केंद्र सरकार ने नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के सभी गुटों और विंगों को गैरकानूनी समूह घोषित कर दिया है। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत की गई घोषणा, बुधवार (3 अक्टूबर) से प्रभावी है, और पांच साल की अवधि के लिए वैध रहेगी, जिसमें इन संगठनों से जुड़े सभी गुटों, विंगों और प्रमुख संगठनों को शामिल किया गया है।
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सरकार ने गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा, “इसलिए, अब, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) की धारा 3 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, (इसके बाद उक्त अधिनियम के रूप में संदर्भित) केंद्र सरकार इसके द्वारा नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) को उसके सभी गुटों, विंगों और फ्रंट संगठनों के साथ और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) को उसके सभी गुटों, विंगों और फ्रंट संगठनों के साथ गैरकानूनी घोषित करता है।”
मालूम हो कि नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा भारत के त्रिपुरा में स्थित एक प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन है । इसके 800 से ज्यादा सदस्य माने जाते हैं। इसका उद्देश्य भारत से अलग एक स्वतंत्र त्रिपुरा राज्य स्थापित करना है, जिसके लिए वह पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही गतिविधियों को अंजाम देता है। एनएलएफटी अपना अलग झंडा रखता है, जिसमें तीन रंग (हरा, सफेद और लाल) हैं। झंडे का हरा रंग त्रिपुरा पर संप्रभुता का प्रतीक है, इसी भूमि पर वे दावा करते हैं। झंडे का सफेद हिस्सा उस शांति को प्रदर्शित करता है, जिसे वह पाना चाहते हैं। वहीं लाल रंग वह उनकी हिंसक गतिविधियों को दर्शाता है। उनके ध्वज में एक तारा भी है, जिसे वह संघर्ष के दौरान मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में दर्शाते हैं।
बयान के अनुसार, केंद्र ने एनएलएफटी और एटीटीएफ को गैरकानूनी घोषित करने के अपने कारणों को भी रेखांकित किया। कारण इस प्रकार हैं:
– विध्वंसक एवं हिंसक गतिविधियों में संलग्न होना।
– उनका समर्थन जुटाने के उद्देश्य से उत्तरी ई के अन्य गैरकानूनी संघों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना।
– हाल के दिनों में अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुसरण में, हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होना जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक हैं।
– नागरिकों और पुलिस तथा सुरक्षा बलों के कर्मियों को मारना।
– त्रिपुरा में व्यवसायियों और व्यवसायियों सहित जनता से धन उगाही में लगे हुए हैं
– सुरक्षित अभयारण्य, प्रशिक्षण के उद्देश्य से पड़ोसी देशों में शिविर स्थापित करना और उनका रखरखाव करना। हथियारों और गोला-बारूद की खरीद करना।
केंद्र ने कई चिंताजनक कारकों का हवाला देते हुए एनएलएफटी और एटीटीएफ की गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कड़े उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है, जैसे:
– उनकी अलगाववादी, विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को लामबंद करना।
– भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करना।
– नागरिकों की हत्याओं और पुलिस और सुरक्षा बलों के कर्मियों को निशाना बनाने में लिप्त होना।
– अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद की खरीद और उसे शामिल करना।
– अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन उगाही करना और इकट्ठा करना।
बता दें कि अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र की भी राय है कि एनएलएफटी और एटीटीएफ की उपरोक्त गतिविधियां भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक हैं और वे गैरकानूनी संघ हैं।