भारत में निजी तौर पर तैयार किया गया पहला रॉकेट विक्रम-एस शुक्रवार को लॉन्च कर दिया गया। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए इस रॉकेट का नाम Vikram-S रखा गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम-एस को अपने स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपित किया। एक नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है. फिलहाल देश में किसी निजी कंपनी के पास लॉन्च पैड नहीं है।
Vikram-S रॉकेट की शुक्रवार को हुई लॉन्चिंग के साथ अब भारत में प्राइवेट कंपनियों द्वारा राकेट लॉन्च का काम शुरू कर दिया गया है। अभी तक हमारे देश में ये काम सिर्फ ISRO करती थी। विक्रम-एस रॉकेट ने श्रीहरिकोटा में ISRO के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी।
इस प्राइवेट रॉकेट Vikram-S को हैदराबाद की एक स्टॉर्टअप कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने तैयार किया है। पहले इसके लॉन्च की तरीख 15 नवंबर रखी गई थी लेकिन मौसम में आए बदलाव के चलते इसे आज यानी 18 नवंबर को लॉन्च किया गया। आज के इस मिशन को स्काईरूट के लिए एक मील का पत्थर कहा रहा है, क्योंकि यह उन 80 प्रतिशत तकनीकों को मान्यता दिलाने में मदद करेगा, जिनका उपयोग विक्रम-1 कक्षीय वाहन में किया जाएगा, जिसे अगले साल प्रक्षेपित करने की योजना है।
इस रॉकेट से छोटे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस रॉकेट का वजन 545 किलोग्राम है. व्यास 0.375 मीटर है. यह उड़ान भरकर 89 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया।
INSPACe के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका ने कहा कि यह भारत के निजी क्षेत्र के लिए नई शुरूआत है जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे हैं और एक ऐतिहासिक क्षण हैं।
पवन कुमार गोयनका ने कहा, ‘मुझे मिशन प्रारंभ – स्काईरूट एयरोस्पेस की शुरुआत के सफल समापन की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है’।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि, ‘यह भारत के स्पेस इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए एक बड़ा कदम है और विश्व समूह के समुदाय में एक सीमावर्ती राष्ट्र के रूप में भी उभर रहा है। यह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है’।
इस मिशन की सफलता के बाद और रॉकेट बनाए जाएंगे-
Vikram-1: 225 किलोग्राम वजनी पेलोड यानी सैटेलाइट को 500 KM ऊंची सन-सिनक्रोनस पोलर ऑर्बिट या 315 किलो वजनी पेलोड को 500 KM ऊपर लोअर अर्थ ऑर्बिट में भेज सकता है।
Vikram-2: 410 किलो वजनी पेलोड को 500 KM के सन-सिनक्रोनस पोलर ऑर्बिट या 520 किलो वजनी पेलोड को 500 किमी की LEO में भेज सकता है।
Vikram-3: 580 किलो वजनी पेलोड को 500 किमी के सन-सिनक्रोनस पोलर ऑर्बिट और 730 किलो वजनी पेलोड को 500 किमी की LEO में भेज सकता है।
बता दें कि भारत में स्काईरूट एयरोस्पेस इकलौती के अलावा और दो और कंपनियां – AgniKul Cosmos और Bellatrix Aerospace हैं। ये दोनों कंपनियां अभी अपने रॉकेटों का अलग-अलग स्तर पर परीक्षण कर रही है।
