केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने पर पूरे देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के भाजपा के वादे को दोहराया है और तर्क दिया है कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में पर्सनल लॉ नहीं हैं। शाह ने कहा, “क्या देश को शरिया के आधार पर चलाया जाना चाहिए? पर्सनल लॉ के आधार पर चलाया जाना चाहिए? कोई भी देश कभी इस तरह नहीं चला। दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में कोई पर्सनल लॉ नहीं है। भारत में ऐसा क्यों है?”
गृह मंत्री ने तर्क दिया कि कई मुस्लिम देश भी शरिया कानून का पालन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, “समय आगे बढ़ गया है। अब भारत को भी आगे बढ़ने की जरूरत है।”
देश में समान नागरिक संहिता लागू करना भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख चुनावी वादों में से एक है।
अमित शाह ने कहा कि सभी लोकतांत्रिक देशों में समान नागरिक संहिता है और अब समय आ गया है कि भारत भी ऐसा करे। उन्होंने यह भी कहा कि यूसीसी संविधान सभा द्वारा देश से किया गया एक वादा था जब संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था।
समान नागरिक संहिता की आलोचना को लेकर गृह मंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा, “एक धर्मनिरपेक्ष देश में, क्या सभी के लिए एक कानून नहीं होना चाहिए? यह धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा संकेत है। कांग्रेस ध्रुवीकरण से डरती नहीं है। वह राजनीति में लगी हुई है और जो भी वोट बैंक बचा है उसे मजबूत करना चाहती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस “वोट बैंक” की राजनीति के कारण संविधान सभा द्वारा किए गए वादे को पूरा करने में विफल रही।
अमित शाह ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद इस कानून पर ‘सामाजिक, न्यायिक और संसदीय दृष्टिकोण’ से बहस होगी।
मालूम हो कि आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है।