गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट TV-D1 का सफलतापूर्वक परीक्षण कर इसरो ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन का बड़ा परीक्षण किया। श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के बाद गगनयान ने बंगाल की खाड़ी में लैंडिंग की। ये मिशन 8.8 मिनट का था।
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श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के बाद गगनयान ने बंगाल की खाड़ी में लैंडिंग की। उड़ान भरने के बाद सबसे पहले टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को आसमान में लेकर गया और फिर 594 किमी की रफ्तार के साथ क्रू मॉड्यूम और क्रू एस्केप सिस्टम 17 किमी. की ऊंचाई पर अलग हुआ। इसके बाद पानी से ढाई किमी. की ऊंचाई पर मॉड्यूल के मुख्य पैराशूट खुलने के साथ ही इसकी लैडिंग बंगाल खाड़ी में हो गई। अब यहीं से क्रू मॉड्यूल और एस्केप सिस्टम की रिकवरी होगी। इसरो के इस परीक्षण का मकसद 2025 के लिए गगनयान मिशन को तैयार करना है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि अगर गगनयान मिशन के दौरान कोई भी गड़बड़ी होती है तो अंतरिक्ष यात्रियों को कैसे सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा।
मिशन गगनयान का मकसद मानव रहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजकर उसे सुरक्षित वापस लाना है और अंतरिक्ष में मानव उड़ान के लिए जरूरी प्रोद्योगिकियों का विकास करना है। इसका मकसद अंतरिक्ष में मानव उड़ान के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को दुनिया को दिखाना है। गगनयान अपनी स्पीड के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को दबाव वाले पृथ्वी जैसे वातावरण में रखेगा। यह भी जांच करेगा कि अबॉर्शन सिस्टम कितनी अच्छी तरह काम करती है।इस मिशन सफल होने से इसरो, एजुकेशन, उद्योगों, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और अन्य वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग के लिए एक व्यापक ढांचा स्थापित होगा। इससे तकनीकी और औद्योगिक क्षमताओं को एकत्रित करने में सहयोग मिलेगा। अनुसंधान के अवसर मिलेंगे, जिससे प्रौद्योगिकी के विकास में भागीदारी संभव होगी, जिससे बड़ी संख्या में छात्रों और शोधकर्ताओं का फायदा होगा।
मिशन टेस्टिंग के लिए कुल चार टेस्ट फ्लाइट भेजी जानी हैं। TV-D1 के बाद TV-D2, D3 और D4 को भेजा जाएगा। अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है। अनमैन्ड मिशन यानी इसमें किसी भी मानव को स्पेस में नहीं भेजा जाएगा। अनमैन्ड मिशन के सफल होने के बाद मैन्ड मिशन होगा, जिसमें इंसान स्पेस में जाएंगे। मैन्ड मिशन के लिए इसरो ने साल 2025 की टाइमलाइन तय की है।
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, “मुझे गगनयान टीवी-डी1 मिशन की सफलता का ऐलान करते हुए बहुत खुशी हो रही है।” उन्होंने कहा कि हमने फिर से इतिहास रच दिया है। उन्होंने इस मिशन की सफलता के लिए सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
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इसरो को गगनयान मिशन के पहले चरण का लॉन्च 21 अक्टूबर को सुबह 8 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से करना था। लेकिन इसरो को समय में बदलाव करना पड़ा। प्रक्षेपण का समय बदकर 8 बजकर 30 मिनट कर दिया गया। लेकिन इस समय पर भी मिशन का ट्रायल नहीं हो सका। इसके बाद इसरो ने मिशन लॉन्चिंग का समय 8 बजकर 45 मिनट कर दिया। लेकिन एक बार फिर इसे होल्ड कर दिया गया। उसके बाद सुबह 9 बजकर 35 मिनट के करीब इसरो की तरफ से बताया गया कि गगनयान का प्रक्षेपण सुबह 10 बजे किया जाएगा। और आखिरकार घड़ी में 10 बजते ही इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया।
गगनयान टीवी-डी1 मिशन के सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोस्ट किया, “यह प्रक्षेपण हमें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान को साकार करने के एक कदम और करीब ले जाता है। इसरो में हमारे वैज्ञानिकों को मेरी शुभकामनाएं।”
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बता दें कि अगर भारत अपने इस मिशन में कामयाब हुआ तो वह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब से पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा मिशन लॉन्च करके सफल हो चुके हैं। 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के यूरी गागरिन 108 मिनट स्पेस में रहे। 5 मई 1961 को अमेरिका के एलन शेफर्ड 15 मिनट स्पेस में रहे। 5 अक्टूबर 2003 को चीन के यांग लिवेड 21 घंटे स्पेस में रहे।