आज देश भर में भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। भाई दूज को भाई फोटा, भाऊबीज या भाथरू द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हिंदू त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है। यह त्यौहार आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में होता है। भाई दूज हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व रखता है, जो भाइयों और बहनों के बीच विशेष बंधन पर जोर देता है। यह त्योहार प्यार, स्नेह और भाइयों द्वारा अपनी बहनों की रक्षा करने के कर्तव्य का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
भाई दूज की उत्पत्ति का पता प्राचीन भारतीय इतिहास से लगाया जा सकता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। सुभद्रा ने आरती (रोशनी के साथ औपचारिक पूजा) के साथ कृष्ण का स्वागत किया और अपने प्यार और स्नेह की निशानी के रूप में उनके माथे पर तिलक लगाया। भाई दूज पर बहनों द्वारा अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाने की परंपरा के पीछे इसी कृत्य को प्रेरणा माना जाता है।
भाई दूज के उत्सव में आमतौर पर बहनें अपने भाइयों के लिए आरती करती हैं, उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और एक समारोह आयोजित करती हैं जहां वे अपने भाइयों की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उनके प्यार और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में उपहार देते हैं। इस दिन परिवारों का एक साथ आना और उत्सव का भोजन साझा करना भी आम बात है।
भाई दूज का समय हर साल हिंदू कैलेंडर के आधार पर अलग-अलग होता है। यह कार्तिक के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। इस साल भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक है। जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है।
भाई दूज के अनुष्ठान और विधि (प्रक्रिया) विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन यहां 2023 में भाई दूज पूजा करने के लिए एक सामान्य दिशानिर्देश है:
आवश्यक वस्तुएँ:
तिलक (चंदन, कुमकुम और चावल से बना)
दीया (तेल का दीपक)
पुष्प
नारियल
मिठाइयाँ
फल
अगरबत्तियां
कपूर
आरती थाली (प्रसाद के लिए एक थाली)
रोली (लाल पाउडर)
चावल
भाई दूज पूजा विधि:
तैयारी:
– घर और उस क्षेत्र को साफ करें जहां पूजा की जाएगी।
– पूजा के लिए आवश्यक सभी वस्तुओं को एक साफ सतह पर व्यवस्थित करें।
बहन की तैयारी:
– पारंपरिक पोशाक पहनकर तैयार हो जाएं।
– चंदन, कुमकुम और चावल को मिलाकर तिलक तैयार करें।
पूजा स्थापना:
– भाई के बैठने के लिए छोटी चौकी या साफ कपड़ा रखें।
– दीया और अगरबत्ती जलाएं।
भाई का आगमन:
– पूजा में बैठने से पहले भाई को स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए।
तिलक लगाना:
– बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है, जो पवित्र बंधन का प्रतीक है।
– भाई के सामने दीये को गोलाकार घुमाते हुए आरती करें।
मिठाइयाँ और उपहार भेंट करना:
– बहन अपने भाई को प्यार और स्नेह के संकेत के रूप में मिठाई और उपहार देती है।
आशीर्वाद का आदान-प्रदान:
– बहनें अपने भाइयों की भलाई, समृद्धि और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
– भाई भी अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं।
दावत:
– एक परिवार के रूप में एक साथ उत्सव के भोजन का आनंद लें।
पारंपरिक अनुष्ठान:
– कुछ परिवार अपनी परंपरा के लिए विशिष्ट क्षेत्रीय अनुष्ठान या रीति-रिवाजों का पालन कर सकते हैं।
समापन के लिए आरती:
– कपूर से आरती करके पूजा का समापन करें।
आभार व्यक्त करना:
– भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि ये सामान्य दिशानिर्देश हैं, विशिष्ट रीति-रिवाज भिन्न हो सकते हैं। परिवार अक्सर पूजा को अपनी परंपराओं और प्राथमिकताओं के अनुसार अपनाते हैं। इसके अतिरिक्त, बड़ों से परामर्श करना या परिवार की पारंपरिक प्रथाओं का पालन करना उत्सव में व्यक्तिगत स्पर्श जोड़ सकता है।