दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि यह केजरीवाल का निजी फैसला है कि उन्हें मुख्यमंत्री बने रहना है या नहीं। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संवैधानिक प्राधिकारियों से संपर्क करने को कहा।
उच्च न्यायालय ने कहा, ”कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन रखना पड़ता है, लेकिन यह उनका (केजरीवाल का) निजी फैसला है।”
पीठ ने कहा, “हम कानून की अदालत हैं। क्या आपके पास कोई उदाहरण है जहां अदालत द्वारा राष्ट्रपति शासन या राज्यपाल शासन लगाया गया हो?”
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर संकट की स्थिति है तो राष्ट्रपति या एलजी फैसला लेंगे कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल को मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है और वो संविधान के तहत गोपनीयता भंग करने के दोषी हैं। ऐसे में केजरीवाल को संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत पद से हटाया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल 21 मार्च को गिरफ्तार किए गए और उस दिन से दिल्ली सरकार की ओर से संविधान के अनुच्छेद 154, 162 और 163 का पालन नहीं किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 21 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में ‘सरकार की कमी’ हो गई है।
गुप्ता ने बाद में अपनी याचिका वापस ले ली और कहा कि वह उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुति देंगे।