना चाहते हैं।” ये बातें 104 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ खन्ना ने कही।
संस्कृति, सेवा, शिक्षा की गतिविधियों का केंद्र
समाजवादी नेता रामधीरज कहते हैं, “सर्व सेवा संघ, संस्कृति, सेवा, शिक्षा और धार्मिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखता है। संस्था का मुख्य केंद्रित क्षेत्र सेवा और शिक्षा है। संघ विभिन्न धर्मों, समाजों और जातियों के लोगों की सेवा करने का प्रयास करता है। गरीबों, विकलांगों, असहाय बच्चों, वृद्धों की सहायता करता है। हाल के दिनों में ऐसा देखा जा रहा है कि कुछ ताकतें गांधी विचार केंद्रों और शोध संस्थानों पर सुनियोजित तरीके से हमले कर रही हैं। जब तक गांधीजी के विचार ज़िंदा रहेंगे, कोई ताकत इनके वजूद को नहीं मिटा सकेगी। सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए हम कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं और अब जनता के बीच जाकर सत्तालोलुप लोगों की कारगुज़ारियों का पर्दाफाश करेंगे।”
हमारे पास रजिस्ट्री के तीन दस्तावेज मौजूद
सर्व सेवा संघ के कार्यक्रम समन्वयक रामधीरज मामले को तूल देने के लिए सीधे तौर पर कमिश्नर कौशल राज शर्मा को जिम्मेदार ठहराते हैं। वह कहते हैं, ”साक्ष्य के तौर पर हमारे पास रजिस्ट्री के तीन दस्तावेज मौजूद हैं। विनोबा भावे और जेपी की पहल पर सर्व सेवा संघ की स्थापना की गई थी और तत्कालीन राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद की संस्तुति के बाद रेलवे ने पूरी कीमत लेकर 12.89 एकड़ जमीन बेची थी। सर्व सेवा संघ के पक्ष में बैनामा बाद में हुआ और जमीनों की कीमत पहले चुकाई गई। सबसे पहले 05 मई 1959 को चालान संख्या 171 के जरिये भारतीय स्टेट बैंक में 27 हजार 730 रुपये जमा किए गए थे। इसके अलावा 750 रुपये स्टांप शुल्क भी अदा किया गया था।
राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद की मिली थी संस्तुति
27 अप्रैल 1961 में 3240 रुपये और 18 जनवरी 1968 को 4485 रुपये चालान संख्या क्रमशः03 और 31 के जरिये स्टेट बैंक में जमा किया गया। उस समय यह रकम बहुत बड़ी थी। औपचारिक रूप से 14 अप्रैल, 1952 को उत्तर रेलवे का गठन हो चुका था और उसका दफ्तर दिल्ली में था। सर्व सेवा संघ की स्थापना के समय से ही तत्कालीन उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री लाल बहादुर शास्त्री संस्था से जुड़े थे। राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद की संस्तुति के बाद तत्कालीन रेल मंत्री जगजीवन राम ने जनहित के आधार पर रेलवे की जमीन सर्व सेवा संघ को बेचने की संस्तुति दी थी। सरकारी जमीनों का विलेख-पत्र पहले किसी व्यक्ति विशेष के नाम से नहीं, उसके पदनाम से ही तैयार कराया जाता था।”
‘इंदिरा गांधी कला केंद्र की गतिविधियां रोकी जाएं’
गांधीवादी नेता रामधीरज के नेतृत्व में पिछले कई दिनों से सर्व विद्या संघ परिसर में स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा के समक्ष आंदोलन-प्रदर्शन किया जा रहा है। आंदोलनकारियों की मांग है कि कमिश्नर के निर्देश पर गांधी विद्या संस्थान के जिन भवनों का ताला तोड़कर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंपा गया है उस आदेश को तत्काल रद्द किया जाए। संघ परिसर में इंदिरा गांधी कला केंद्र की गतिविधियां रोकी जाएं। बनारस मंडल के कमिश्नर, डीएम के अलावा उत्तर रेलवे के उस सहायक अभियंता के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए जिसने आरएसएस के इशारे पर देश के महापुरुषों की नीति और नीयत पर अशोभनीय आरोप चस्पा किया है।”
