नई दिल्ली: आज भले भगवा के जयकारे में लोग लोटपोट हो रहे हो पर बहुत कम लोग जानते हैं की आज से 73 साल पहले अतीत में आज के दिन सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया था।
30 जनवरी को नाथूराम गोडसे के द्वारा महात्मा गांधी की हत्या के बाद तो ये मौका भी आया था कि पटेल ने 4 फरवरी 1948 को आरएसएस पर प्रतिंबध लगा दिया था। उस वक्त वो देश के गृह मंत्री थे। उन्होंने प्रतिबंध लगाते हुए चिट्ठी में कहा था, ”इसमें कोई दो राय नहीं कि आरएसएस ने हिन्दू समाज की सेवा की है। जहां भी समाज को जरूरत महसूस हुई, वहां संघ ने बढ़-चढ़कर सेवा की। ये सच मानने में कोई हर्ज नहीं है। पर इसका एक चेहरा और भी है, जो मुसलमानों से बदला लेने के लिए उन पर हमले करता है। हिन्दुओं की मदद करना एक बात है, लेकिन गरीब, असहाय, महिला और बच्चों पर हमला असहनीय है।”
हालांकि, महात्मा गांधी की हत्या और संघ पर प्रतिबंध लगाए जाने के करीब महीने भर बाद पटेल ने नेहरू को 27 फरवरी, 1948 को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में पटेल ने लिखा कि संघ का गांधी की हत्या में सीधा हाथ तो नहीं है लेकिन ये जरूर है कि गांधी की हत्या का ये लोग जश्न मना रहे थे। पटेल के मुताबिक गांधी की हत्या में हिंदू महासभा के उग्रपंथी गुट का हाथ था।
जनसंघ की स्थापना करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जुलाई 1948 में पटेल को एक चिट्ठी लिखी। इसमें आरएसएस से प्रतिबंध हटाने की मांग की गई थी।
इस पर पटेल ने 18 जुलाई 1948 को जवाब दिया कि महात्मा गांधी की हत्या का मामला कोर्ट में है इसलिए वो इसपर कुछ नहीं कहेंगे। हालांकि, पटेल ने अपने पहले के बयानों का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि भले ही गांधी हत्या में संघ का सीधा हाथ नहीं था लेकिन संघ के कारण ऐसा माहौल बना जिससे गांधी की हत्या हुई। पटेल ने आगे लिखा कि संघ की गतिविधियां सरकार और राज्य के अस्तित्व के लिए जोखिम भरी थीं।
11 जलाई 1949 को सरकार ने इस पाबंदी को समाप्त कर दिया था।