झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि धोखाधड़ी मामले में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पांच दिन की हिरासत में भेज दिया गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के तुरंत बाद सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया था।
ईडी की जांच में पता चला कि 13 अप्रैल 2023 को रांची में राजस्व उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद सहित कई परिसरों पर छापेमारी की गई थी। इस कार्रवाई के दौरान बड़ी मात्रा में संपत्ति से जुड़े दस्तावेज और रजिस्टर जब्त किए गए थे। ये दस्तावेज़ चल रही जांच से जुड़े थे।
ईडी का दावा है कि उसके पास रांची में कथित भूमि संबंधी अनियमितताओं में सोरेन के मुख्य लाभार्थी होने के सबूत हैं, जहां दलालों और व्यापारियों का एक नेटवर्क कथित तौर पर रजिस्ट्रार कार्यालयों में फर्जी रिकॉर्ड बनाकर जमीन के पार्सल के फर्जी दस्तावेज तैयार करने और उन्हें आगे बेचने के लिए वर्षों से काम कर रहा था।
हेमंत सोरेन ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि ईडी उन पर ऐसे आरोप लगा रही है जिसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है।
इससे सुप्रीम कोर्ट ने मामले में ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की विशेष पीठ ने 48 वर्षीय झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता को झारखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
जांच एजेंसी द्वारा जारी समन को रद्द करने और गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की मांग को लेकर हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
बुधवार को सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद ईडी ने सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था। झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
अपनी गिरफ्तारी से पहले, हेमंत सोरेन ने झामुमो नेता चंपई सोरेन को नामित किया था, जिन्हें पार्टी के विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया था। चंपई सोरेन ने लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।