दिल्ली: कोरोना महामारी ने सरकार की 56 इंची सीने में बल जरूर ला दिया है। पूरे देश में मची मौत की हाहाकार और तानाशाही रैवैये के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत फ़ज़ीहत हुई है। जिस तेजी से 2014 में बीजेपी का ग्राफ मोदी-मोदी के नारे से परवान चढ़ा था, ठीक उसकी दूगनी गति से ग्राफ देश की अर्थव्यवस्था के समान नीचे आ गिरा है। अगर आज चुनाव हो जाये तो भाजपा पानी मांगने की स्थिति में भी नहीं रह जायेगी।
संघ की दिल्ली में हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है कि आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में अब प्रचार के लिए मोदी को पोस्टर जगह नहीं मिलेगी। संघ का ऐसा करना कोई हैरानी की बात नहीं है। क्योंकि पूरे देश में मोदी के नाम पर 2019 का चुनाव जीतकर संघ के कंधों पर बैठी आरएसएस को कुर्सी मिली थी। आरएसएस अपनी इस कुर्सी को किसी भी हालत में गवाना नहीं पसंद करेंगी, दूसरी तरफ मोदी के जरिये आरएसएस की निक्कर भी ढीली हो रही है। दूर दराज के गांव में मरते लोग आरएसएस के कार्यकर्ताओं से खासे नाराज है। वजह साफ है सत्ता में आने के बाद किसी आम नागरिक की सुध नहीं ली गई।
मंदिर और मुसलमान के नाम पर जनता 22 और 24 तक खिंची चली जाती पर निकम्मेपन की पोल कोरोना ने खोल कर रख दी है, साथ ही मोदी की छवि दिनप्रतिदिन खराब होती जा रही है । झूठ और गलत आंकड़े जिस तेजी से वो परोसते है उसे देखकर कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति सोचने पर मजबूर हो जाये।
जितना पैसा मोदी के PR में खर्च किया गया , जिस तरह से देश में आक्रोश है ये बीजेपी के अंदर भी बगावत के शुर बुलंद कर रहा है। नेता कहते है कि अच्छा हो तो मोदी गलत हो तो हम अब नहीं सहेंगे ।
संघ के इस निर्णय को आसानी से ऊत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के ट्विटर एकाउंट और अन्य जगहों पर देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों की फ़ोटो गायब है।