गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम पर सुनवाई करते हुए सरकार पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम “लॉ ऑफ द लैंड” है जिसका “अंत तक पालन” किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि, ‘जब तक कॉलेजियम सिस्टम है तब तक सरकार को भी उसे ही मानना पड़ेगा। सरकार इसे लेकर अगर कोई कानून बनाना चाहती है तो बना सकती है लेकिन अदालत के पास उनकी न्यायिक समीक्षा का अधिकार है’।
Supreme Court again criticises the Centre on the issue relating to judicial appointments. Court observes sending back a second time reiterated names is a breach of its earlier direction.
— ANI (@ANI) December 8, 2022
Supreme Court says Parliament has the right to enact a law but it is subject to the scrutiny of the courts and it is important that the law laid down by this court is followed else people would follow the law which they think is correct.
— ANI (@ANI) December 8, 2022
जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सरकार को इस बारे में सलाह देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि उन्हें यह उम्मीद है कि अटॉर्नी जनरल सरकार को सलाह देंगे ताकि शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानूनी सिद्धांतों का पालन किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा,”समाज में ऐसे वर्ग हैं जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से सहमत नहीं हैं। क्या अदालत को उस आधार पर ऐसे कानूनों को लागू करना बंद कर देना चाहिए?” जस्टिस कौल ने आगे कहा कि ,”अगर समाज में हर कोई में यह तय करे कि किस कानून का पालन करना है और किस कानून का पालन नहीं करना है, तो ब्रेक डाउन हो जाएगा।”
इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि केंद्र द्वारा वापस भेजे गए दोहराए गए नामों को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा वापस लेने के दो उदाहरण हैं और इसने इस धारणा को जन्म दिया कि दोहराव निर्णायक नहीं हो सकता है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि, ‘इस तरह के अलग-अलग उदाहरण संविधान पीठ के फैसले को नजरअंदाज करने के लिए “सरकार को लाइसेंस” नहीं देंगे, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि कॉलेजियम की पुनरावृत्ति बाध्यकारी है’। बेंच ने कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि किन परिस्थितियों में कॉलेजियम ने पूर्व में दोहराए गए दो नामों को हटा दिया था।
इस पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वो मिनिस्ट्री से इस बारे में सलाह करेंगे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार की ओर से समय से फैसला न लेने की वजह से काबिल जज नहीं मिल पा रहे है। जजों का वरिष्ठता क्रम प्रभावित हो रहा है। सरकार को कॉलेजियम की सिफारिश पर एतराज का अधिकार है, पर ये एक समयसीमा में होना चाहिए। कई मामलो में कॉलेजियम ने सरकार के ऐतराज को देखते हुए अपनी सिफारिश को वापस लिया पर अगर कॉलेजियम की ओर से नाम फिर से सरकार को भेजा जाता है, तो सरकार को उस पर विचार करके फैसला लेना ही चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ऑफ बेंगलुरु की तरफ से दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये से न्यायिक प्रक्रिया की रफ्तार सुस्त पड़ रही है, क्योंकि समय पर जजों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इस सिलसिले में एक एनजीओ ने भी 2018 में एक PIL दायर की थी। उसकी भी सुनवाई एक साथ ही की गई। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय ओक और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने गुरुवार को लोकसभा में कॉलेजियम सिस्टम का मुद्दा उठाया-
TMC सांसद सौगत रॉय ने लोकसभा में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कॉलेजियम सिस्टम सरकार की तानाशाही पर अंकुश लगाने का कारगर तरीका है। ये एक गारंटी है जिससे सरकार की विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगता है। कानून मंत्री किरेन रिजेजु के बयान की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए था।
मालूम हो कि कॉलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच एक विवाद की वजह बन गई है। इस सिस्टम को विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 25 नवंबर को कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम, संविधान के लिए ‘एलियन’ है।
बता दें कि इससे पहले 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ कानून मंत्री की टिपण्णी पर नाराज़गी जताई थी। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से न्यायिक नियुक्तियों के संबंध में कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून का पालन करने के लिए केंद्र को सलाह देने का भी आग्रह किया था। कोर्ट ने कहा था कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नाम केंद्र के लिए बाध्यकारी हैं और नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा का कार्यपालिका द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है।