एक नजर इतिहास और दस्तावेजों पर –
सर्व सेवा संघ के अनुसार यह वाराणसी के आयुक्त कौशल राज शर्मा द्वारा गांधी विद्या संस्थान और सर्व सेवा संघ की जमीन हड़पने की साजिश है, जिसके प्रमाण में कुछ बिन्दु स्पष्ट हैं :
1. 02 दिसंबर 2020 को सर्व सेवा संघ की जमीन के एक हिस्से पर कौशलराज शर्मा के निर्देश पर कब्जा कर लिया जाना। उस वक्त ये वाराणसी के जिलाधिकारी थे। जब इस घटना का प्रतिवाद किया गया, तो प्रशासन की ओर से कहा गया कि काशी कॉरिडोर के लिए इस स्थान का इस्तेमाल होगा और यह 6 महीने का ही काम है। इसके बाद वापस हो जाएगा। काशी कॉरिडोर का काम समाप्त हो गया, लेकिन आज भी इस हिस्से पर प्रशासन का कब्जा बना हुआ है।
2. सर्व सेवा संघ परिसर में आयुक्त महोदय का 18 जनवरी 2023 को अचानक आगमन होना और परिसर में घूमकर जमीनों को देखना।
3. क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, वाराणसी का पत्रांक क्षे.का.वा./2922-26/2022-23 दि. 25.02.2023 प्राप्त के माध्यम से मण्डलायुक्त, वाराणसी की अध्यक्षता में गठित समति की 28.02.2023 को पूर्वान्ह 11.30 बजे आयुक्त के कैम्प कार्यालय में ‘क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी के अनुरोध के क्रम में गांधी विद्या संस्थान परिसर को प्रदान करने के संबंध मे’ एक बैठक बुलाया जाना।
4. ‘क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी का क्या अनुरोध है, सर्व सेवा संघ को आयुक्त की ओर से जानकारी नहीं देना।
5 .28 फरवरी 2023 को गांधी विद्या संस्थान के संचालन समिति के अध्यक्ष के नाते बुलाई गयी बैठक में गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप देने का मुद्दा रखना।
6. ‘संस्थान से विवादित मामले माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन होने की जानकारी के बाद भी न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन कर जबरन गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप देना।
7. जिला न्यायालय (एडीजे दशम) के 28.05.2007 के आदेश द्वारा आयुक्त की अध्यक्षता में गठित संचालन समिति का दायित्व संस्थान के संचालन का था, न कि संस्थान को किसी अन्य व्यक्ति अथवा संस्था को देने का अधिकार। आयुक्त द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया जाना।
8. आयुक्त द्वारा वर्ष 2007 से आज तक संस्थान का संचालन नहीं किया जाना।
9. संस्थान की अमूल्य लाइब्रेरी, नष्ट हो रहीं किताबों की सुरक्षा के बारे में सर्व सेवा संघ के प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्यक्ष मिलकर और लिखित निवेदन के उपरांत भी आयुक्त की ओर से संस्थान की जिम्मेवारी सर्व सेवा संघ को नहीं दिया जाना।
10. उत्तर रेलवे लखनऊ की ओर से 11 अप्रैल 2023 को सर्व सेवा संघ के ऊपर कूटरचित दस्तावेज तैयार किये जाने और आपराधिक कृत्य बताते हुए मुकदमा किया जाना।
उपरोक्त बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाय तो स्पष्ट है कि 02 दिसंबर 2020 और पिछले 18 जनवरी 2023 से 15 मई 2023, यानी इन पांच महीनों में ही कई घटनाक्रमों को अंजाम दिया गया है, जो आयुक्त द्वारा की जा रही जमीन हड़पने की साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।
इतिहास के आइनों में सर्व सेवा संघ-
