कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लंदन में राहुल गांधी की टिप्पणी की आलोचना करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यसभा के सभापति एक अंपायर हैं और किसी भी सत्ताधारी पार्टी के चीयरलीडर नहीं हो सकते। संसद में माइक्रोफोन बंद करने के गांधी के आरोपों पर हमला बोलते हुए धनखड़ ने कहा था कि अगर मैं शांत रहता हूं तो मैं गलत उदाहरण बनूंगा।
#WATCH | VP Dhankhar takes a veiled attack at Rahul Gandhi's speech made in UK
"If I observe silence on this orchestration by an MP outside the country,which is motivated,I'll be on wrong side of Constitution. How can I sanctify statement that mics in Indian parliament put off?" pic.twitter.com/zSmllfosXI
— ANI (@ANI) March 10, 2023
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि गुरुवार को एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने ब्रिटेन में दिए गए गांधी के भाषण पर कुछ टिप्पणियां कीं। “कुछ कार्यालय ऐसे हैं जिनके लिए हमें अपने पूर्वाग्रहों, अपनी पार्टी की निष्ठाओं को त्यागने की आवश्यकता होती है और हमें जो भी प्रचार हो सकता है, उससे खुद को दूर करने के लिए मजबूर करना पड़ता है। रमेश ने कहा, “भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यालय, एक ऐसा कार्यालय जिसे संविधान राज्यसभा के अध्यक्ष होने की अतिरिक्त जिम्मेदारी देता है, वह इनमें सबसे प्रमुख है।”
Here is a statement I have just issued in response to some remarks made by the Vice President and Chairnan of the Rajya Sabha a few hours ago. pic.twitter.com/N8BWX0ALmu
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 9, 2023
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि गांधी पर उपराष्ट्रपति का बयान आश्चर्यजनक था। रमेश ने कहा, “वह (धनखड़) एक ऐसी सरकार के बचाव में उतरे, जिससे उन्हें संवैधानिक रूप से दूर रहना होता है और इस तरह से उनका बयान भ्रमित करने के साथ-साथ निराशाजनक भी था।”
उन्होंने कहा कि गांधी ने विदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा है जो उन्होंने यहां कई बार नहीं कहा है। रमेश ने यह भी तर्क दिया कि गांधी का बयान तथ्यात्मक था और वास्तविक था।
उन्होंने कहा, “पिछले दो हफ्तों में विपक्षी दलों से संबंधित संसद के 12 से अधिक सदस्यों ने संसद में उनकी आवाज को दबाने का विरोध करने के लिए विशेषाधिकार हनन के नोटिस दिया है।”
रमेश ने आरोप लगाया कि पिछले आठ वर्षों में, चैनलों और समाचार पत्रों को ब्लैक आउट किया गया, छापे मारे गए और इस हद तक धमकाया गया कि केवल सरकार की ही आवाज सुनाई दे रही है। उन्होंने दावा किया कि अतीत की सरकारों से दूरी बनाए रखने वाली संस्थाएं अब इस हद तक अधीन हो गई हैं कि वे किसी भी आदेश या सत्तारूढ़ शासन के प्रतिकूल होने पर घुट जाती हैं।
रमेश ने कहा, “असहमति रखने वालों को दंडित किया जाता है। आपातकाल भले ही घोषित नहीं किया गया है, लेकिन सरकार के कदम वैसे नहीं हैं, जैसा कि संविधान का सम्मान करने वाली सरकार के होते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में हम इस शासन के विरोध में सबसे सुसंगत आवाज रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।”
कांग्रेस महासचिव ने कहा- “हालांकि, अध्यक्ष एक अंपायर, एक रेफरी, एक मित्र, दार्शनिक और सभी के लिए मार्गदर्शक है। वह किसी भी सत्तारूढ़ व्यवस्था के लिए चीयरलीडर नहीं हो सकते”।
मालूम हो कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि विदेशी धरती से यह कहना मिथ्या प्रचार और देश का अपमान है कि भारतीय संसद में माइक बंद कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत के पास अभी ‘जी 20′ की अध्यक्षता करने का गौरवशाली क्षण है, तो ऐसे समय में एक सांसद द्वारा भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक इकाइयों की छवि धूमिल किए जाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता। धनखड़ ने कहा कि वह इस संबंध में अपने संवैधानिक कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकते। उपराष्ट्रपति ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया। वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह की मुंडक उपनिषद पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
राहुल गांधी ने सोमवार को लंदन में ब्रिटिश सांसदों से कहा था कि लोकसभा में काम कर रहे माइक्रोफोन अक्सर विपक्ष के खिलाफ चुप करा दिए जाते हैं। उन्होंने हाउस ऑफ कॉमन्स परिसर के ग्रैंड कमेटी रूम में भारतीय मूल के दिग्गज विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की थी।