मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किया गया समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पारित हो गया। इसके साथ ही उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इस विधेयक को सदन की चयन समिति को सौंपने की विपक्ष की मांग के बीच उत्तराखंड विधानसभा में पारित किया कर दिया गया। विधेयक को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
विधानसभा सत्र के बाद धामी ने संवाददाताओं से कहा, “यह कानून समानता, एकरूपता और समान अधिकार का है। इसे लेकर कई तरह की शंकाएं थीं लेकिन विधानसभा में दो दिन की चर्चा से सब कुछ स्पष्ट हो गया। यह कानून किसी के खिलाफ नहीं है। यह उन महिलाओं के लिए है जिन्हें सामाजिक कारणों से परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे उनका आत्मविश्वास मजबूत होगा। यह कानून महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए है। बिल पास हो गया। हम इसे राष्ट्रपति के पास भेजेंगे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही हम इसे कानून के रूप में राज्य में लागू कर देंगे।”
उत्तराखंड विधानसभा में विधेयक पर चर्चा करते हुए, धामी ने आश्वासन दिया कि यह संविधान के अनुसार तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा, “आजादी के बाद संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 44 के तहत यह अधिकार दिया कि राज्य भी उचित समय पर यूसीसी लागू कर सकते हैं। इसे लेकर लोगों के मन में संदेह है। हमने संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप मसौदा तैयार किया है।”
इसके लाभों पर प्रकाश डालते हुए धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता विवाह, भरण-पोषण, विरासत और तलाक जैसे मामलों पर बिना किसी भेदभाव के सभी को समानता का अधिकार देगी। उन्होंने कहा, “यूसीसी मुख्य रूप से महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को दूर करेगा।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “समान नागरिक संहिता महिलाओं के खिलाफ अन्याय और गलत कार्यों को खत्म करने में भी सहायता करेगी। अब समय आ गया है कि मातृशक्ति के खिलाफ अत्याचार को रोका जाए। हमारी बहनों और बेटियों के खिलाफ भेदभाव को रोकना होगा। आधी आबादी को अब समान अधिकार मिलना चाहिए।”
इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि वह विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसके प्रावधानों की विस्तार से जांच करने की जरूरत है ताकि पारित होने से पहले इसकी खामियों को दूर किया जा सके।
कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहार ने कहा, “हम विधेयक या इसके पारित होने का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन पारित होने से पहले इसे सदन की चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था।”
गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष वादों में से एक था।
यूसीसी ड्राफ्ट में शामिल है:
1. लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल होगी।
2. शादी के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
3. पति-पत्नी दोनों के पास तलाक के लिए समान कारण और आधार होंगे। तलाक के जो आधार पति पर लागू होते हैं वही पत्नी पर भी लागू होंगे।
4. एक पत्नी के जीवित रहने तक दूसरी शादी नहीं हो सकेगी, यानी बहुविवाह पर रोक लग जायेगी।
5. लड़कियों को विरासत में लड़कों के बराबर अधिकार मिलेगा।
6. लिव-इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा।
7. अनुसूचित जनजाति के लोग यूसीसी के दायरे से बाहर रहेंगे।