कनाडा की संसद में 10 सितंबर को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस आरोप के बाद कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के ‘ एजेंटों ‘ का हाथ हो सकता है भारत ने कनाडा सरकार से नई दिल्ली में अपने उच्चआयोग से 62 राजनयिक कर्मियों में से 41 को वापस बुलाने कह दिया।
निज्जर की इसी बरस 18 जून को कनाडा के कोलंबिया प्रांत के सरे शहर में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के बाहर पार्किंग स्थल पर हत्या कर दी गई थी। वह उस गुरुद्वारे की मैनेजिंग कमेटी का अध्यक्ष भी था। जस्टिन ट्रूडो ने संसद में दावा किया कि कनाडा के नागरिक निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ होने के पर्याप्त सबूत हैं, जिनकी रौशनी में जांच चल रही है। इसके पहले कनाडा ने भारत के एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया तो भारत ने भी कनाडा के एक राजनयिक को वापस जाने कह दिया। भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सेवा स्थगित कर दी और कनाडा के आरोप को खारिज कर कहा निज्जर की हत्या के पीछे उसका हाथ होने का कोई सबूत नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर के मुताबिक आतंकवादी हिंसा को कनाडा सरकार के समर्थन से कुछ साल से समस्या है। पर भारत सरकार कनाडा की प्रासंगिक बात पर विचार करने तैयार है।ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भारत की सख्ती के बाद नरम पड़े ट्रूडो ने कहा उनका देश भारत से संबंध सुधारना चाहता है।
उधर ,सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दो वीडियो जारी कर हिंदुओं को कनाडा छोड़ भारत चले जाने कहा। उसने कहा कनाडा में वही सिख रहे सकते हैं जों खालिस्तान समर्थक हैं या फिर अपना धर्म बदलने तैयार है। पन्नू ने 25 सितंबर को वैंकूवर, ओटावा और टोरंटो में भारतीय दूतावास बंद कराने की धमकी दी थी। इन धमकियों के बाद कनाडा में गैर-सिख भारतीयों के बीच चिंता पैदा हो गई। फिलहाल हालात सामान्य हैं पर लोग परेशान हैं। कनाडा के पत्रकार और नेशनल टाइम्स मीडिया के मुख्य संपादक राजीव शर्मा समेत कुछ लोगों का कहना है ट्रूडो सरकार को समर्थन करने वालों में खालिस्तान समर्थक भी हैं इसलिए यह सरकार सियासत के लिए भारत विरोधी रुख अपनाये हुए है। उनका यह भी कहना है कनाडा में सभी भारतीयों के बीच भाईचारा कायम है।
कनाडा की कंजरवेटिव पार्टी के पियर पॉलीवर के मुताबिक जस्टिन ट्रूडो के संसद में दिए बयान के पुख्ता सबूत नहीं है पर कुछ सच्चाई तो है। मगर ये टेंशन बस चुनाव तक है। कनाडा में बसे और वहां की संसद का चुनाव लड़ चुके गुजराती मूल के जिगर पटेल के मुताबिक कनाडा में जो हो रहा है, वो चौंकाने वाला है। मैं 23 साल से कनाडा में हूं। मेरे जैसे लाखों भारतीय दशकों से हैं। हमने इस तरह का माहौल कभी नहीं देखा। उन्होंने बताया एक सर्वे के मुताबिक सिर्फ 20 फीसद लोग खालिस्तान समर्थक हैं।
कनाडा की 2022 की जनगणना के मुताबिक वहां की आबादी में 19 फीसद भारतीय हैं। विदेशी छात्रों में 40 फीसद भारतीय हैं। दुनिया में सिखों की सबसे ज्यादा आबादी भारत के बाद कनाडा में ही है ,जो वहां की कुल आबादी का 2.1 फीसद है। आबादी में 2.3 फीसद हिंदु हैं। सबसे ज्यादा भारतीय टोरंटो, ओटावा, वॉटरलू और ब्रैम्टन शहरों में हैं। ब्रिटिश कोलंबिया में भी भारतीयों की बड़ी आबादी है। कनाडा में टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी अनेक भारतीय कंपनियां आईटी, सॉफ्टवेयर, नेचुरल रिसोर्सेज और बैंकिंग सेक्टर में हैं। उन सबने अरबों डॉलर निवेश कर कनाडा के हजारों लोगों को रोजगार दिया है। भारत और कनाडा के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के नवीकरण की बातचीत में गतिरोध है। दोनों में इस समझौते को लेकर 6 बार बातचीत के बाद मार्च 2022 में फिर वार्ता शुरू हुई। भारत में करीब 600 कनाडाई कंपनियां हैं। कनाडा भारत से गहने, कीमती पत्थर, फार्मा प्रोडक्ट, रेडिमेड गारमेंट, ऑर्गेनिक केमिकल्स, लाइट इंजीनियरिंग सामान, आयरन और स्टील प्रोडक्ट निर्यात करता है तो भारत कनाडा से दालें, अखबारी कागज, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप, खनिज और इंडस्ट्रियल केमिकल आयात करता है।
एफटीए के तहत दोनों आपसी व्यापार में सीमा शुल्क कम या खत्म कर देते हैं। भारतीय कंपनियां कनाडा के बाजारों में अपने टैक्सटाइल और लेदर गुड्स को ड्यूटी फ्री करने की मांग कर रही हैं। वीजा नियमों को और सरल करने पर भी बातचीत चल रही थी। पिछले साल कनाडा ने तीन लाख भारतीयों को वीजा दिए थे और भारत ने उससे कुछ कनाडावासियों को वीजा दिए। कनाडा अपने डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने की मांग कर रहा है। इस समझौता का नवीकरण रुक जाने से महंगाई बढ़ने की आशंका है। भारत सरकार ,ट्रूडो सरकार पर राजनीतिक लाभ के लिए खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरमी बरतने के आरोप लगा रही है। भारत और कनाडा के संबंधों में ब्रिटेब, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलेंड की भी भूमिका है। साफ है कि ट्रूडो जिन खुफिया जानकारियों की बात कह रहे हैं वह अमरीका द्वारा मुहैया करायी गयी थीं। नई दिल्ली में इस बरस जी-20 सम्मेलन के दौरान,मोदी-ट्रूडो की बातचीत में तीखे मतभेद सामने आए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हस्तक्षेप कर भारत और कनाडा के संबंध और बिगडऩे से बचाने की कोशिश की थी। अमेरिकी विदेश मंत्री एन्टोनी ब्लिनकें ने भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के सामने यह मुद्दा उठाया था। अमेरिका कनाडा से अपने अच्छे रिश्ते बनाए रहना चाहता है और चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करने की फिराक में है।
इतिहास और भूगोल-
उत्तरी अमेरिका में अटलाण्टिक से प्रशान्त और आर्कटिक महासागर तक फैला कनाडा 99.8 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इसके दस प्रान्त और तीन केन्द्र शासित प्रदेश हैं। इसकी सीमाएं संयुक्त राज्य अमेरिका से लगती हैं और प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह दुनिया में दसवें नम्बर पर है। कनाडा संयुक्त राष्ट्र, उत्तर अटलाण्टिक सन्धि सङ्गठन (नाटो), जी-8, जी-20 आदि समूह के अलावा भारत की तरह ब्रिटिश के उपनिवेश रहे देशों के संगठन, राष्ट्रमण्डल में भी है। कनाडा शब्द कनाटा से बना है जिसका अर्थ गांव है। इसकी खोज ज़ाक कार्तिए ने 1535 में की थी। अभी कनाडा में आदिवासियों के साथ ही मिश्रित नस्ल के भी लोग हैं जो 17वीं सदी में आए यूरोपीय से विवाह के बाद हुए। यूरोपीय लोगों के आने से पहले कनाडा में आदिवासी आबादी करीब दो से 20 लाख तक होने का अनुमान है। यूरोप के लोगों के आने के बाद वहाँ चेचक आदि जैसे रोग के प्रकोप से आदिवासी आबादी 80 फीसद कम हो गई। इतालवी नाविक जॉन केबोट ने कनाडा के अटलांटिक तट का पता 1497 में लगा उस पर इंग्लैंड के राजा हेनरी सप्तम के नाम पर अधिकार जमाया। पुर्तगाली नाविकों ने 16वीं सदी में अटलांटिक तट पर मछली पकड़ने और व्हेल का शिकार करने की चौकियों फ्रांस के नाविक बनाईं। फ़्रांस के नाविक जैक्स कार्टियर ने वहां 1534 में सेंट लॉरेंस नदी की खोज कर अपने राजा फ्रांसिस प्रथम के नाम पर दखल कर व्यापार चौकी बनाई जो ज्यादा कायम नहीं रहा। अंग्रेजो ने 1610 में कालोनियों बनाई और यह उसका उपनिवेश बन गया। इंग्लंड और फ़्रांस के बीच सात बरस की लड़ाई के बाद 1763 में हुई पेरिस संधि से कनाडा के अधिकतर भूभाग पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया। फिर 1783 की पेरिस संधि से ग्रेट झील के दक्षिण के प्रांत संयुक्त राज्य अमेरिका को सौंप दिए गए। ब्रिटेन और अमेरिका के बीच 1812 के युद्ध के बाद कनाडा में शांति हुई। कनाडा आकर बसे यूरोपीय लोगों की आबादी संक्रामक रोगों के कारण 1891 में जो आबादी थी वह संक्रामक रोगों से मौत के कारण 25 फीसद कम हो गई। कनाडा में संविधान बनाने कई सम्मेलन के बाद 1867 में बने संविधान के तहत 1 जुलाई 1867 को ओंटारियो, क्यूबेक, नोवा स्कोटिया और ब्रंसविक के चार प्रांतों का गठन किया गया। ब्रिटिश कोलंबिया और वैंकूवर द्वीप 1871 में कनाडा में शामिल हुए।
ब्रिटेन की तरह संवैधानिक राजशाही व्यवस्था वाले कनाडा की राजधानी ओटावा है और सबसे बड़ा नगर टोरंटो है। वहाँ की भाषा अंग्रेज़ी और फ़्रांसीसी है और आबादी में 76.7 फीसद श्वेत, 14.2 % एशियाई, 4.3% आदिवासी, 2.9% अश्वेत , 1.2% लातिन अमेरिकी हैं। अभी राजा चार्ल्स तृतीय हैं। संसद के दो सदन सीनेट और हाउस ऑफ़ कॉमन्स हैं। आबादी 2016 की जनगणना के मुताबिल 35,675,834 है। कनाडा का पिछला संघीय चुनाव 20 सितंबर 2021 को हुआ था और 45 वीं हाउस ऑफ कॉमन्स का चुनाव 20 अक्टूबर 2025 या उससे पहले कराना है। बहरहाल यह देखना है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत से कनाडा के संबंध सुधारने के बाद नया चुनाव करते हैं या पहले। लेकिन उनकी राह आसान नहीं होगी।
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और बिहार के अपने गाँव में खेती बड़ी स्कूल चलाने के साथ किताबें लिखते हैं। आजकल दिल्ली में राजनैतिक विषयों पर अध्ययन कर रहे है।