सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित पांच राज्यों से वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए लागू किए गए उपायों का विस्तृत विवरण देने को कहा। न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने राज्यों को हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर तय की।
अदालत ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि भविष्य की पीढ़ियों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत बड़ा होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रदूषण के कारण बाहर निकलना कठिन हो गया है। कोर्ट ने कहा, आज दिल्ली के हालात यह हैं कि घर से बाहर निकलना मुश्किल है। कुछ दशक पहले, यह दिल्ली का सबसे अच्छा समय हुआ करता था, लेकिन अब हालात बिल्कुल अलग नजर आते हैं।
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पीठ ने यह भी कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण फसल जलाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच पड़ोसी राज्यों से कहा कि वो रिकॉर्ड पर बताएं कि उन्होंने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि पंजाब में बड़ी संख्या में पराली जलाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब , यूपी, हरियाणा राजस्थान से एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पांचों राज्यों से पूछा गया है कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
कोर्ट में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट अथॉरिटी ने हलफनामा में कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या हर साल हमारे सामने आती है, लेकिन AQI में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिलता है। एमिक्स क्यूरी ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने की घटना सामने आई है।
सुनवाई के दौरान, वकील ने तेज़ हवाओं की घटना का उल्लेख किया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने “तेज प्रशासनिक हवाओं” की भी आवश्यकता पर जोर दिया।
सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) और आग की संख्या जैसे मापदंडों सहित वर्तमान जमीनी स्थिति का विवरण देने वाली एक सारणीबद्ध रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ समाप्त हुई।
शीर्ष अदालत ने पहले दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से रिपोर्ट मांगी थी।