सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा भूमि धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की विशेष पीठ ने 48 वर्षीय झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता को झारखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
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सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट के दरवाज़े सबके लिए बराबर खुले है। अगर हम सीधे आपकी अर्जी पर सुनवाई करते है तो फिर हमें हरेक को सीधे सुनना होगा। हाई कोर्ट भी सवैंधानिक कोर्ट है। वो भी आर्टिकल 226 के तहत इस केस में सुनवाई कर उपयुक्त आदेश देने में समर्थ है।
ED की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि एक आम आदमी को ऐसा लाभ नहीं मिलेगा कि वो सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सके। इस पर सिब्बल ने कहा कि ये सच्चाई है कि वो सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई की। सोरेन ने 1 फरवरी को दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। सोरेन ने अपनी याचिका में गिरफ्तारी को अवैध बताया था। याचिका मे सोरेन ने कहा था कि उन्हें राज्यपाल के घर से अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था।
आरोप लगाते हुए उन्होनें कहा था कि झारखंड में सरकार गिराने के लिए ईडी की कार्रवाई केंद्र के इशारे पर चल रही है। ईडी की विवादित कार्रवाई केंद्र सरकार के इशारे पर झारखंड राज्य में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने के लिए है।
याचिका मे सोरेन ने गिरफ्तारी को आधारहीन और अनुचित बताया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि गिरफ्तारी के आधार के अध्ययन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। याचिका मे आरोप लगाया गया है कि ईडी ने अपने अधिकारो का दुरूपयोग किया और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से कार्रवाई की है।
याचिका मे कहा गया कि ईडी को ईमेल के जरिए ये जानकारी दी गई थी कि 31 जनवरी को रात 9 बजे सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई की मांग पर विचार करेगा। ये बात हेमंत सोरेन ने पूछताछ कर रहे ईडी के अधिकारियों को भी बताया था। सोरेन ने ईडी अधिकारियों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक आपको इंतजार करना चाहिए लेकिन इसके बावजूद गिरफ्तार कर लिया गया।
मालूम हो कि बुधवार को हेमंत सोरेन को भूमि धोखाधड़ी मामले में सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। अपनी गिरफ्तारी से पहले, हेमंत सोरेन ने झामुमो नेता चंपई सोरेन को नामित किया था, जिन्हें पार्टी के विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया।