राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए सोमवार को पटना में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए। अधिकारियों ने बताया कि लालू यादव अपनी बेटी मीसा भारती के साथ सुबह करीब 11:05 बजे केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय पहुंचे। इसके अलावा तेजस्वी यादव से ईडी मंगलवार को पूछताछ करेगी। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ईडी की एक टीम मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में सोमवार को दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर पहुंची। सूत्रों ने संकेत दिया कि यह कथित भूमि धोखाधड़ी मामले में उनके नए बयान से जुड़ा हो सकता है, जिसमें ईडी ने 20 जनवरी को रांची में उनके आधिकारिक आवास पर उनसे पूछताछ की थी और इस सप्ताह के लिए उन्हें एक नया समन जारी किया था।
हालांकि, सोरेन अपने घर पर नहीं थे और ईडी सूत्रों ने बताया कि वो आधी रात को ही किसी अज्ञात स्थान पर चले गए। ईडी सूत्रों के मुताबिक, ईडी की टीम सुबह 7 बजे सोरेन के घर पहुंची और उनकी मौजूदा लोकेशन का पता लगाने की कोशिश कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 27 जनवरी को ईडी ने उन्हें दसवां समन जारी किया था जिसमें उन्हें इस सप्ताह फिर से जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था। सोरेन ने 31 जनवरी को ईडी द्वारा पूछताछ के लिए सहमति दे दी थी। झारखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के करीबी सूत्रों ने कहा कि सोरेन जांच एजेंसी के साथ पूछताछ के लिए उपलब्ध होंगे।
ईडी सूत्रों ने बताया कि सोरेन नौ बार ईडी के समन में शामिल नहीं हुए और अब उन्हें 29 या 31 जनवरी को पूछताछ के लिए अपनी उपलब्धता की पुष्टि करने के लिए कहा गया है। ईडी ने कहा कि अगर सोरेन 29 जनवरी या 31 जनवरी को पूछताछ के लिए नहीं आए तो वह उनसे संपर्क करेगी। ईडी ने मामले में पहली बार 20 जनवरी को सोरेन का बयान दर्ज किया था, जब जांचकर्ता रांची में उनके आधिकारिक आवास पर गए थे। जांचकर्ताओं द्वारा उनके घर पर बिताए गए लगभग सात घंटों के दौरान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज किया गया था।
सोरेन, जो सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने समन न मिलने का कारण भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर झारखंड में उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए जांच एजेंसियों का उपयोग करने का आरोप लगाया है। इस महीने की शुरुआत में, जांच एजेंसी ने राज्य में कथित अवैध खनन की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत सोरेन के प्रेस सलाहकार, साहिबगंज जिले के अधिकारियों और एक पूर्व विधायक के परिसरों पर भी छापेमारी की थी।
ईडी साल 2022 से राज्य में अवैध खनन कार्यों से उत्पन्न “अपराध की आय” के 100 करोड़ रुपये की जांच कर रहा है। जांच एजेंसी ने अब तक इस मामले में 14 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 2011-बैच के आईएएस अधिकारी छवि रंजन भी शामिल हैं, जो राज्य के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे।
वहीं लालू की बेटी मीसा भारती और बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ता सोमवार को पटना में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय के बाहर एकत्र हुए। उन्होंने कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
इस बीच, राजद नेतृत्व ने ईडी के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पार्टी के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
मीसा भारती ने कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। यह ग्रीटिंग कार्ड उन लोगों को भेजा जा रहा है जो उनके साथ नहीं आ रहे हैं। जब भी कोई एजेंसी हमारे परिवार को बुलाती है तो हम वहां जाते हैं और उनका सहयोग करते हैं और उनके सवालों का जवाब देते हैं।”
राजद सांसद मनोज झा ने कहा, “यह ईडी का समन नहीं है, बल्कि बीजेपी का समन है… यह 2024 तक चलेगा। तब तक कृपया इसे ईडी का समन न कहें… हमें क्यों डरना चाहिए?”
रविवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले सम्राट चौधरी ने राजद पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में शामिल थे। उन्होंने कहा, “देश की जनता जानती है कि ये (लालू यादव) भ्रष्ट लोग हैं। भ्रष्टाचार उनके लिए गहना है… मैं तेजस्वी यादव से आग्रह करना चाहता हूं कि वे बिहार के युवाओं को डेढ़ साल के भीतर करोड़पति बनने की प्रणाली बताएं।”
इससे पहले बीते शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने इसी मामले में राबड़ी देवी और बेटी हेमा यादव और अन्य को 9 फरवरी को पेश होने के लिए बुलाया है। इस मामले में लालू यादव के साथ-साथ राबड़ी देवी और मीसा भी आरोपी हैं, जिसकी भी सी.बी.आई. द्वारा जांच की जा रही है।
लालू यादव के खिलाफ नौकरी के बदले जमीन मामले में यह आरोप शामिल है कि 2004 से 2009 तक केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने विभिन्न रेलवे जोन में ग्रुप डी पद पर की नियुक्ति के बदले में जमीन की संपत्ति को अपने नाम पर स्थानांतरित करके आर्थिक लाभ प्राप्त किया।