दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी जमानत याचिका दायर करने के एक दिन बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को उन्हें 5 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के तहत उनकी हिरासत की अवधि समाप्त होने पर राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष पेश किया गया था।
सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया ने एक अर्जी दी जिसमें कहा गया था कि वह जेल में कुछ और किताबें पढ़ना चाहते हैं। इसका जवाब देते हुए कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया को जो किताबें चाहिए वो उन्हें दी जाएंगी।
मंगलवार को सिसोदिया के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया था कि सीबीआई के नेतृत्व में तलाशी के दौरान कोई आपत्तिजनक सामग्री सामने नहीं आई। मनीष सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और मोहित माथुर ने भी तर्क दिया कि उन्होंने जांच में सहयोग किया और सीबीआई की किसी भी तलाशी में कुछ भी असाधारण नहीं मिला, जिसके लिए उनकी और हिरासत की आवश्यकता होगी।
हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने यह कहते हुए उनकी जमानत याचिका का विरोध किया कि मनीष सिसोदिया को अगर जमानत मिलती है तो वह एक निश्चित तौर पर जोखिम होगा, क्योंकि वो बहार आकर सबूतों को नष्ट कर सकते हैं। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक, अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा, “एक व्यक्ति तब तक संत है जब तक उसकी अनियमितताओं और अवैधताओं का पता नहीं चलता है।”
मालूम हो कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने 9 मार्च को सिसोदिया को तिहाड़ जेल में गिरफ्तार किया था, जहां उन्हें सीबीआई द्वारा जांच की गई आबकारी नीति मामले के सिलसिले में रखा गया था।
ईडी के अनुसार, मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब नीति मामले में “जांच को बाधित करने के लिए बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूतों को नष्ट करने” में शामिल थे और उन्होंने 14 फोन बदले और नष्ट कर दिए थे। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि सिसोदिया ने उस जानकारी को छुपाया था जो उनके “अनन्य ज्ञान” में है और “जांच के लिए बेहद प्रासंगिक” है।
बता दें कि इससे पहले, केंद्रीय एजेंसी ने अदालत को बताया था कि सिसोदिया वास्तव में अपराध की आय के अधिग्रहण, कब्जे और उपयोग से जुड़ी गतिविधि में शामिल थे और इसलिए वे मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के दोषी हैं।