बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सुशील कुमार मोदी ने इस साल अप्रैल में खुलासा किया था कि वह कैंसर से पीड़ित हैं और अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण वह 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। सुशील मोदी ने 3 अप्रैल को सोशल मीडिया पर लिखा था- “पिछले छह माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।”
उनका राजनीतिक करियर पटना विश्वविद्यालय में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ। वह 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने। लालू प्रसाद, जो बाद में उनके सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बने, उस समय संघ के अध्यक्ष थे।
अपने तीन दशकों से अधिक के राजनीतिक करियर के दौरान, सुशील कुमार मोदी ने विधायक, एमएलसी और लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने 2005 से 2013 तक और फिर 2017 से 2020 तक बिहार के डिप्टी सीएम के रूप में कार्य किया।
मोदी 1990 में पहली बार पटना सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने और उन्हें भाजपा विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया। 1996 से 2004 तक वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। सुशील कुमार मोदी 2004 में भागलपुर से लोकसभा सदस्य बने।
सुशील कुमार मोदी के पिता मोती लाल मोदी और माता का नाम रत्ना देवी था। उन्होंने पत्नी जेस्सी सुशील मोदी ईसाई धर्म से हैं और प्रोफेसर हैं। उनके दो बेटे हैं जिनमें एक का नाम उत्कर्ष तथागत और दूसरे का नाम अक्षय अमृतांक्षु है।
मोदी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार के मौजूदा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा सहित कई भाजपा नेताओं ने दुख व्यक्त किया और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोस्ट कर कहा, “पार्टी में अपने मूल्यवान सहयोगी और दशकों से मेरे मित्र रहे सुशील मोदी जी के असामयिक निधन से अत्यंत दुख हुआ है। बिहार में भाजपा के उत्थान और उसकी सफलताओं के पीछे उनका अमूल्य योगदान रहा है। आपातकाल का पुरजोर विरोध करते हुए, उन्होंने छात्र राजनीति से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। वे बेहद मेहनती और मिलनसार विधायक के रूप में जाने जाते थे। राजनीति से जुड़े विषयों को लेकर उनकी समझ बहुत गहरी थी। उन्होंने एक प्रशासक के तौर पर भी काफी सराहनीय कार्य किए। जीएसटी पारित होने में उनकी सक्रिय भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं।”
बिहार के पूर्व सीएम और राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा, ” पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के समय यानि विगत 51-52 वर्षों से हमारे मित्र भाई सुशील मोदी के निधन का अति दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। वे एक जुझारू, समर्पित सामाजिक राजनीतिक व्यक्ति थे। ईश्वर दिवगंत आत्मा को चिरशांति तथा परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।’
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने X पर लिखा, “भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी जी अब हमारे बीच नहीं रहे । पूरे भाजपा संगठन परिवार के साथ-साथ मेरे जैसे असंख्य कार्यकताओं के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है । अपने संगठन कौशल,प्रशासनिक समझ और सामाजिक राजनीतिक विषयों पर अपनी गहरी जानकारी के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिरशांति और परिजनों को इस शोक की घड़ी में सम्बल प्रदान करें।”
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी जी के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। यह बिहार भाजपा के लिए अपूरणीय क्षति है।”
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “बिहार और भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व उपमुख्यमंत्री और मेरे स्नेहिल बड़े भाई सुशील मोदी का निधन बहुत ही दु:खद है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने और भाजपा के विस्तार में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी। उनका असमय निधन से मैं बहुत मर्माहत हूं। यह उनके जाने का समय नहीं था। मेरी बहुत विनम्र श्रद्धांजलि!”
भाजपा के राष्ट्रीय जे. पी. नड्डा ने X पर लिखा, “भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। विद्यार्थी परिषद से लेकर अभी तक हमने साथ में संगठन के लिए लंबे समय तक काम किया। सुशील मोदी जी का पूरा जीवन बिहार के लिये समर्पित रहा।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने X पर लिखा, “हमारे वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी जी के निधन की सूचना से आहत हूँ। आज बिहार ने राजनीति के एक महान पुरोधा को हमेशा के लिए खो दिया। ABVP से भाजपा तक सुशील जी ने संगठन व सरकार में कई महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया। उनकी राजनीति गरीबों व पिछड़ों के हितों के लिए समर्पित रही।”
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पोस्ट कर लिखा, “मुंबई के घाटकोपर में बिलबोर्ड गिरने की घटना में लोगों की मौत के बारे में जानकर व्यथित हूं। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। मैं उन सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “श्री सुशील कुमार मोदी जी का आकस्मिक निधन एक अपूरणीय क्षति है। सौम्य स्वभाव, कुशल प्रशासक के रूप में योगदान तथा सार्वजनिक जीवन में शुचिता उनके व्यक्तित्व और कृतित्व में परिलक्षित होते थे। बिहार के उप-मुख्यमंत्री, संसद सदस्य और राज्य की विधायिका के दोनों सदनों के सदस्य के रूप में श्री सुशील कुमार मोदी ने उच्च आदर्शों को निभाया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दें।”
सुशील कुमार मोदी कौन थे?
