भाजपा ने सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) की केंद्र की घोषणा को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के ‘यू-टर्न’ तंज पर पलटवार किया और पूछा कि क्या उनकी पार्टी ने उन राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की है जहां वह सत्ता में है। वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने खड़गे से पूछा कि कांग्रेस ने इन राज्यों में सत्ता में आने के बाद हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में ओपीएस लागू करने के अपने चुनावी वादे पर “यू-टर्न” क्यों लिया?
प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस ने पिछले दो वर्षों में ओपीएस को भारतीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। यहां तक कि कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में चुनावों के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा से यह घोषणा भी कराई कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो राज्य में ओपीएस लागू करेगी।“
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मुद्दों के प्रति ”संवेदनशील” हैं और उनकी सरकार ”तदर्थ निर्णय” नहीं लेती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सोच-विचार कर जनहित में फैसले लिये हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमें प्रधानमंत्री मोदी पर गर्व है कि उन्होंने (केंद्र सरकार के) कर्मचारियों की चिंताओं को सुना और समझा, उस पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया और एक सार्थक निर्णय लिया। भाजपा नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी, आप कितना झांसा देते हैं. कभी-कभी सच भी बोलें।’
प्रसाद ने कहा, “क्या यह कांग्रेस केवल घोषणाएं करेगी या उन्हें लागू भी करेगी? सामान्य तौर पर कांग्रेस और विशेष रूप से राहुल गांधी, कृपया देश को बताएं कि आपने हिमाचल प्रदेश में वादे के मुताबिक ओपीएस लागू किया?”
प्रसाद ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर वोटों के लिए झूठे वादे करके लोगों को ”धोखा” देने का आरोप लगाया और उन्हें इस तरह की प्रथा से दूर रहने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी, आप क्या कर रहे हैं भाई? कितना झांसा देते हैं? कभी-कभी सच भी बोलें। और जब आप कुछ कहते हैं, तो आपको करना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो ऐसा मत कहें।”
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी, देश को इस तरह नहीं चलाया जाता है। भारत पर शासन करना एक गंभीर काम है जहां सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद निर्णय लेना पड़ता है। तदर्थवाद यहां काम नहीं करता है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ओपीएस के बारे में अपने आश्वासन के “स्पष्ट झूठ से इतनी थक गई” थी और वह इसे अपने लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने का साहस नहीं जुटा सकी।
इससे पहले खड़गे ने यूनिफाइड पेंशन योजनाकी घोषणा पर केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा, “यूपीएस में यू का मतलब है मोदी सरकार का यू-टर्न।”
उन्होंने पोस्ट किया, “यूपीएस में ‘यू’ का मतलब मोदी सरकार का यू-टर्न है। 4 जून के बाद, लोगों की ताकत प्रधानमंत्री की सत्ता के अहंकार पर हावी हो गई है।”
केंद्रीय कैबिनेट ने यूपीएस को मंजूरी दी:
शनिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपीएस को मंजूरी दे दी, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए गारंटीकृत पेंशन का आश्वासन देता है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद यह फैसला लिया गया।
यूपीएस का विकल्प चुनने वाले कर्मचारी 25 साल की न्यूनतम योग्यता सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत सुनिश्चित पेंशन के लिए पात्र होंगे।
यह योजना न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10,000 रुपये प्रति माह की सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन की गारंटी भी देती है।
विशेष रूप से, कई गैर-भाजपा राज्यों ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) के विरोध में ओपीएस पर वापस लौटने का फैसला किया था। कुछ अन्य राज्यों में भी कर्मचारी संगठनों ने इसकी मांग उठाई थी।
ओपीएस के तहत, सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत मासिक पेंशन के रूप में मिलता है। महंगाई भत्ते (डीए) दरों में बढ़ोतरी के साथ यह राशि बढ़ती रहती है। ओपीएस राजकोषीय रूप से टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह अंशदायी नहीं है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता रहता है।
यूपीएस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
1. सुनिश्चित पेंशन: 25 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत। यह वेतन न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा अवधि तक कम सेवा अवधि के लिए आनुपातिक होगा।
2. सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु से ठीक पहले उसकी पेंशन का 60 प्रतिशत।
3. सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10,000 रुपये प्रति माह।
4. महंगाई सूचकांक: सुनिश्चित पेंशन पर, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन पर और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन पर। औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीई-आईडब्ल्यू) के आधार पर महंगाई राहत।
5. सैन्य कर्मचारियों के मामले में सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्युटी के अतिरिक्त एकमुश्त भुगतान, सेवा के प्रत्येक पूर्ण छह महीने के लिए, सेवानिवृत्ति की तिथि पर मासिक परिलब्धियों (वेतन + डीए) का 1/10वां हिस्सा।