उत्तर प्रदेश पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके “हलाल प्रमाणित” उत्पाद बेचने के आरोप में कई व्यवसायों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। हलाल प्रमाणपत्र इंगित करता है कि उत्पाद इस्लामी कानून के अनुसार तैयार किया गया है और मिलावट रहित है। पुलिस के अनुसार, इन व्यवसायों ने जाली दस्तावेजों के माध्यम से अपने उत्पादों के लिए हलाल प्रमाणीकरण हासिल किया। प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में नामित व्यवसायों में से एक चेन्नई स्थित हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है।
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यूपी सरकार हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों की बिक्री पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है। ‘नकली’ हलाल प्रमाणपत्रों का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, टूथपेस्ट, तेल और साबुन से लेकर विभिन्न प्रकार के उत्पादों को बेचने के लिए किया जा रहा था। आशंका है कि फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर इकट्ठा हो रही अवैध कमाई से आतंकवादी संगठनों व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फन्डिंग की जा रही है।
हलाल सर्टिफिकेट देने वालों के साथ ही संबंधित उत्पादों को बेचने वालों पर गंभीर धाराओं में एफआईआर भी दर्ज की गई है। सर्टिफ़िकेशन के लिए ली जाने वाली राशि का देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल होने की भी आशंका है। आईपीसी की धारा 120 b/ 153A/ 298/ 384 /420 /467/ 468 /471/ 505 के तहत केस दर्ज की गई है।
एफआईआर के मुताबिक हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुम्बई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुम्बई आदि द्वारा एक धर्म विशेष के ग्राहकों को मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र प्रदान कर उनकी ब्रिकी बढ़ाने के लिए आर्थिक लाभ लेकर अवैध कारोबार चलाया जा रहा है।
पुलिस ने मामले में कई संगठनों का भी नाम लिया है, जैसे दिल्ली में जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट, हलाला काउंसिल ऑफ इंडिया और मुंबई में जमीयत उलेमा।
इस मामले में आगे की जांच चल रही है।