सर्व सेवा संघ की स्थापना 1948 में हुआ। वर्ष 1956 से ही वाराणसी में सर्व सेवा संघ का काम चल रहा है। वर्ष 1960 में जब सर्व सेवा संध ने रेलवे से जमीन खरीदा, तब इस साधना केन्द्र परिसर का निर्माण हुआ और 1964 में इस साधना केन्द्र का उद्घाटन स्व. लालबहादुर शास्त्री जी ने अपने कर-कमलों किया। फिर यहां सर्व सेवा संघ का कामकाज चलने लगा। साधना केन्द्र का यह परिसर सर्वोदयी व वरिष्ठ गांधीवादी आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण व उनकी पत्नी प्रभावती जी, अच्युत पटवर्धन, बालकोबा भावे, दादा धर्माधिकारी, नारायण देसाई, विमला ठकार, निर्मला देशपांडे, कृष्णराज मेहता, शंकर राव देव, आचार्य राममूर्ति, अमरनाथ भाई आदि का कर्म-स्थल रहा है।
विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘Small is Beautiful’ की रचना
यह भी उल्लेखनीय है कि विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘Small is Beautiful’ की रचना इसी साधना केन्द्र परिसर में रहकर विश्वविख्यात अर्थशास्त्री प्रो. ई. एफ. शुमाखर ने की थी।
इस प्रकार साधना केन्द्र परिसर का राष्ट्र एवं समाज निर्माण के क्षेत्र में विगत 6 दशकों से ऐतिहासिक महत्त्व व योगदान रहा है। इसी परिसर में सर्व सेवा संघ का प्रकाशन विभाग है, जहां से देश भर के 70 रेलवे स्टेशनों पर संचालित ‘सर्वोदय बुक स्टालों’ के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण की दृष्टि से ‘गांधी-विनोबा-जेपी’ सहित देश के मनीषियों का सत्साहित्य पहुंचाया जाता है।
सर्व सेवा संघ ने किया रेलवे अधिकारियों पर दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ का मुकदमा-
सर्व सेवा संघ द्वारा नॉर्दन रेलवे के अधिकारियों पर न्यायिक रिकॉर्ड के साथ धोखाधड़ी किए जाने की एक शिकायतवाद CRPC की धारा 340 के तहत आज यानि बुधवार को उप जिलाधिकारी, सदर वाराणसी के यहां दर्ज कराया गया। ज्ञात हो कि विगत 30 मई 2023 को सर्व सेवा संघ की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन मोहन श्रीवास्तव ने नॉर्दन रेलवे द्वारा की गई शिकायत की विसंगतियों को उजागर किया था। उन्होंने इस तथ्य को स्पष्ट किया था कि शिकायतकर्ता और हस्ताक्षरी दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं, जोकि ऐसा होना अनुचित है। उन्होंने इस तथ्य को भी सामने लाया कि सेल डीड के परीक्षण का अधिकार इस न्यायालय को नहीं है, वह सिर्फ नाम की त्रुटियों को सुधारने का अधिकार रखती है। नॉर्दर्न रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ शिकायत की नोटिस 20 मई 2023 को प्राप्त हुई थी।
‘बेनकाब हुआ षडयंत्र’-
सर्व सेवा संघ की ओर से जब 31 मई 2023 को नॉर्दन रेलवे के शिकायत की सत्यापित प्रति निकाली गई, जो 20 मई 2023 को प्राप्त नोटिस से भिन्न थी। इस में एक नए हस्ताक्षरी रंजीत कुमार का नाम अंकित है जो सीनियर सेक्शन इंजीनियर है, जबकि नोटिस के रूप में प्राप्त शिकायत में सीनियर सेक्शन इंजीनियर, वर्क्स तथा सहायक मंडल अभियंता,नॉर्दर्न रेलवे, वाराणसी का पदनाम तथा लघु हस्ताक्षर अंकित है। सत्यापित शिकायत के प्रथम पृष्ठ पर ऊपर दाहिनी और 32 बटा 38 लिखा हुआ है। इस धारा के तहत न्यायालय को नाम सुधार का अधिकार प्राप्त है। जल्दबाजी में किए गए बदलाव में जालसाजी करने वाले रेलवे अधिकारियों को यह ध्यान नहीं रहा कि पहली शिकायत में 10 अप्रैल 2023 का दिनांक दर्ज किए हैं, जबकि बदले हुए दस्तावेज में उन्होंने 11 अप्रैल 2023 की तिथि अंकित कर दिया है। इस तरह रेलवे अधिकारियों का षड्यंत्र पूरी तरह से बेनकाब हुआ है।
जबरिया कब्जा कराने वालों को हम क्या कहें ?
सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक अविंद अंजुम कहते हैं, ”विनोबा भावे महात्मा गांधी के राजनीतिक और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने बगैर कोई सवाल उठाए गांधीजी के नेतृत्व को स्वीकार किया। 8 अप्रैल, 1921 को विनोबा वर्धा गए थे। गांधीजी ने उनको वहां जाकर गांधी आश्रम संभालने का निर्देश दिया था। इस दौरान उन्होंने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। आजादी के बाद साल 1950 से उन्होंने भूदान आंदोलन शुरू किया। विनोबा भावे ने जमीनदारों से आगे बढ़कर अपनी जमीन दान करने और हरिजनों को बचाने की अपील की। यह आंदोलन 13 सालों तक चलता रहा और इस बीच वह 44 लाख एकड़ भूमि दान के रूप में हासिल करने में सफल रहे। करीब 13 लाख एकड़ जमीन उन्होंने भूमिहीन किसानों के बीच बांटी। उनकी पहल पर ही रेलवे ने बनारस में सर्व सेवा संघ को अपनी जमीन बेची थी। कितनी अचरज की बात है कि प्रशासन खुद फ्रॉड करने में जुट गया है और वह भूमाफिया की तर्ज पर काम कर रहा है। जबरिया कब्जा कराने वालों को हम क्या कहें अफसर या फिर भूमाफिया।”
योगेंद्र यादव भी पहुंचे बनारस
इस बीच देश के जाने-माने विचारक योगेंद्र यादव बनारस पहुंचकर एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ”बनारस में महात्मा गांधी बहुत से लोगों की गले की हड्डी रहे हैं। अब उनके नाम, विरासत और विचारों की हत्या का सुनियोजित प्रयास चल रहा है। वह जीवित थे तब भी और मरने के बाद तो और भी ज्यादा हैं। वो अपने देश में गांधीजी का विरोध और गोड़से का गुणगान करते हैं और विदेश जाकर बोलते हैं कि मैं गांधी के देश से आया हूं। गांधी विद्या संस्थान की सेल डीड कहती है कि जिस दिन गांधी विद्या संस्थान काम करना बंद कर देगी, उसकी जमीन सर्वसेवा संघ के पास आ जाएगी, लेकिन जो कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने किया है वह गैरकानूनी है। यह केवल जमीन पर कब्जाने का प्रयास नहीं, बल्कि उनके नामो-निशान मिटाने का कुत्सित प्रयास है।”
लेकिन सच को छुपाया नहीं जा सकता-
ज्ञात हो कि नॉर्दन रेलवे ने सर्व सेवा संघ पर कूटरचित तरीके से जमीन हड़पने का आरोप लगाकर आचार्य विनोबा भावे,लाल बहादुर शास्त्री, डॉ राजेंद्र प्रसाद,जगजीवन राम आदि महान व्यक्तियों को लांछित किया है। सर्व सेवा संघ के रामधीरज ने कहा कि “न्यायिक दस्तावेजों को बदलना एक न केवल एक गंभीर अपराध है बल्कि प्रशासन और रेलवे की मिलीभगत को भी उजागर करता है। साथ ही इस बात को प्रमाणित भी करता है कि सर्व सेवा संघ की जमीन को ये षडयंत्रपूर्वक हड़पना चाहते हैं। लेकिन सच को छुपाया नहीं जा सकता है और यह रेलवे द्वारा कागजात बदलने के दृष्टांत से सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि सर्व सेवा संघ और वाराणसी प्रशासन के बीच सच्चाई और षड्यंत्र के बीच का आमना -सामना है. लेकिन अंत में सच्चाई को ही सफलता मिलेगी।
सर्व सेवा संघ की मांग-
1- सर्व सेवा संघ की क्रयशुदा भूमि पर काशी कॉरिडोर के वर्कशॉप के लिए 2 दिसंबर, 2020 से जिला प्रशासन द्वारा कब्जा कर लिया गया है, जो अभी तक कायम है। इस जमीन को अविलंब कब्जे से मुक्त किया जाय।
2– 15 मई 2023 को गांधी विद्या संस्थान के भवनों पर बलपूर्वक कब्जा कर एक असंबद्ध संस्था ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र’ को सौंप देना अनुचित व क्षेत्राधिकार का उल्लंघन है। इस आदेश को वापस लिया जाय।
3– रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ की खरीदी हुई जमीन के संबंध में ‘कूटरचित आपराधिक कृत्य’ का आरोप लगाया गया है, जो लज्जाजनक है।
गांधीवादियों ने कहा कि इस प्रकरण के द्वारा आचार्य विनोबा भावे, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, तत्कालीन रेलमंत्री जगजीवन राम तथा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों को लांक्षित किया गया है। रेलवे की इस शिकायत पर संज्ञान लिया जाना और मुकदमा दर्ज करना दु:खद एवं हास्यास्पद है। इस शिकायत/वाद को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाय।