सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2007 के गैंगस्टर एक्ट मामले में अयोग्य ठहराए गए बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी की सजा को निलंबित कर दिया। कोर्ट ने एक सांसद के रूप में उनकी स्थिति को इन शर्तों के अधीन बहाल कर दिया कि वह सदन की कार्यवाही में भाग लेने के बावजूद वोट देने या भत्ते प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे। पांच बार विधानसभा सदस्य और दो बार सांसद रहे अंसारी को दोषी ठहराए जाने और चार साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद 1 मई को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
अपनी याचिका में अफजाल अंसारी ने 2007 के गैंगस्टर एक्ट मामले में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी।अफजाल ने राहुल गांधी के मामले का हवाला देकर अपनी भी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी।
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व सांसद अंसारी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि अदालत को मामले के हर पहलू को देखना चाहिए। क्योंकि अगर उनकी दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया तो उनका गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा में प्रतिनिधित्वहीन हो जाएगा। अफजाल संसद की विभिन्न स्थायी समितियों के सदस्य थे, जब वे सांसद नहीं रहेंगे तो वहां वह योगदान नहीं दे पाएंगे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने 3:2 के बहुमत से अंसारी की अपील को आंशिक रूप से अनुमति दे दी, जबकि सजा के खिलाफ उनकी याचिका पर फैसला करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लिए 30 जून 2024 की समय सीमा निर्धारित की। जस्टिस कांत और भुइयां ने अंसारी की याचिका के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि उनकी अपील विफल होनी चाहिए।
बहुमत का मानना था कि संवैधानिक न्यायालय को लोकतंत्र में दो प्रमुख हितों-चुनावी प्रक्रिया की अखंडता और निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों के अधिकारों को संतुलित करने की आवश्यकता है। बहुमत की राय में कहा गया है कि अंसारी 2024 में अगला लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इसमें कहा गया है कि इस चुनाव का नतीजा उनकी अपील पर उच्च न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगा।
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर की एक विशेष अदालत ने 29 अप्रैल को अंसारी और उनके भाई पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराया था। इसमें मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई गई थी।
नवंबर 2005 में भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और 1997 में वाराणसी के व्यापारी नंद किशोर रूंगटा के अपहरण-हत्या के मामले में दोनों भाइयों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
24 जुलाई को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अफ़ज़ल अंसारी की दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्हें जमानत दे दी। उन्होंने विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की, जिसने उन पर ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया। अंसारी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर उनके मुवक्किल की सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो लोकसभा में ग़ाज़ीपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं रह जाएगा।
सिंघवी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के बाद गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी।
सिंघवी ने कहा कि अगर अफजल अंसारी की दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया, तो उनके निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव अधिसूचित किया जाएगा और परिणामस्वरूप, उनके बरी होने की स्थिति में उनके लिए अपरिवर्तनीय पूर्वाग्रह पैदा होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल केएम नटराज ने अक्टूबर में मामले पर बहस के दौरान याचिका का विरोध किया। नटराज ने कहा कि उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 का मूल उद्देश्य विफल हो जाएगा, जो कुछ अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर एक विधायक की अयोग्यता से संबंधित है। उन्होंने कहा कि इस मामले में ऐसी कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत पड़े।
31 अक्टूबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
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