नई दिल्ली: पूरे देश में बदलाव का असर दिखने को अब साफ तौर पर दिखने लगा है, आज आये उपचुनावों के नतीजों में बोलते आंकड़ें इसके गवाह हैं। कांग्रेस ने आज हिमाचल प्रदेश में आश्चर्यजनक जीत हासिल की, राज्य में भाजपा की दो सीटों और कर्नाटक में एक सीट पर कब्जा कर लिया, आज हुई वोटों की गिनती 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा सीटों के लिए हुई थी। हिमाचल प्रदेश में, कांग्रेस ने फतेहपुर और अर्की को बरकरार रखा और जुब्बल-कोटखाई में जीत दर्ज की – भाजपा में अंदरूनी कलह और अतिउत्साही नीति के कारण भाजपा को मंडी की लोकसभा सीट भी गवा देनी पड़ी।
कांग्रेस ने इसे भाजपा के खिलाफ मुकाबले में सीधी जीत बताया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “भाजपा ने 3 में से 2 लोकसभा सीटें खो दी हैं।
BJP has lost 2 out of 3 Lok Sabha seats.
In Assemblies, BJP has lost at most places in direct contest with INC. HP, Raj., Karnataka & Maharashtra have witnessed it.
Modi ji,
Shed arrogance!
Repeal 3 Black Laws!
Stop Petrol-Diesel-Gas Loot!Disdain for people’s pain is harmful.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 2, 2021
उपचुनाव में विधानसभाओं में भाजपा कांग्रेस के साथ सीधे कांटे की टक्कर में ज्यादातर जगहों पर हारी है। इनमें हिमाचल, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक अहम हैं। इस हार का कारण प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह का अहंकार, कृषि के लिए लाये गये 3 काले कानून! पेट्रोल-डीजल-गैस के बढ़ते दाम और कोरोना में लोगों की उपेक्षा अहम हैं।
राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कांग्रेस की हर जीत हमारे पार्टी कार्यकर्ता की जीत है। नफरत से लड़ते रहो। कोई डर नहीं!”
कांग्रेस की हर जीत हमारी पार्टी के कार्यकर्ता की जीत है।
नफ़रत के ख़िलाफ़ लड़ते रहो। डरो मत!Every victory for the Congress is a victory of our party worker.
Keep fighting hate. No fear! #BypollResults2021— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 2, 2021
परंपरागत रूप से जो पार्टी सत्ता में होती है वो ही उपचुनाव में भी सीट पर कब्ज़ा करती हैं। लेकिन कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में इस मानक के खिलाफ प्रदर्शन करते हुये जीत दर्ज की हैं। भाजपा के कुछ नेताओं ने सूत्रों के हवाले से कहा कि इस करारी हार के लिए सत्ता विरोधी लहर, पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि और बेरोजगारी जिम्मेदार हैं।
कांग्रेस को सेब का गढ़ कहे जाने वाले जुब्बल-कोटखाई में हुआ। इस सीट पर बीजेपी का कब्जा था। यह सीट कांग्रेस के लिए फायदेमंद बन गई। बीजेपी ने चुनाव के अंतिम छोर पर मौजूदा विधायक नरिंदर सिंह ब्रगटा के बेटे चेतन सिंह ब्रगटा से टिकट लिया। इससे नाराज होकर, चेतन सिंह ब्रगटा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, इस कदम से भाजपा के खिलाफ मिलने वाले वोटों का फायदा कांग्रेस को मिला। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी नीलम सरायक की जमानत जब्त हो गई।
पार्टी ने मंडी लोकसभा सीट भी जीती, जहां भाजपा ने 2019 में चार लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी, कारगिल युद्ध के नायक ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (सेवानिवृत्त) को हराया। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अच्छी पकड़ रही है। ये सीट मौजूदा मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के लिए एक गहरा सदमा है। क्योंकि गृह जिला होने के कारण माना जा रहा था कि बीजेपी अच्छी बढ़त के साथ जीतेगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने भाजपा की हार के बाद मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की-
वहीं दूसरी तरफ जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ अभियान चलाया था। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने कहा, “पार्टी अपनी कमियों को दूर करने के लिए रणनीति तैयार करेगी और 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।”
इन चुनाव परिणामों का असर आने वाले 6 राज्यों के चुनाव पर साफ तौर पर पड़ेगा क्योंकि ये जनता के रुख को बताने वाले परिणाम रहे हैं। देश में बेरोजगारी, महंगाई, और अन्य जरूरी मुद्दों पर आक्रोश हैं।