सागर और पर्वत दो अलग – अलग तरीके से महानता के प्रतीक बनते हैं . एक की महानता उसकी गहराई से नापी जा सकती है और दूसरे की महानता उसकी विराट उंचाई से। सागर गहरा होता है और पर्वत ऊँचा और विराट। ” क्षमा बड़न को चाहिए ” जैसे सूत्रवाक्य को चरितार्थ करते हुए ये दोनों ही अपनी गहराई और उंचाई की महानता के चलते दुनिया की सारी बुराइयों को आत्मसात कर उन्हें अच्छाइयों में बदल कर इस दुनिया को वापस कर देते हैं।
जिन्हें अलग – अलग सन्दर्भों में देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। देवताओं की भूमि में इस तरह के कहर का मतलब यह हुआ कि देवता इस इलाके के लोगों से नाराज हैं। उनकी नाराजगी की वजह जाननी बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों की माने तो देवता अपने इलाके के पहाड़ , नदी ,जल , जंगल और जमीन जैसी अलग अलग प्राकृतिक संपदा के अवैध और अवैज्ञानिक तरीके से अंधाधुंध दोहन से नाराज हैं और कई बार की चेतावनी के बाद भी जब इंसान जागा नहीं तो प्रकृति का कहर इस तरह की आपदाओं के रूप में सामने आ रह़ा है। विकास की विनाशकारी गतिविधियों के चलते केरल और उत्तराखण्ड राज्यों को प्राकृतिक विनाश का यह रूप देखना पड़ रहा है। इस विपदा के बाद मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले 48 घंटे का अलर्ट भी जारी किया था। उधर, केरल में भी मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में भीषण तबाही मचाई । इसी बारिश ने साल 2021 के सितंबर महीने में महाराष्ट्र, गुजरात, उप्र, बिहार और असम समेत देश के कई राज्यों में भी कहर बरपाया था। मुंबई में बारिश का आंकड़ा 3,000 मिमी के पार बारिश का पहुंच गया।कोरोना की मार से अभी केरल उबरा भी नहीं था कि भीषण बारिश के चलते आई बाढ़ ने इसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
केरल में बारिश के साथ ही भूस्खलन की वजह से इस तबाही को बढ़ाने में और मदद मिली है। केरल के कोट्टायम और इड्डुक्की आदि जिलों के पहाड़ी इलाकों में वर्ष 2018 की विनाशकारी बाढ़ जैसे हालात बने हैं। नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हालांकि संकट की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने हाईअलर्ट जारी कर दिया है। राज्य सरकार के अनुसार तो अभी तक 36 लोगों की ही मौत हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि वहां मरने वालों की तादाद इससे कहीं अधिक हो सकती है। वहीं लापता लोगों की संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है। कोट्टायम के कोट्टिकल इलाके में मरने वालों की तादाद सबसे ज्यादा है।असल में केरल और उत्तराखंड में अचानक आई इस बाढ़ को वैज्ञानिक बादल फटने की घटना से जोड़कर देख रहे हैं।कोचीन स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इसके पीछे छोटे बादलों का फटना अहम वजह है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केरल के पश्चिमी घाट का ऊंचाई वाला पहाड़ी इलाका भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील है। कोट्टायम और इड्डुक्की जिले के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में केवल दो घंटे के भीतर ही पांच सेमी से अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग की भी मानें तो एक छोटी सी अवधि में पांच से 10 सेमी की बारिश छोटे बादलों के फटना से ही होती है।
भारी बारिश के चलते कोट्टायम, इड्डुक्की, त्रिशूर आदि जिलों में रेड अलर्ट और तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोङिाकोड और वायनाड में आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।