‘अनुशासनहीनता’ के लिए कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के एक दिन बाद संजय निरुपम ने गुरुवार को कहा कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से उनके इस्तीफे के बाद सबसे पुरानी पार्टी ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शिवसेना (यूबीटी) के साथ सीट बंटवारे की बातचीत के बीच पार्टी विरोधी बयान देने के लिए बुधवार को महाराष्ट्र के नेता को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
पूर्व सांसद निरुपम ने एक्स पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे गए अपने इस्तीफे के मेल का स्क्रीनशॉट साझा किया और लिखा, “ऐसा लगता है कि पार्टी को कल रात मेरा इस्तीफा पत्र मिलने के तुरंत बाद, उन्होंने मेरा निष्कासन जारी करने का फैसला किया। ऐसी तत्परता देखकर अच्छा लगा। बस यह जानकारी साझा कर रहा हूं।”
https://x.com/sanjaynirupam/status/1775721299416932499?s=20
पत्रकार से नेता बने 59 वर्षीय ने बाद में मीडिया को संबोधित किया और मुंबई की उत्तर-पश्चिम सीट से ‘खिंचड़ी चोर’ अमोल कीर्तिकर को उम्मीदवार बनाने के लिए महा विकास अगाढ़ी (एमवीए) पर हमला किया।
‘जय श्री राम’ से संबोधन की शुरुआत करते हुए निरुपम ने कहा, ”एमवीए ने एक खिचड़ी चोर को अपना उम्मीदवार बनाया। बीजेपी को भ्रष्ट जनता पार्टी कहा जाता था। जब आप एक खिचड़ी चोर को टिकट देते हैं तो आपकी बीजेपी को बुलाने की क्या औकात है? मुझे उम्मीद थी कि मेरी पार्टी इस पर ध्यान देगी। मैंने रात 10.43 बजे खड़गे जी को अपना इस्तीफा लिखा।”
उन्होंने कहा, अब सवाल उठता है कि कांग्रेस ऐसा क्यों कर रही है। दरअसल, कांग्रेस आज बिखरी हुई पार्टी है। वैचारिक तौर पर दिशाहीन तो सब बता ही रहे हैं। पहले एक पावर सेंटर हुआ करता था। बाकी उसके दरबारी होते थे। आज कांग्रेस में पांच पावर सेंटर हैं और इनकी अपनी लॉबी और कॉकस हैं। आज आपस में टकराव होते रहते हैं। इसमें मेरे जैसे आम कार्यकर्ता तकलीफ में रहते हैं।
निरुपम ने कहा, आज कांग्रेस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल एक पावर सेंटर बन गए हैं। खड़गे के करीबियों के पास कोई अनुभव नहीं है और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वो अचानक करीब आ गए हैं और अब गलत बातें बोलते हैं। वेणुगोपाल क्या बोलते हैं, किसी को समझ में नहीं आता है। कांग्रेस में लॉबियों के बीच टकराव चल रहा है। कांग्रेस में नेताओं की परेशानी बढ़ती जा रही है। अंतत: मेरा धैर्य टूटा और आज आपके सामने बैठे हैं। कार्यकर्ताओं में निराशा गहराती जा रही है। कांग्रेस बार-बार कहती है कि हम धर्म निरपेक्ष पार्टी हैं। कांग्रेस को गांधी जी लेकर आए थे।
संजय निरुपम ने कहा, गांधी जी के सेक्युलरिज्म में किसी धर्म का विरोध नहीं है। इसे नेहरू ने एडॉप्ट किया। लेकिन उनके सेक्युलरिज्म में धर्म का ही विरोध है और धीरे-धीरे ये लोगों की नसों में चला गया। लेकिन सारी विचारधाराओं की एक लिमिट होती है और बाद में वो खत्म हो जाती है। कांग्रेस के अंदर धार्मिक होने का विरोध किया जाता है और कांग्रेस धर्म को मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस आलाकमान राम लला विराजमान का ही विरोध करने पर उतर आए। किसी ने आयोजन उत्सव पर सवाल नहीं उठाए। लेकिन कांग्रेस ने इसे बीजेपी का प्रचार बताकर राम के प्रति आस्था को ही नकार दिया। तीन चार दिन तक उस पर पार्टी प्रवक्ता जवाब देते रहे। आज हालात ये है कि हिंदुस्तान पूरी तरह धार्मिक हो गया है। आज हर कोई मंदिर गर्व से जाता है। पहले मंदिर जाने से स्टार भी कतराते थे।
ब उनसे उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा गया, तो पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि वह मुंबई उत्तर-पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
“मैं चुनाव लड़ूंगा। मैं यहीं से लड़ूंगा। मैं यहां से जीतूंगा। जो लोग मेरा मृत्युलेख लिखने की योजना बना रहे हैं, मैं उन्हें निराश करूंगा। मैं नवरात्रि के बाद भविष्य की रणनीति तय करूंगा।”
निरुपम के आरोपों पर कांग्रेस की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इससे पहले उन्होंने अपने एक्स बायो से भी ‘कांग्रेसी’ हटा दिया था।
खड़गे को लिखे अपने इस्तीफे में निरुपम ने लिखा, “मैंने आखिरकार आपकी बहुप्रतीक्षित इच्छा को पूरा करने का फैसला किया है और मैं घोषणा करता हूं कि मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देना चाहता हूं।”
निरुपम के खिलाफ कार्रवाई तब हुई जब कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने राज्य में पार्टी के सहयोगी और महा विकास अघाड़ी सदस्य शिव सेना (यूबीटी) को निशाना बनाने वाली उनकी हालिया टिप्पणियों के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की।
इससे पहले कांग्रेस ने स्टार प्रचारक के तौर पर निरुपम का नाम भी हटा दिया था।
निरुपम के खिलाफ कार्रवाई की मांग तब बढ़ गई जब उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान मुंबई में सीटें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को सौंपने के लिए राज्य नेतृत्व को फटकार लगाई।
पूर्व कांग्रेस सांसद मुंबई की उत्तर-पश्चिम सीट से चुनाव लड़ने का लक्ष्य बना रहे थे, और उन्होंने सेना (यूबीटी) द्वारा अमोल कीर्तिकर को मैदान में उतारने पर नाखुशी व्यक्त की थी।
संयोग से निरुपम (अविभाजित) शिवसेना से दो बार के पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के पूर्व मुंबई उत्तर लोकसभा सांसद हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि निरुपम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा या शिवसेना में शामिल हो सकते हैं।