उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में 15 राज्यसभा सीटों के लिए मंगलवार को हुए चुनाव में भारी ड्रामा देखने को मिला, जिसमें बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई और विधायकों ने पाला बदल लिया। उत्तर प्रदेश में, पूर्व मुख्य सचेतक मनोज पांडे सहित समाजवादी पार्टी के कई प्रमुख नेताओं ने खुले तौर पर भाजपा का पक्ष लिया और उन अटकलों को हवा दी कि उन्होंने क्रॉस वोटिंग की। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जमकर हंगामा किया और भाजपा पर उनकी पार्टी के विधायकों की खरीद-फरोख्त और उन्हें धमकाने का आरोप लगाया।
जिन तीन राज्यों की 15 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं, उनमें उत्तर प्रदेश की 10, कर्नाटक की 4 और हिमाचल प्रदेश की 1 सीट है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक का पद छोड़ने वाले मनोज पांडे उन पांच सपा विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की।
कर्नाटक, जहां उच्च सदन की चार सीटें दांव पर हैं, वहां दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के एसटी सोमशेखर और कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (केआरपीपी) के विधायक जी जनार्दन रेड्डी ने कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया।
कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश, जहां एक राज्यसभा सीट के लिए दावेदारी है, वहां जोरदार मतदान हुआ। भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन, जो कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं, ने दावा किया कि सबसे पुरानी पार्टी के सभी विधायक चुनाव से पहले उनके संपर्क में थे।
मंगलवार को 56 राज्यसभा सीटों के लिए हुए वोटिंग से पहले ही चुनाव आयोग ने 41 उम्मीदवारों को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया था। इनमें से बीजेपी के 20 और कांग्रेस के 6 उम्मीदवार शामिल हैं। टीएमसी के 4, वाईएसआर कांग्रेस के 3, आरजेडी और बीजू जनता दल के 2-2, जबकि जेडीयू, शिवसेना, एनसीपी और बीआरएस को 1-1 सीट पर जीत मिली है।
राज्यसभा चुनाव से जुड़े नए घटनाक्रम ये हैं:
हिमाचल प्रदेश में 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है।
यूपी में समाजवादी पार्टी के 8 विधायक पाला बदलकर बीजेपी उम्मीदवार के प्रति समर्थन जता चुके हैं। इनमें अभय सिंह, राकेश सिंह, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, मनोज पांडेय, महाराजी देवी (हालांकि अनुपस्थित रहीं), पूजा पाल और आशुतोष मौर्य का नाम शामिल है।
सपा के 5 विधायकों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इनमें अभय सिंह, राकेश सिंह, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, मनोज पांडेय का नाम शामिल थे। ये सभी विधायक विधानसभा सचिवालय में सीएम से मिले।
आरएलडी ने सोशल मीडिया पोस्ट कर दावा किया कि सभी 9 विधायकों ने एकसाथ, एकमत होकर भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशी संजय सेठ को वोट दिया। पार्टी की तरफ से कहा गया,’राष्ट्रीय लोकदल का वोट किसान, नौजवान, गरीब, महिलाओं के हक में है। हर वोट भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के विचारों से प्रभावित और प्रेरित है। सभी विधायकों का धन्यवाद है, जिन्होंने देश की मूल भावना के प्रति, चौधरी साहब के आदर्शों, मानकों और उनके सपनों के प्रति अपनी कड़ी मुहर लगाई है।
रायबरेली के ऊंचाहार निर्वाचन क्षेत्र से विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडे ने अखिलेश यादव को संबोधित एक पत्र में मुख्य सचेतक के पद से अपने इस्तीफे के लिए व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया। इस बीच, अखिलेश यादव ने कहा कि व्यक्तिगत लाभ चाहने वाले चले जाएंगे, और उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए उन पर जीत हासिल करने के लिए किसी भी हथकंडे का सहारा लेने का आरोप लगाया। बाद में सपा ने मनोज पांडे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और कार्यालय के बाहर मुख्य सचेतक का बोर्ड हटा दिया।
उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के लिए भाजपा ने आठ और विपक्षी समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा और सपा दोनों के पास क्रमश: सात और तीन सदस्यों को निर्विरोध राज्यसभा भेजने की संख्या है। हालाँकि, भाजपा द्वारा आठवें उम्मीदवार के रूप में संजय सेठ को मैदान में उतारने से एक सीट पर प्रतिस्पर्धी मुकाबला होने की संभावना है। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के लिए एक उम्मीदवार को लगभग 37 वोटों की आवश्यकता होती है।
