सवाल यही खड़ा होता है, कि 20 दिन पहले जो प्याज़, आलू अपने जेब के दायरे में था, वह अब सब की पहुंच से दूर हो गया है। फसल वही, पुरानी बाढ़ और पानी भी नहीं है। आवागमन की दिक्कत भी नहीं है। पिछले 7-8 साल के आंकड़ों को मैंने देखा जिससे साफ होता है कि अक्टूबर में ही प्याज़,आलू और टमाटर के दाम आसमान पर होते हैं। ऐसा क्यों? जबकि इस समय बाजार में नया आलू,सागा की शक्ल में प्याज और नया टमाटर आने लगा है, फिर भी दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज में लाखों मीट्रिक टन आलू रखा है। जो बीज के लिए जरूरी आलू से अलग है। तो कहीं न कहीं किसी स्तर पर काला सफेद हो रहा है। ये भी सही है कि ये दाम किसान नही बढ़ा रहें हैं। अधिकांश किसान फसल आने पर अपने आलू और प्याज बेच चुके हैं।
आलू और प्याज अब आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों से दूसरी वस्तुओं के दाम अलग बढ़ गयें है। तेल ,दाल तो बढ़ा ही है अब आटा भी गीला हो रहा है। ये कहा जा सकता है, कि हर अगले महीने हर वस्तुओं के दाम कम से कम दस प्रतिशत तो बढ़ते ही हैं। लेकिन आश्चर्य ये है कि इस बढ़ती मंहगाई पर देश में कोई बात नहीं होती है।