5 जनवरी 1952 को जन्मे सुशील कुमार मोदी ने अपनी राजनीतिक यात्रा पटना विश्वविद्यालय में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में शुरू की, जहाँ उन्होंने 1973 में छात्र संघ के महासचिव के रूप में कार्य किया। अपने तीन दशक लंबे राजनीतिक करियर में, सुशील मोदी ने विधायक, एमएलसी और लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने 2005 से 2013 तक और फिर 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। अनुभवी राजनेता 1990 में पहली बार पटना सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। वह 1996 से 2004 तक राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। 2004 में सुशील मोदी ने भागलपुर से लोकसभा की सीट जीतकर राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। हालाँकि, 2005 में, उन्होंने विधान परिषद में शामिल होने और बिहार के उपमुख्यमंत्री की भूमिका निभाने के लिए अपने लोकसभा पद से इस्तीफा दे दिया।
सुशील कुमार मोदी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
साल 2020 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी और नीतीश कुमार सीएम बने तब ये तय लग रहा था कि सुशील मोदी ही डिप्टी सीएम बनेंगे। लेकिन बीजेपी ने चौंका दिया और सुशील मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया। कुछ दिन बाद में उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया।
सुशील मोदी राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए थे। इस साल अप्रैल में कार्यकाल खत्म हुआ तो बीजेपी ने उन्हें फिर उम्मीदवार नहीं बनाया। लेकिन अप्रैल में उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर सार्वजनिक किया। अभी वो किसी सदन के सदस्य नहीं थे।
साल 2004 के मई से नवंबर 2005 तक का वक्त छोड़ दें, तो सुशील मोदी बिहार में ही राजनीति करते रहे। 2004 में भागलपुर से लोकसभा के सांसद बने थे। दिल्ली में उनकी ये पहली एंट्री थी। 16 साल बाद वो फिर से 2020 में दिल्ली गए। चर्चा होती रही कि केंद्र में मंत्री बनेंगे लेकिन ये सपना अधूरा रह। हालांकि बिहार की राजनीति में करीब दो दशक तक बीजेपी की राजनीति के केंद्र में रहे। बिहार में बीजेपी की राजनीति इन्हीं के आसपास घूमती रही। नीतीश कुमार के करीबी होने की बात कही जाती रही। इसमें सच्चाई भी है। आरोप भी लगते रहे कि बीजेपी को इन्होंने नीतीश की छाया में रखा। खैर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ जब-जब सरकार बनाई सुशील मोदी नंबर दो रहे। 2020 में पैटर्न बदल गया। चारों सदन का सदस्य बनने वाले देश के चुनिंदा नेताओं में सुशील मोदी भी एक रहे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरुआत करने वाले सुशील मोदी पटना से विधायक रहे हैं। बीजेपी जब विपक्षी पार्टी बनी तो सुशील मोदी बिहार में नेता विपक्ष भी रहे। साल 2000 में जब नीतीश हफ्ते भर के लिए पहली बार सीएम बने थे तब भी बीजेपी कोटे से सुशील मोदी ही मंत्री बनाए गए थे।
सुशील मोदी के माथे पर बिहार बीजेपी के भीष्म पितामह रहे कैलाश पति मिश्रा का हाथ रहा। मिश्रा जी ने ही सुशील मोदी को अपना सियासी उत्तराधिकारी बनाकर बिहार में आगे बढ़ाया. सुशील मोदी उन उम्मीदों पर खरे भी उतरे और राजनीति की ऊंचाईयां चढ़ते गए. ये अलग बात है कि कार्यकर्ताओं में उनको लेकर नाराजगी रही।
जब तक नीतीश कुमार पावरफुल रहे तब तक सुशील मोदी को हिलाने के बारे में कोई सोच नहीं सकता था। लेकिन 2020 के चुनाव में नीतीश कमजोर हुए तो पहला विकेट पार्टी ने सुशील मोदी का ही गिराया।
सुशील मोदी परिवारवाद की राजनीति के समर्थक नहीं रहे। आरएसएस के प्रचारक और फुल टाइमर रहे। 1990 में सक्रिय चुनावी राजनीति का हिस्सा बने।
बिहार में वित्त मंत्री रहे और विकास के काम के लिए खजाना खोलने में कोताही नहीं की। लालू यादव को चारा घोटाले में सलाखों के पीछे भी पहुंचाने वाले नेता रहे। हालांकि पटना यूनिवर्सिटी में जब लालू छात्र संघ अध्यक्ष बने तब सुशील मोदी सचिव बने थे।
उन्होनें केंद्र की मोदी सरकार में जीएसटी परिषद को लीड किया। देश में जीएसटी लागू करने में अहम योगदान रहा।
लोकसभा चुनाव के बीच सुशील मोदी का जाना बिहार की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।