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने चार रिक्तियों को भरने के लिए द्विवार्षिक चुनाव से पहले अपने सभी विधायकों को एक होटल में स्थानांतरित कर दिया है। पांच उम्मीदवार – अजय माकन, सैयद नसीर हुसैन और जी सी चंद्रशेखर (सभी कांग्रेस), नारायण बंदगे (भाजपा) और कुपेंद्र रेड्डी (जद (एस)) मैदान में हैं। क्रॉस वोटिंग की आशंकाओं के बीच सभी पार्टियों ने विधायकों को व्हिप जारी किया।
इसी तरह, हिमाचल प्रदेश में, कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को वोट देने के लिए व्हिप जारी किया है – एक ऐसा कदम जिस पर भाजपा ने आरोप लगाया कि यह विधायकों पर दबाव डालने के लिए है। बीजेपी ने दावा किया कि विधायक लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए हैं और उन्हें अपनी इच्छा के मुताबिक वोट देने का अधिकार है। हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पास 68 में से 40 विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ स्पष्ट बहुमत है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रदेश, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी उन 41 उम्मीदवारों में शामिल थे, जिन्होंने नवीनतम दौर में निर्विरोध सीटें जीतीं।
जेपी नड्डा को गुजरात में खाली हुई सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया और वे निर्विरोध चुन लिए गए। इसी तरह, वैष्णव ओडिशा के सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के समर्थन से दूसरी बार उच्च सदन के लिए चुने गए। यहां तक कि सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन को भी मध्य प्रदेश से निर्विरोध चुना गया।
राजस्थान में, सोनिया गांधी निर्विरोध चुनी गईं और भाजपा के चुन्नीलाल गरासिया और मदन राठौड़ भी निर्विरोध चुने गए। गुजरात के हीरा व्यापारी गोविंदभाई ढोलकिया, जसवंतसिंह परमार और ओबीसी मोर्चा के प्रमुख मयंक नायक भी निर्विरोध चुने गए। बिहार में जदयू नेता संजय झा को भी राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के चार नेता-ममता ठाकुर, सागरिका घोष, सुष्मिता देवी और मोहम्मद नदीमुल हक निर्विरोध चुने गए। बीजेपी की ओर से शमिक भट्टाचार्य उच्च सदन में पहुंचने वाले पहले सांसद थे।
भाजपा ने सबसे अधिक 20 सीटें जीती हैं। उसके बाद कांग्रेस (6), तृणमूल कांग्रेस (4), वाईएसआर कांग्रेस (3), राजद (2), बीजेडी (2) और एनसीपी, शिव सेना, बीआरएस और जेडी ( यू) ने एक-एक जीतीं।
कैसे होता है राज्यसभा का चुनाव?*
राज्यसभा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव की विधि से किया जाता है। प्रत्येक राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों का चुनाव उस राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों और उस केंद्र शासित प्रदेश के निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा सिंगल ट्रांसफर वोट के जरिये आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार किया जाता है। राज्यसभा के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं। इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डालते। राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक फॉर्मूला होता है। होता ये है कि राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है। फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है। इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है।
-यूपी में 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है. इसमें 1 जोड़ा तो होता है 11. यूपी में वैसे तो विधानसभा सीटों की संख्या 403 है, लेकिन मौजूदा समय में 4 सीटें खाली हैं, इसलिए 399 विधायक हैं. अब 399 से 11 का भाग दिया तो संख्या आई 36.272. जिसे 36 माना जाएगा. अब इसमें 1 जोड़ा तो संख्या आई 37.
राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी.
राज्यसभा चुनाव में वोटिंग कैसे होती है?*
राज्यसभा चुनाव के लिए सीक्रेट वोटिंग नहीं होता है। राज्यसभा चुनाव ओपन बैलट सिस्टम से होता है। प्रत्येक दल के MLA को अपना वोट बैलेट बॉक्स में डालने से पहले दल के अधिकृत एजेंट को दिखाना होता है। यदि एक MLA अपने दल के अधिकृत एजेंट के अलावा किसी और एजेंट को मतपत्र दिखाता है तो वह वोट अमान्य हो जाता है। इसके अलावा यदि वह अपने दल के एजेंट को मतपत्र नहीं दिखाता है तो भी वोट रद्द हो जाता है। राज्यसभा चुनाव में नोटा का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
कहां से कौन उम्मीदवार मैदान में है?
उत्तर प्रदेश: इस राज्य में कुल 11 उम्मीदवार हैं।
बीजेपी
सुधांशु त्रिवेदी
आरपीएन सिंह
अमरपाल मौर्या
तेजपाल सिंह
नवीन जैन
साधना सिंह
संगीता बलवंत
संजय सेठ
समाजवादी पार्टी
जया बच्चन
आलोक रंजन
रामजी लाल सुमन
कर्नाटक: राज्य में कुल पांच उम्मीदवार हैं।
कांग्रेस
अजय माकन
सैयद नासीर हुसैन
जीसी चंद्रशेखर
बीजेपी
नारायण सा भांडगे
जेडीएस
कुपेंद्र रेड्डी
हिमाचल प्रदेश: यहां कुल 2 उम्मीदवार हैं।
कांग्रेस
अभिषेक मनु सिंघवी
बीजेपी
हर्ष महाजन