सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने पुष्टि की है कि वह 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल नहीं होंगे। येचुरी ने निमंत्रण ठुकराने का कारण ‘धार्मिक आस्था का राजनीतिकरण’ बताया। येचुरी ने कहा, “मैंने अब तक किसी को कुछ नहीं बताया है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के साथ एक विहिप नेता आए और उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया।”
उन्होनें कहा, “धर्म प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद है। हम प्रत्येक व्यक्ति के अपने विश्वास के विशेष रूप को चुनने के अधिकार का सम्मान करते हैं और उसकी रक्षा करते हैं। जहां तक भारतीय संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सवाल है, उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि राज्य किसी विशेष धर्म को नहीं मानेगा या कोई धार्मिक संबद्धता नहीं रखेगा। इस उद्घाटन समारोह में क्या हो रहा है कि इसे प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ एक राज्य प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया गया है।”
येचुरी ने कहा, “यह सीधे तौर पर लोगों की धार्मिक आस्था का राजनीतिकरण है जो संविधान के अनुरूप नहीं है। इसलिए, इन परिस्थितियों में, मुझे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने का अफसोस है।”
इसके अलावा, पार्टी की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने कहा कि सीपीआई (एम) “धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करती है” और सुझाव दिया कि “धर्म का राजनीतिकरण करना सही नहीं है।”
करात ने कहा, “हमारी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होगी। हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं, लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं।”
इस बीच, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने अपने फैसले पर सीपीआई (एम) की आलोचना की और कहा, “जिनका नाम सीताराम है, वे अयोध्या धाम नहीं जाएंगे।”
बंसल ने कहा, ”खबरें हैं कि…जिनका नाम सीताराम है वो अयोध्या धाम नहीं जाएंगे!! राजनीतिक विरोध समझ में आता है, लेकिन अगर किसी को अपने नाम से इतनी नफरत है तो वो कम्युनिस्ट ही हो सकता है! नफरत राम से है या अपने नाम से, ये तो बताना पड़ेगा!!”
उन्होनें कहा, “हिंदुओं, हिंदुत्व और हिंदू मूल्यों का अपमान करना इन सामाजिक रूप से कंटकों के डीएनए का हिस्सा बन गया लगता है!! बाबर चला गया, बाबरी मिट्टी हो गई, पार्टी की स्थिति रसातल में पहुंच गई लेकिन मानसिकता अभी भी है वैसा ही है, जैसे ये बाबर की औलाद हों… राम आ रहे हैं, देशद्रोह से बाज आओ और तुम भी वापस आ जाओ।”
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी राम मंदिर उद्घाटन से जुड़े पूरे मुद्दे को “दिखावा” बताकर भाजपा की आलोचना की।
सिब्बल ने कहा, “मेरे दिल में राम हैं। मुझे दिखावा करने की जरूरत नहीं है। मैं जो आपसे कहता हूं वह अपने दिल से कहता हूं, क्योंकि मुझे इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर राम मेरे दिल में हैं और राम ने मुझे पूरे जीवन में मार्गदर्शन किया है। इसका मतलब है कि मैंने कुछ सही किया है।”
इसके अलावा मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, “निमंत्रण तो सभी को भेजा गया है लेकिन केवल वही लोग आएंगे जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है।”
इस बीच 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के अभिषेक समारोह के लिए लोगों को आमंत्रित करने के लिए बच्चे मंगलवार को रामायण के पात्रों की वेशभूषा में अयोध्या में घर-घर गए।